(प्रारंभिक परीक्षा : समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे, संचार आदि) |
संदर्भ
17 मई, 2025 को भारत में दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा विश्व दूरसंचार एवं सूचना सोसाइटी दिवस (WTISD), 2025 का आयोजन किया गया।
विश्व दूरसंचार एवं सूचना सोसाइटी दिवस (WTISD), 2025 के बारे में
- क्या है : यह दिवस ‘17 मई, 1865’ को अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) की स्थापना और पहले अंतर्राष्ट्रीय तार समझौते पर हस्ताक्षर करने के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है।
- 17 मई, 1865 को पहला अंतर्राष्ट्रीय तार समझौता हुआ था।
- वर्ष 1969 में ITU द्वारा विश्व दूरसंचार दिवस की शुरुआत की गई थी।
- उद्देश्य : इंटरनेट एवं सूचना व संचार प्रौद्योगिकियों (ICT) के उपयोग से समाज तथा अर्थव्यवस्थाओं में आने वाली संभावनाओं और डिजिटल अंतराल को समाप्त करने के तरीकों पर जागरूकता बढ़ाना।
- 2025 की थीम : डिजिटल प्रौद्योगिकियों के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाना
- यह लैंगिक समानता एवं महिलाओं के लिए डिजिटल अवसरों पर केंद्रित है।
- महत्व
- डिजिटल समावेशन : समाज के सभी वर्गों तक इंटरनेट एवं संचार सेवाओं की पहुंच बढ़ाना
- लैंगिक समानता : महिलाओं एवं लड़कियों को ICT व डिजिटल अर्थव्यवस्था में समान अवसर प्रदान करना
- सामाजिक एवं आर्थिक विकास : डिजिटल प्रौद्योगिकियों के माध्यम से समाज के विभिन्न क्षेत्रों में समृद्धि लाना
भारत में दूरसंचार क्षेत्र की उपलब्धियाँ
भारत का दूरसंचार क्षेत्र विश्व में सबसे तेजी से विकसित होने वाले क्षेत्रों में से एक है। भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) के अनुसार, डिजिटल समावेशन सभी नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। इंटरनेट एवं ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी ने शिक्षा, स्वास्थ्य, वित्तीय सेवाओं एवं रोजगार के अवसरों को बढ़ाया है।
टेलीफोन एवं ब्रॉडबैंड कनेक्शन में वृद्धि
- टेलीफोन कनेक्शन : मार्च 2014 में भारत में कुल टेलीफोन कनेक्शन 93.3 करोड़ थे, जो अक्तूबर 2024 तक बढ़कर 118.87 करोड़ हो गए। टेली-घनत्व 75.23% से बढ़कर 84.49% हो गया है।
- शहरी क्षेत्र : मार्च 2014 में 55.52 करोड़ कनेक्शन से बढ़कर अक्तूबर 2024 में 66.13 करोड़
- ग्रामीण क्षेत्र : मार्च 2014 में 37.77 करोड़ से बढ़कर अक्तूबर 2024 में 52.73 करोड़
- इंटरनेट कनेक्शन : मार्च 2014 में 25.15 करोड़ से बढ़कर जून 2024 में 96.96 करोड़ (285.53% की वृद्धि)
- ब्रॉडबैंड कनेक्शन : मार्च 2014 में 6.1 करोड़ से बढ़कर अगस्त 2024 में 94.92 करोड़ (1452% की वृद्धि)
डिजिटल इंडिया का योगदान
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 1 जुलाई, 2015 को शुरू किया गया डिजिटल इंडिया कार्यक्रम भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज एवं ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था में बदलने का एक महत्वपूर्ण कदम है।
- इसके तीन मुख्य स्तंभ हैं-
- डिजिटल अवसंरचना : सभी नागरिकों के लिए डिजिटल पहुंच सुनिश्चित करना
- डिजिटल सेवाएँ : सरकारी सेवाओं को ऑनलाइन उपलब्ध कराना
- डिजिटल साक्षरता : नागरिकों को डिजिटल तकनीकों का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित करना
भारत की प्रमुख सरकारी पहल
1. राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन (NBM)
- प्रारंभ : वर्ष 2019 में
- उद्देश्य : सभी के लिए ब्रॉडबैंड सेवाओं तक समान पहुंच सुनिश्चित करना
- प्रगति :
- ब्रॉडबैंड ग्राहकों की संख्या 94.49 करोड़ तक पहुंची।
- ऑप्टिकल फाइबर केबल (OFC) की लंबाई 25 मार्च, 2025 तक 42.13 लाख किमी.
