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DGCA के हवाई सुरक्षा सुधार और इसके व्यापक प्रभाव

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक मुद्दे)

संदर्भ

इंडिगो द्वारा बड़ी संख्या में उड़ानों के रद्द और देरी होने के कारण यात्रियों में भारी असंतोष देखने को मिला। 5 दिसंबर 2025 को DGCA ने इंडिगो को पायलटों पर लागू नई नाइट-ड्यूटी सीमा से अस्थायी छूट दी। यह कदम लगातार ऑपरेशनल व्यवधान, क्रू की कमी और यात्रियों की बढ़ती कठिनाइयों के बीच लिया गया।

मुद्दा क्या है 

  • 1 नवंबर 2025 से लागू हुए नए ‘फ्लाइट ड्यूटी समय सीमा’ (FDTL) नियमों ने पायलटों के लिए साप्ताहिक अनिवार्य विश्राम को 48 घंटे तक बढ़ा दिया।
  • पायलट अब हफ्ते में केवल दो बार ही नाइट लैंडिंग कर सकते हैं (पहले यह सीमा छह थी)।
  • इंडिगो ने स्वीकार किया कि उसने पायलटों की आवश्यक संख्या का सही अनुमान नहीं लगाया, जिसके चलते योजना में गलत निर्णय और कमी पैदा हुई।
  • परिणामस्वरूप, 400 से अधिक उड़ानें रद्द करनी पड़ीं और हजारों यात्री तीन-तीन दिन एयरपोर्ट पर फंसे रहे।
  • इसी संकट को देखते हुए DGCA ने इंडिगो को नाइट-फ्लाइंग प्रतिबंध से 10 फरवरी 2026 तक छूट दी।

FDTL से जुड़े DGCA के प्रमुख नियम

  • पायलटों के लिए अनिवार्य साप्ताहिक विश्राम अवधि बढ़ाकर 48 घंटे करना।
  • हफ्ते में केवल दो नाइट-टाइम लैंडिंग की अनुमति।
  • ‘नो लीव सब्स्टीट्यूशन’ नियम के अनुसार साप्ताहिक विश्राम की जगह अवकाश नहीं लगाया जा सकता।
  • DGCA ने इंडिगो की स्थिति देखते हुए यह प्रावधान वापस ले लिया, जिससे पायलटों की उपलब्धता बढ़ सके।
  • DGCA ने ऑपरेशनल स्थिति देखते हुए अतिरिक्त लचीलापन दिया ताकि उड़ान संचालन स्थिर रह सके।

इसके प्रभाव

  • यात्रियों पर प्रभाव: बार-बार उड़ान रद्द होने से भारी असुविधा और आर्थिक नुकसान।
  • एयरलाइन संचालन पर प्रभाव: DGCA की छूट से इंडिगो अस्थायी रूप से अपनी उड़ान अनुसूची में स्थिरता ला सकेगी।
  • सुरक्षा को लेकर चिंता: नए नियमों का उद्देश्य पायलटों की थकान रोकना था। छूट से सुरक्षा और आराम के बीच संतुलन की चुनौती बढ़ गई है।
  • नियामक क्षमता पर सवाल: DGCA द्वारा नियमों में अचानक बदलाव से नियामक की सख्ती और स्थिरता पर बहस छिड़ गई है।
  • अन्य एयरलाइनों पर प्रभाव: इससे अन्य कंपनियां भी छूट या अधिक लचीले नियमों की मांग कर सकती हैं।

DGCA के बारे में

परिचय : DGCA भारत की वैधानिक नागरिक उड्डयन नियामक संस्था है, जिसका मुख्य उद्देश्य विमानन सुरक्षा सुनिश्चित करना, एयरवर्थनेस बनाए रखना और वैश्विक मानकों के अनुरूप नियम लागू करना है।

स्थापना

  • 1927: DGCA की स्थापना एक सरकारी संगठन के रूप में हुई।
  • 2020: Aircraft (Amendment) Act, 2020 के तहत इसे एक वैधानिक निकाय (statutory body) का दर्जा मिला।

मंत्रालय

  • DGCA नागरिक उड्डयन मंत्रालय (MoCA) के अंतर्गत कार्य करता है।

लक्ष्य

सुरक्षित, कुशल और विश्वसनीय एयर परिवहन को बढ़ावा देना, अंतरराष्ट्रीय (ICAO) मानकों के अनुरूप भारत के नागरिक उड्डयन क्षेत्र को सुदृढ़ बनाना।

मुख्य कार्य

1. सुरक्षा अनुपालन एवं नियमन 

  • नागरिक उड्डयन आवश्यताओं (CARs) बनाना और लागू करना।
  • एयरलाइंस, हवाई अड्डों, MROs और प्रशिक्षण संस्थानों का निरीक्षण, ऑडिट और सर्विलांस।

2. एयरक्राफ्ट & एयरपोर्ट प्रमाणीकरण

  • नागरिक विमानों का पंजीकरण।
  • सर्टिफिकेट ऑफ़ एयरवर्थिनेस  (Certificate of Airworthiness) जारी करना।
  • हवाई अड्डों का सुरक्षा मानकों के अनुसार निरीक्षण और प्रमाणन।

3. लाइसेंसिंग

  • पायलट, AME, ATCO, केबिन क्रू, फ्लाइट डिस्पैचर आदि के लाइसेंस जारी करना।
  • परीक्षाएं, स्किल टेस्ट और नियमित मूल्यांकन।

4. दुर्घटना जांच

  • 2250 किलोग्राम AUW तक की घटनाओं की जांच।
  • सुरक्षा प्रबंधन एवं निवारक कार्यक्रम लागू करना।

5. एयर ट्रांसपोर्ट विनियमन

  • एयर ऑपरेटर सर्टिफिकेट (AOC) जारी करना।
  • शेड्यूल्ड और नॉन-शेड्यूल्ड घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को विनियमित करना।

6. ICAO समन्वय

  • भारतीय नियमों को ICAO मानकों के अनुरूप बनाना।
  • USOAP ऑडिट में भागीदारी और वैश्विक मानदंडों का सामंजस्य।

7. प्रशिक्षण निगरानी

  • फ्लाइंग स्कूल, AME संस्थान, सिम्युलेटर सेंटर और अन्य प्रशिक्षण संस्थानों की स्वीकृति एवं निगरानी।

8. खतरनाक वस्तु & ANS निगरानी

  • खतरनाक वस्तुओं को संभालने वाले ऑपरेटरों का प्रमाणन।
  • वायु नेविगेशन सेवाओं (ANS) का विनियमन और नागरिक-सैन्य एयरस्पेस समन्वय।
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