(प्रारंभिक परीक्षा: महत्त्वपूर्ण सम्मेलन एवं कार्यक्रम) |
संदर्भ
अफ्रीका महाद्वीप जलवायु परिवर्तन से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक है। लगातार बढ़ते सूखा, बाढ़ एवं खाद्य असुरक्षा ने यहाँ की अर्थव्यवस्था व समाज पर गहरा प्रभाव डाला है। इन चुनौतियों के बीच अफ्रीकी जलवायु शिखर सम्मेलन 2 (African Climate Summit 2: ACS2) आयोजित किया गया, जिसने अफ्रीका की जलवायु कूटनीति को एक नई दिशा दी।
अफ्रीकी जलवायु शिखर सम्मेलन 2 (ACS2) के बारे में
- आयोजित स्थान : अदीस अबाबा, इथियोपिया
- तिथि : 10 सितंबर, 2025
- सहभागी : अफ्रीकी देशों के राष्ट्राध्यक्ष, नीति-निर्माता, वैज्ञानिक, नागरिक समाज एवं अंतर्राष्ट्रीय साझेदार
उद्देश्य
- न्यायसंगत जलवायु वित्त (Climate Finance) की मांग को वैश्विक स्तर पर रखना
- अफ्रीका-नेतृत्व वाली नवीकरणीय ऊर्जा समाधान को बढ़ावा देना
- वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अफ्रीका के क्रिटिकल मिनरल्स को उचित मूल्य दिलाना
- जलवायु न्याय (Climate Justice) को केंद्र में लाना
पृष्ठभूमि
- पहला अफ्रीकी जलवायु शिखर सम्मेलन वर्ष 2023 में नैरोबी में आयोजित हुआ था।
- वहाँ नैरोबी घोषणा (Nairobi Declaration) अपनाई गई थी।
- ACS2 उसी नींव पर आगे बढ़ा किंतु इस बार अफ्रीका की भूमिका संकटग्रस्त महाद्वीप से ‘समाधान-नेतृत्वकर्ता’ में बदलने पर जोर दिया गया।
प्रमुख परिणाम (Outcomes)
- अदीस अबाबा घोषणा को अपनाना
- निवेश एवं तकनीकी सहयोग को प्रोत्साहित करने वाले Africa Climate Innovation Compact का शुभारंभ
- Flagship Report on African Climate Initiatives जारी की गई।
- अफ्रीका में नवीकरणीय ऊर्जा, वनों की बहाली और सतत कृषि को बढ़ावा देने का संकल्प
अदीस अबाबा घोषणा के मुख्य बिंदु
- नवीकरणीय ऊर्जा विकास को तेज़ करना
- अफ्रीका के क्रिटिकल मिनरल उत्पादकों का गठबंधन बनाना
- वनों की बहाली, पुनर्वनीकरण एवं प्राकृतिक धरोहर की सुरक्षा
- अफ्रीकी संघ डैशबोर्ड के माध्यम से पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना
- ऋण बढ़ाने वाले ऋण-पैकेजों के बजाय सस्ती और सुलभ वित्तीय सहायता की मांग
- जलवायु न्याय अर्थात जो देश कम प्रदूषण करते हैं पर सर्वाधिक प्रभावित हैं, उन्हें अनुकूलन व पुनर्निर्माण के लिए संसाधन प्रदान किए जाएँ।
प्रभाव
- अफ्रीका की आवाज़ को वैश्विक जलवायु वार्ता में अधिक महत्व मिलेगा।
- महाद्वीप में नवीकरणीय ऊर्जा निवेश और हरित बुनियादी ढांचा विकास को गति मिलेगी।
- ग्लोबल साउथ में जलवायु वित्त और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को नया बल मिलेगा।
- अफ्रीका संकटग्रस्त क्षेत्र से वैश्विक जलवायु समाधान केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर होगा।