(प्रारंभिक परीक्षा: ऐतिहासिक महत्त्व की घटनाएँ) (मुख्य परीक्षा, समान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1: विश्व के इतिहास में 18वीं सदी तथा बाद की घटनाएँ, यथा- औद्योगिक क्रांति, विश्व युद्ध, राष्ट्रीय सीमाओं का पुनःसीमांकन, उपनिवेशवाद, उपनिवेशवाद की समाप्ति) |
संदर्भ
15 अगस्त, 2025 को अलास्का के एंकरेज में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच एक ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन हुआ। यह वर्ष 2022 में रूस-यूक्रेन संघर्ष की शुरूआत के बाद दोनों नेताओं के बीच पहली आमने-सामने की मुलाकात है। अलास्का ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि कभी यह क्षेत्र रूस का हिस्सा हुआ करता था। वर्ष 1867 में रूस ने अलास्का को मात्र 7.2 मिलियन डॉलर में अमेरिका को बेच दिया था।
अलास्का शिखर सम्मलेन के बारे में
- आयोजन स्थल : अलास्का के एंकरेज में जॉइंट बेस एल्मेंडॉर्फ-रिचर्डसन
- यह रूस के चुकोटका क्षेत्र से बेरिंग जलसंधि के पार केवल 90 किमी. दूर है।
- थीम : शांति की ओर बढ़ते कदम (Pursuing Peace)
शिखर सम्मेलन के प्रमुख उद्देश्य
- यूक्रेन में युद्धविराम : ट्रम्प का प्राथमिक लक्ष्य रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए एक युद्धविराम की दिशा में प्रगति करना था।
- अमेरिका-रूस संबंधों में सुधार : यह मुलाकात दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों को सामान्य करने का एक प्रयास थी।
- आर्थिक और आर्कटिक सहयोग : पुतिन ने आर्कटिक क्षेत्र में संसाधन निष्कर्षण और व्यापार सहित आर्थिक सहयोग की संभावनाओं को बढ़ावा देने की कोशिश की।
- रूस की अंतर्राष्ट्रीय स्थिति को मजबूत करना : पुतिन के लिए अमेरिकी धरती पर यह मुलाकात पश्चिमी अलगाव को तोड़ने और वैश्विक मंच पर रूस की स्थिति को मजबूत करने का एक अवसर थी।
सम्मलेन के परिणाम
शिखर सम्मेलन निर्धारित समय से पहले समाप्त हुआ और कोई ठोस युद्धविराम या शांति समझौता नहीं हुआ। प्रमुख परिणामों में शामिल हैं:
- कोई युद्धविराम नहीं : ट्रम्प एवं पुतिन दोनों ने ‘प्रगति’ की बात की किंतु कोई औपचारिक समझौता या युद्धविराम की घोषणा नहीं की गई।
- भविष्य की वार्ताओं की संभावना : ट्रम्प ने संकेत दिया कि वह ज़ेलेंस्की और नाटो नेताओं के साथ बातचीत करेंगे तथा एक अन्य मुलाकात की संभावना है जिसमें ज़ेलेंस्की शामिल होंगे।
- प्रतीकात्मक जीत : पुतिन के लिए अमेरिकी धरती पर गर्मजोशी से स्वागत और ट्रम्प के साथ मुलाकात ने उनकी अंतर्राष्ट्रीय अलगाव को तोड़ने में मदद की।
- आर्थिक चर्चाएँ : पुतिन ने आर्कटिक संसाधनों और व्यापार सहयोग की संभावनाओं का उल्लेख किया, जिसमें रूस व अमेरिका के बीच निवेश तथा ऊर्जा परियोजनाएं शामिल थीं। हालांकि, ट्रम्प ने कहा कि कोई व्यापारिक सौदा तब तक नहीं होगा जब तक युद्ध समाप्त नहीं होता है।
सम्मलेन के निहितार्थ
- पुतिन की वैश्विक स्थिति में सुधार : पुतिन के लिए यह मुलाकात एक कूटनीतिक जीत है क्योंकि वर्ष 2022 के बाद पहली बार उन्हें किसी पश्चिमी देश में आमंत्रित किया गया, जिससे उनकी अंतर्राष्ट्रीय अलगाव की धारणा कम हुई।
- ट्रम्प की कूटनीतिक छवि : ट्रम्प के लिए यह शिखर सम्मेलन उनकी ‘शांति निर्माता’ छवि को मजबूत करने का अवसर था, हालांकि कोई ठोस परिणाम न मिलने से उनकी घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय विश्वसनीयता पर सवाल उठे।
- यूक्रेन और यूरोप की चिंताएँ : ज़ेलेंस्की की अनुपस्थिति और क्षेत्रीय स्वैप की चर्चा ने यूक्रेन एवं यूरोपीय सहयोगियों में चिंता पैदा की। यूक्रेन ने क्षेत्रीय रियायतों को अस्वीकार कर दिया और यूरोपीय नेताओं ने जोर दिया कि कोई भी सौदा यूक्रेन के बिना नहीं हो सकता है।
- आर्कटिक एवं आर्थिक संभावनाएँ : इस शिखर सम्मेलन ने आर्कटिक क्षेत्र में सहयोग की संभावनाओं को उजागर किया, जो वैश्विक ऊर्जा और व्यापार मार्गों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।
