New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM Hindi Diwas Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 15th Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM Hindi Diwas Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 15th Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM

अरावली सफारी पार्क परियोजना एवं संबंधित मुद्दे

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण)

संदर्भ 

भारतीय वन सेवा के कई सेवानिवृत्त अधिकारियों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर हरियाणा में प्रस्तावित अरावली सफारी पार्क परियोजना को रद्द करने का आग्रह किया है।

अरावली सफारी पार्क परियोजना के बारे में

  • क्या है : राज्य के अरावली क्षेत्र में पर्यटन की संभावनाओं का विकास करने के लिए हरियाणा पर्यटन विभाग द्वारा प्रस्तावित परियोजना 
  • सम्मिलित क्षेत्र : इसका प्रसार गुरुग्राम एवं नूंह जिले में 
  • विभिन्न मनोरंजक एवं उपयोगी सुविधाओं से युक्त 

अरावली सफारी परियोजना क्षेत्र का महत्त्व

  • प्राचीनतम श्रृंखला : गुरुग्राम एवं नूंह के दक्षिणी जिलों की पहाड़ियाँ दुनिया की सबसे पुरानी परतदार पर्वत श्रृंखला अरावली का हिस्सा हैं।
  • विस्तार : अरावली श्रृंखला दक्षिण-पश्चिम में गुजरात के चंपानेर से लेकर उत्तर-पूर्व में दिल्ली के पास तक लगभग 690 किलोमीटर में विस्तृत है।
  • पारिस्थितिक महत्व : यह पूर्वी राजस्थान की ओर थार रेगिस्तान के प्रसार को रोककर मरुस्थलीकरण का रोकथाम करती है और अपनी अत्यधिक खंडित एवं अपक्षयित गुणवत्ता वाली चट्टानों के साथ एक जलभृत की भूमिका निभाती है जिससे पानी रिसता है तथा भूजल को रिचार्ज करता है।
    • यह वन्यजीवों एवं पौधों की प्रजातियों की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए समृद्ध आवास भी है।

परियोजना के विरोध का कारण 

  • पत्र लिखने वाले सेवानिवृत्त अधिकारियों का तर्क है कि इस परियोजना का उद्देश्य केवल पर्यटकों की संख्या बढ़ाना है, न कि पर्वत श्रृंखला का संरक्षण करना।
  • पारिस्थितिकी के प्रति संवेदनशील क्षेत्र में किसी भी हस्तक्षेप का प्राथमिक उद्देश्य ‘संरक्षण एवं बहाली’ होना चाहिए, न कि विनाश करना। 
  • बढ़ते आवागमन, वाहनों की आवाजाही एवं निर्माण कार्यों के कारण अरावली पहाड़ियों के नीचे के जलभृतों में विकृति आएगी जो गुरुग्राम एवं नूंह के जल-संकटग्रस्त जिलों के लिए महत्वपूर्ण भंडार हैं।
    • दोनों जिलों में भूजल स्तर को केंद्रीय भूजल बोर्ड द्वारा अति-शोषित के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • इसके अतिरिक्त, यह परियोजना स्थल ‘वन’ की श्रेणी में आता है जिसे वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के तहत संरक्षित किया गया है।

अरावली की सुरक्षा के लिए कानून

  • न्यायालय द्वारा संरक्षण : हरियाणा में लगभग 80,000 हेक्टेयर अरावली पर्वतीय क्षेत्र का अधिकांश भाग विभिन्न कानूनों तथा सर्वोच्च न्यायालय एवं राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के आदेशों के तहत संरक्षित है।
  • पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम, 1900 : यह अधिनियम अरावली को सबसे व्यापक संरक्षण प्रदान करता है।
    • इस अधिनियम की विशेष धारा 4 एवं 5, गैर-कृषि उपयोग के लिए पहाड़ियों में भूमि खनन और वनों की कटाई को प्रतिबंधित करती है।
  • भारतीय वन अधिनियम : इस परियोजना का प्रस्तावित क्षेत्र इस अधिनियम के तहत ‘वन’ के रूप में संरक्षित है।
  • एन.सी.आर. क्षेत्रीय योजना, 2021 : यह योजना राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के अंतर्गत अरावली एवं वन क्षेत्रों को ‘प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्र’ के रूप में नामित करती है और अधिकतम निर्माण सीमा को 0.5% तक सीमित करती है।

आगे की राह

  • सरकार को पर्यटन एवं पर्यावरण संरक्षण के मध्य संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता है जिससे परियोजना क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों का अति दोहन न हो।
  • सरकार को स्थानीय समुदायों के साथ विमर्श द्वारा भी निर्णय लेना चाहिए।
  • सफारी पार्क के स्थान पर राज्य सरकार को अरावली में राष्ट्रीय उद्यान या अभयारण्य घोषित करना चाहिए।
  • हालांकि, राज्य में पर्यटन उद्योग एवं रोजगार के विकास के लिए अन्य परियोजनाओं को विकसित करने पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X