(सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3, मुख्य फसलें- देश के विभिन्न भागों में फसलों का पैटर्न- सिंचाई के विभिन्न प्रकार एवं सिंचाई प्रणाली- कृषि उत्पाद का भंडारण, परिवहन तथा विपणन, संबंधित विषय और बाधाएँ; किसानों की सहायता के लिये ई-प्रौद्योगिकी।) |
चर्चा में क्यों
कृषि-इनपुट क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रगति के रूप में, 26 मई, 2025 को कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा 34 नए बायोस्टिमुलेंट्स (Biostimulants) को अधिसूचित किया गया है, जिससे कुल पंजीकृत बायोस्टिमुलेंट्स की संख्या 45 से अधिक हो गई है। यह कदम न केवल घरेलू उत्पादन को गति देगा बल्कि भारत को वैश्विक जैविक कृषि बाजार में अग्रणी बनने की ओर भी ले जाएगा।
क्या है बायोस्टिमुलेंट्स
- क्या है : ये ऐसे जैविक या प्राकृतिक पदार्थ होते हैं जो पौधों की वृद्धि, पोषक तत्व अवशोषण, प्रतिरोधक क्षमता तथा जैविक और अजैविक तनावों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाते हैं।
- ये पारंपरिक रासायनिक उर्वरकों या कीटनाशकों से भिन्न पौधों को सीधे पोषण न देकर उनकी आंतरिक प्रक्रियाओं को सशक्त करते हैं।
- प्रमुख बायोस्टिमुलेंट्स
- समुद्री शैवाल (Seaweed)
- ह्यूमिक और फुल्विक अम्ल (Humic & Fulvic acids)
- एमिनो एसिड्स, प्रोटीन हाइड्रोलाइजेट्स, विटामिन्स
- सूक्ष्मजीवजन्य और एंज़ाइम आधारित उत्पाद
बायोस्टिमुलेंट्स के अनुप्रयोग
- बीज उपचार: अंकुरण की गति और समानता बढ़ाने हेतु बीजों को बायोस्टिमुलेंट्स में भिगोया जाता है।
- मृदा अनुप्रयोग: बायोस्टिमुलेंट्स को मिट्टी में मिलाकर पौधों की जड़ वृद्धि और मृदा सूक्ष्मजीवों की सक्रियता बढ़ाई जाती है।
- फोलिएर स्प्रे : पौधों की पत्तियों पर छिड़काव कर सीधे पोषक सक्रियता और तनाव प्रतिरोध में सुधार किया जाता है।
- सिचाई प्रणाली में : सिंचाई प्रणाली में मिलाकर बायोस्टिमुलेंट्स को पौधों की जड़ों तक पहुँचाया जाता है।
- तनावपूर्ण परिस्थितियों में : सूखा, लवणता, तापमान असंतुलन जैसे जैविक-अजैविक तनाव में पौधों की रक्षा हेतु।
- फसल वृद्धि के विभिन्न चरणों में : अंकुरण, फूलने, फलन एवं पकने की प्रक्रिया को संतुलित और तीव्र करने हेतु।
- फसल की गुणवत्ता सुधार हेतु : फल-फूल की गुणवत्ता, भंडारण क्षमता और स्वाद सुधारने में सहायक।