- NBM 2.0
- ग्रामीण एवं दूरदराज क्षेत्रों में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड को बढ़ावा
- विद्युत मंत्रालय के साथ समन्वय कर ऑप्टिकल ग्राउंड वायर (OPGW) का उपयोग
- 5G एवं उन्नत तकनीकों के माध्यम से कनेक्टिविटी बढ़ाना
2. भारतनेट
- उद्देश्य : ग्रामीण भारत में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करना
- प्रगति :
- पहला चरण (दिसंबर 2017) : 1 लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ा गया।
- दूसरा चरण : 1.5 लाख अतिरिक्त ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर, रेडियो, और सैटेलाइट तकनीकों से जोड़ा गया।
- संशोधित भारतनेट कार्यक्रम (ABP) : सभी ग्राम पंचायतों एवं गैर-ग्राम पंचायत गांवों को मांग के आधार पर ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ना
- भविष्य की योजना : 5G तकनीक को शामिल कर नेटवर्क को अधिक मजबूत करना
3. कॉमन सर्विस सेंटर (CSC)
- उद्देश्य : ग्रामीण क्षेत्रों में ई-गवर्नेंस, स्वास्थ्य, शिक्षा एवं वित्तीय सेवाएँ प्रदान करना
- प्रगति :
- भारतनेट के तहत वाई-फाई एक्सेस पॉइंट एवं FTTH कनेक्शन के माध्यम से कनेक्टिविटी
- CSC-SPVs को ग्राम पंचायतों में अंतिम-मील कनेक्टिविटी प्रदान करने का दायित्व
- प्रभाव : ग्रामीण नागरिकों को डिजिटल सेवाओं तक पहुंच में सुधार
4. पीएम-वाणी
- उद्देश्य : सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट के माध्यम से इंटरनेट पहुँच का विस्तार
- प्रगति : 20 मार्च, 2025 तक 2,78,439 वाई-फाई हॉटस्पॉट स्थापित
- सुविधाएँ :
- सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (C-DOT) के माध्यम से हार्डवेयर उपलब्धता
- सार्वजनिक डाटा कार्यालय (PDO) के साथ सहयोग
5. संचार साथी
- उद्देश्य : दूरसंचार सुरक्षा एवं धोखाधड़ी रोकथाम
- विशेषताएँ :
- संदिग्ध धोखाधड़ी संचार की रिपोर्टिंग
- खोए या चोरी हुए उपकरणों को ब्लॉक करना
- मोबाइल कनेक्शन प्रबंधन और हैंडसेट प्रामाणिकता सत्यापन
- प्रभाव : 90 करोड़ से अधिक स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं के लिए सुरक्षित एवं उपयोगकर्ता-अनुकूल सेवाएँ
डिजिटल प्रौद्योगिकियों के माध्यम से महिलाओं का सशक्तिकरण
वर्ष 2025 की थीम के अनुरूप, भारत सरकार ने महिलाओं को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने के लिए कई पहल शुरू की हैं :
1. महिला ई-हाट
- उद्देश्य : महिला उद्यमियों के लिए ऑनलाइन मार्केटिंग प्लेटफॉर्म
- प्रबंधन : महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और राष्ट्रीय महिला कोष (RMK)
- प्रभाव : महिलाओं को अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने और आर्थिक रूप से सशक्त होने का अवसर
2. प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (PMG-DISHA)
- प्रारंभ : फरवरी 2017
- बजट : 2351.38 करोड़ रुपए
- उद्देश्य : 6 करोड़ ग्रामीण परिवारों को डिजिटल साक्षरता प्रदान करना
- प्रगति :
- 6.39 करोड़ व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया गया।
- 54% प्रशिक्षित और 56% प्रमाणित व्यक्तियों में महिलाएँ शामिल
- समाप्ति : 31 मार्च, 2024
- प्रभाव : ग्रामीण महिलाओं में डिजिटल कौशल का विकास
3. अन्य पहल
- G20 प्रतिबद्धता : वर्ष 2030 तक डिजिटल लैंगिक अंतर को आधा करने का संकल्प
- डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) : प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) और सरकार-से-नागरिक (G2C) भुगतान के माध्यम से वित्तीय समावेशन
- महिला हेल्पलाइन (181) : महिलाओं की सुरक्षा एवं सशक्तिकरण के लिए समर्पित सेवा
उभरती प्रौद्योगिकियाँ
- डायरेक्ट टू मोबाइल (D2M) और 5G प्रसारण
- D2M : इंटरनेट के बिना मोबाइल उपकरणों पर सामग्री का प्रसारण
- 5G प्रसारण : ATSC 3.0 एवं 3GPP मानकों के आधार पर निर्बाध सामग्री वितरण
- प्रभाव : ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में डिजिटल सामग्री की पहुँच में सुधार
- संवर्धित एवं आभासी वास्तविकता (AR/VR)
- उपयोग : प्रसारण, शिक्षा एवं मनोरंजन में क्रांति
- प्रभाव : उपयोगकर्ता अनुभव को बेहतर बनाना और डिजिटल सहभागिता को बढ़ाना
चुनौतियाँ
- ग्रामीण एवं दूरदराज क्षेत्रों में कनेक्टिविटी की कमी
- डिजिटल साक्षरता और लैंगिक अंतराल को कम करने की आवश्यकता
- साइबर सुरक्षा एवं डाटा गोपनीयता
आगे की राह
- 5G एवं सैटेलाइट तकनीकों का विस्तार
- डिजिटल साक्षरता और कौशल विकास पर ध्यान
- महिलाओं व वंचित समुदायों के लिए समावेशी नीतियाँ