- वैश्विक कूटनीति पर प्रभाव : यह मुलाकात अमेरिका-रूस संबंधों, नाटो एकता और यूक्रेन युद्ध के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण थी। हालांकि, कोई तात्कालिक समझौता नहीं हुआ किंतु यह भविष्य की वार्ताओं के लिए एक आधार तैयार कर सकता है।
- विवाद और जोखिम: शिखर सम्मेलन ने पश्चिमी गठबंधन में दरार की आशंकाओं को बढ़ाया है क्योंकि ट्रम्प की रूस के साथ सामान्यीकरण की इच्छा यूक्रेन व यूरोप के हितों से टकरा सकती है।
अलास्का के बारे में
- अलास्का अमेरिका का सबसे बड़ा एवं संसाधन-समृद्ध राज्य है।
- यह क्षेत्र आर्कटिक वृत्त के पास स्थित है और ठंडे मौसम, बर्फीले पहाड़ों तथा समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों के लिए जाना जाता है।
- यहाँ 1896 में सोने की खोज हुई और बाद में तेल व गैस के विशाल भंडार मिले।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
रूस का नियंत्रण
- 18वीं सदी के मध्य में साइबेरियाई व्यापारी और खोजकर्ता बेरिंग सागर पार करके अलास्का पहुँचे।
- समुद्री ऊदबिलाव की खाल की मांग के कारण रूसी व्यापारियों ने यहाँ व्यापारिक केंद्र स्थापित किए।
- ‘अलेक्जेंडर बारानोव’ नामक व्यापारी ने रूसी प्रभाव को मज़बूत किया और स्थानीय ट्लिंगिट जनजाति का क्रूर दमन किया।
- रूसी ऑर्थोडॉक्स पादरी भी अलास्का पहुंचे और मिशन स्थापित किए।
स्थानीय निवासियों के साथ संबंध
- रूसी उपनिवेशवादियों ने अलास्का के मूल निवासियों को समुद्री जीवों का शिकार करने के लिए मजबूर किया।
- यह उपनिवेश स्थायी बस्ती के उद्देश्य से नहीं, बल्कि संसाधन दोहन के लिए था।
- कुल रूसी आबादी केवल 400 स्थायी निवासियों की थी।
रूस द्वारा अमेरिका को अलास्का बेचने का कारण
आर्थिक कारण
- 19वीं सदी के मध्य तक अलास्का एक महंगा और घाटे का सौदा बन चुका था।
- ऊदबिलाव की संख्या घटने से व्यापारिक लाभ खत्म हो गया।
- क्रीमियन युद्ध (1853-56) में हार के बाद रूस आर्थिक रूप से कमजोर हो गया था।
राजनीतिक और रणनीतिक कारण
- रूस नहीं चाहता था कि अलास्का उसके दुश्मनों (विशेष रूप से ब्रिटेन) के पास जाए।
- अमेरिका और रूस दोनों ब्रिटेन के खिलाफ एक जैसी नीति रखते थे, जिससे अमेरिका को बिक्री में आसानी हुई।
अमेरिकी विस्तारवाद
- 1840 के दशक में अमेरिका ने ओरेगन, टेक्सास एवं कैलिफोर्निया को अपने अधीन किया था।
- अमेरिका विस्तार की नीति पर चल रहा था और अलास्का इसमें एक स्वाभाविक अगला कदम था।
अलास्का समझौता: प्रमुख घटनाक्रम
बिक्री की प्रक्रिया
- रूस ने वर्ष 1859 में पहली बार अलास्का बेचने की पेशकश की किंतु अमेरिकी गृहयुद्ध के कारण विलंब हुआ।
- वर्ष 1867 में अमेरिका ने $7.2 मिलियन में अलास्का को खरीदा।
रूस में प्रतिक्रिया
- कई रूसी नागरिक और समाचार पत्र इस सौदे से नाराज़ थे।
- ‘गोलोस’ समाचार पत्र ने इसे ‘सच्चे रूसियों के लिए अपमानजनक’ बताया।
- रूसी दूत एडुआर्ड डी स्टोकल ने माना कि औपनिवेशिक हालात बहुत खराब हो चुके थे।
अमेरिका में प्रतिक्रिया
- इसे ‘सीवर्ड की मूर्खता’ (Seward’s Folly) कहते हुए अमेरिका के विदेश सचिव विलियम सीवर्ड पर तंज किया गया।
- न्यूयॉर्क डेली ट्रिब्यून ने इसे ‘बर्फीली वीरान ज़मीन’ बताया।
बाद में अलास्का का महत्व
- 1896 में सोने की खोज के बाद अलास्का की अहमियत बढ़ी।
- 1950-60 के दशक में तेल एवं गैस के भंडार मिले।
- 1959 में अलास्का अमेरिका का 49वां राज्य बना।
वर्तमान स्थिति
- कुछ रूसी राष्ट्रवादी आज भी इस सौदे को गलत मानते हैं और अलास्का की ‘वापसी’ की मांग करते हैं, जो कि व्यवहारिक रूप से असंभव है।
निष्कर्ष
अलास्का की बिक्री इतिहास का एक ऐसा अध्याय है जिसमें आर्थिक मजबूरी, भू-राजनीतिक रणनीति और औपनिवेशिक नीतियों का गहरा मेल देखने को मिलता है।