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AIIFA STEELEX 2025: सतत एवं ग्रीन स्टील

(प्रारंभिक परीक्षा: महत्त्वपूर्ण सम्मेलन)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास व रोज़गार से संबंधित विषय)

संदर्भ

19 सितंबर, 2025 को मुंबई में AIIFA STEELEX 2025 का उद्घाटन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने किया। 

AIIFA STEELEX 2025 के बारे में

  • यह 37वीं राष्ट्रीय सम्मेलन था, जिसका उद्देश्य भारत में हरित एवं सतत इस्पात निर्माण को बढ़ावा देना है।
  • यह कार्यक्रम स्थायी एवं हरित इस्पात (Sustainable & Green Steel) के विकास पर केंद्रित था। 
  • इसे AIIFA Sustainable Steel Manufacturers Association और Steel Manufacturers Association of Maharashtra के सहयोग से आयोजित किया गया। 
  • कार्यक्रम को भारतीय स्टील मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) का समर्थन प्राप्त था।
  • इस कार्यक्रम में उद्योग जगत के 1,800 से अधिक हितधारकों ने हिस्सा लिया।
  • इस अवसर पर ग्रीन सर्टिफिकेट और AIIFA STEELEX 2025 का स्मारिका (Souvenir) लॉन्च किया गया।

क्या है ग्रीन स्टील 

  • ग्रीन स्टील वह इस्पात है, जिसे उत्पादन प्रक्रिया में कार्बन उत्सर्जन को न्यूनतम रखते हुए और हरित तकनीक (Green Technology) का उपयोग करके बनाया जाता है।
  • इसमें ग्रीन हाइड्रोजन, नवीकरणीय ऊर्जा एवं ऊर्जा दक्ष उत्पादन तकनीकों का समावेश होता है।

ग्रीन स्टील प्रमाणपत्र

  • यह प्रमाणपत्र उन इस्पात उत्पादकों को प्रदान किया जाता है जो डी-कार्बोनाइजेशन, ऊर्जा दक्षता एवं हरित तकनीकों के प्रयोग में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं।
  • इसका उद्देश्य उद्योग में हरित तकनीक अपनाने की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करना है।

भारत का ग्रीन स्टील इकोसिस्टम

  • महाराष्ट्र ग्रीन हाइड्रोजन एवं नवीकरणीय ऊर्जा के एकीकरण में अग्रणी है।
    • राज्य ने 2030 तक 5 लाख TPA ग्रीन हाइड्रोजन क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
    • पुणे में ‘हाइड्रोजन वैली नवाचार क्लस्टर’ जैसी पहलें ग्रीन इस्पात उद्योग को बल देती हैं।
  • राष्ट्रीय स्तर पर National Green Hydrogen Mission (NGHM) के तहत 5 मिलियन टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।

ग्रीन स्टील के लाभ

  • पर्यावरणीय लाभ : CO₂ उत्सर्जन में कटौती
  • आर्थिक लाभ : वैश्विक इस्पात व्यापार में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त
  • ऊर्जा दक्षता : नवीकरणीय ऊर्जा और ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग
  • रोज़गार सृजन : अनुमानित 22,600 नई नौकरियां और ग्रीन तकनीक में कौशल विकास

चुनौतियाँ

  • ग्रीन स्टील की उच्च लागत और प्रारंभिक निवेश की आवश्यकता
  • वैश्विक बाजार में CBAM (Carbon Border Adjustment Mechanism) जैसे नियमों का दबाव
  • नई तकनीकों एवं ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं में R&D और नवाचार की जरूरत

सरकारी पहल

  • राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के अंतर्गत 19,744 करोड़ का बजट, 125 GW नवीकरणीय ऊर्जा जोड़ना
  • ग्रीन हाइड्रोजन प्रमाणीकरण योजना और सुरक्षा पैनल की स्थापना
  • कांडला, पारादीप एवं तुतुकोरिन में ग्रीन हाइड्रोजन हब का विकास
  • GST में कटौती और नवीकरणीय उपकरणों की लागत में कमी

आगे की राह

  • ग्रीन हाइड्रोजन और नवीकरणीय ऊर्जा को व्यापक रूप से अपनाना
  • R&D, नवाचार और कौशल विकास पर जोर
  • भारत को वैश्विक इस्पात बाजार में हरित एवं प्रतिस्पर्धात्मक नेता बनाने के लिए नीतिगत और औद्योगिक सुधारों को लागू करना
  • चक्रीय अर्थव्यवस्था (Circular Economy) और स्वच्छ तकनीक अपनाना
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