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एम्बरग्रीस: अवैध व्यापार एवं खतरे

अहमदाबाद ग्रामीण पुलिस ने 2.97 किग्रा. एम्बरग्रीस जब्त किया है जिसकी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमत लगभग 2.97 करोड़ रुपए है। भारत में एम्बरग्रीस का व्यापार वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत प्रतिबंधित है। 

एम्बरग्रीस के बारे में 

  • यह स्पर्म व्हेल (Physeter Macrocephalus) के पाचन तंत्र में बनने वाला दुर्लभ पदार्थ है।
  • यह मोम जैसा पदार्थ होता है, जिसे ‘व्हेल की उल्टी’ (Whale’s Vomit) भी कहा जाता है।
  • प्राकृतिक रूप से यह समुद्र में तैरता हुआ या तटों पर बहकर आता है किंतु इसे अवैध शिकार द्वारा भी प्राप्त किया जाता है।

प्रमुख गुण

  • रंग और बनावट: भूरा, काला, धूसर या सफेद; मोम जैसी चिकनी बनावट
  • घनत्व: हल्का, पानी पर तैरता है, जिससे समुद्र में आसानी से मिलता है।
  • रासायनिक संरचना: मुख्य रूप से एम्ब्रीन (Ambrein), एक अल्कोहल यौगिक और अन्य कार्बनिक पदार्थ।
  • स्थायित्व: रासायनिक रूप से स्थिर, जो इसे इत्र में फिक्सेटिव के लिए आदर्श बनाता है।

उपयोग 

  • इत्र उद्योग में फिक्सेटिव के रूप में उपयोग किया जाता है जो सुगंध को लंबे समय तक बनाए रखता है। 
  • लक्जरी परफ्यूम में यह मधुर सुगंध के लिए अत्यधिक मूल्यवान है। 
  • पारंपरिक चिकित्सा में उपयोग, जैसे- पाचन और कामोत्तेजक गुणों के लिए किया जाता है।
  • कुछ संस्कृतियों में इसे सजावटी वस्तुओं के लिए भी उपयोग किया जाता है।

अवैध व्यापार

  • भारत सहित कई देशों में एम्बरग्रीस का व्यापार पूरी तरह प्रतिबंधित है।
  • इसके बावजूद उच्च कीमत मिलने के कारण स्मगलिंग और अवैध व्यापार का नेटवर्क सक्रिय रहता है।
  • इस अवैध व्यापार से न केवल वन्यजीव संरक्षण कानूनों का उल्लंघन होता है, बल्कि स्पर्म व्हेल जैसी दुर्लभ प्रजातियों के अस्तित्व पर भी खतरा बढ़ता है।

नियम एवं कानून

  • भारत में एम्बरग्रीस का व्यापार व संग्रहण प्रतिबंधित है क्योंकि स्पर्म व्हेल को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I (Schedule-I) के अंतर्गत उच्चतम सुरक्षा प्राप्त है।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी यह CITES (Convention on International Trade in Endangered Species) के तहत संरक्षित है और इसके व्यापार पर प्रतिबंध है।
  • एम्बरग्रीस से जुड़ा कोई भी व्यापार या लेन-देन कानूनी अपराध माना जाता है, जिसके लिए सजा और जुर्माना हो सकता है।

यह भी जानें!

स्पर्म व्हेल (Sperm Whale) के बारे में

  • वैज्ञानिक नाम : Physeter macrocephalus
    • यह सबसे बड़ी दाँतेदार व्हेल (Largest toothed whale) प्रजाति है।
  • वजन : नर व्हेल का औसत वजन लगभग 35-45 टन होता है।
  • लंबाई : नर की लंबाई लगभग 16-20 मीटर तक हो सकती है।
  • आवास : यह गहरे समुद्रों में पाई जाती है, विशेषकर उष्णकटिबंधीय (tropical) और उप-उष्णकटिबंधीय (subtropical) क्षेत्रों में।
  • आहार : मुख्यतः स्क्विड, ऑक्टोपस और मछलियाँ खाती हैं।
  • गोताखोरी क्षमता : 1000 मीटर से भी अधिक गहराई तक गोता लगा सकती है और लगभग 90 मिनट तक पानी के अंदर रह सकती है।
  • विशेष अंग : इसके सिर में स्पर्मासेटी (Spermaceti) ऑर्गन होता है, जिसमें मोम जैसा तरल (spermaceti oil) भरा होता है, जिसका वाणिज्यिक उपयोग किया जाता है।
  • एम्बरग्रीस (Ambergris) : इसकी पाचन प्रणाली से निकलने वाला एक दुर्लभ पदार्थ, जिसका उपयोग इत्र उद्योग में होता है।
  • प्रजनन : लगभग 14-16 महीने के गर्भकाल के बाद एक बच्चे का जन्म।
  • आयु : सामान्यत: 70 वर्ष तक जीवित रह सकती है।
  • संरक्षण स्थिति
    • IUCN Red List में संकटग्रस्त (Vulnerable) के रूप में सूचीबद्ध।
    • भारत में यह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I के अंतर्गत।
    • CITES : अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसके व्यापार पर प्रतिबंध है।
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