(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; पर्यावरण प्रदूषण एवं संरक्षण; स्वास्थ्य संबंधित मुद्दे) |
चर्चा में क्यों
मध्यप्रदेश के भोपाल और विदिशा जिलों में दीपावली के दौरान कैल्शियम कार्बाइड गन (Carbide Gun) के प्रयोग से 100 से अधिक लोग घायल हो गए, जिनमें अधिकतर बच्चे हैं।
क्या है कार्बाइड गन
- ‘कैल्शियम कार्बाइड गन’ एक घरेलू रूप से बनाई गई अस्थायी “खिलौना बंदूक” होती है, जिसकी बाजार में कीमत लगभग ₹150 है।
- यह गन एक प्लास्टिक पाइप, गैस लाइटर, और कैल्शियम कार्बाइड के मिश्रण से तैयार की जाती है।
- जब कार्बाइड में पानी डाला जाता है, तो यह एसीटिलीन गैस (Acetylene Gas) बनाता है।
- लाइटर से स्पार्क मिलते ही यह गैस धमाके के साथ फटती है, जिससे तेज़ आवाज़ निकलती है और यही इसका “आकर्षण” बन गया है।
- परंतु इस विस्फोट में प्लास्टिक के टुकड़े छर्रे (shrapnel) की तरह बाहर निकलते हैं, जो शरीर में घुसकर गंभीर चोटें पहुँचाते हैं।
प्रमुख खतरे
- रासायनिक प्रतिक्रिया का खतरा: पानी के संपर्क में आने पर कैल्शियम कार्बाइड से निकलने वाली एसीटिलीन गैस अत्यधिक ज्वलनशील होती है, जो थोड़ी सी चिंगारी से भी विस्फोट कर सकती है।
- विस्फोटक चोटें: इस विस्फोट में छोटे-छोटे प्लास्टिक और धातु के कण बाहर निकलकर आंख, चेहरा और त्वचा को गंभीर रूप से घायल कर देते हैं।
- आग और जलन: एसीटिलीन गैस के जलने से त्वचा पर झुलसने या आग लगने का खतरा रहता है।
- बच्चों में आकर्षण का खतरा: इन गनों को खिलौने की तरह देखा जाता है, जिससे बच्चे अज्ञानता में प्रयोग करते हैं और गंभीर दुर्घटनाओं का शिकार बनते हैं।
हानिकारक प्रभाव
- स्वास्थ्य पर प्रभाव:
- आंखों की रोशनी खोने के मामले सामने आए हैं।
- कई बच्चों को चेहरे और त्वचा पर स्थायी निशान या जलन की समस्या हुई है।
- विस्फोट से कानों पर असर, सिरदर्द और मानसिक आघात जैसी स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
- पर्यावरण पर प्रभाव:
- कैल्शियम कार्बाइड से निकलने वाली गैसें वायु प्रदूषण में वृद्धि करती हैं।
- प्लास्टिक पाइप और अन्य अपशिष्ट सामग्री कचरे के रूप में पर्यावरण में विषाक्तता फैलाते हैं।
- यह प्रक्रिया ध्वनि प्रदूषण को भी बढ़ाती है, जिससे पशु-पक्षियों पर दुष्प्रभाव पड़ता है।
आगे की राह
- कठोर प्रतिबंध: ऐसे खतरनाक उत्पादों की बिक्री, निर्माण और वितरण पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए।
- जागरूकता अभियान: स्कूलों और समुदायों में बच्चों और अभिभावकों को इसके खतरों के बारे में बताया जाए।
- कानूनी कार्रवाई: ऐसे उत्पाद बेचने वालों पर आपराधिक मामला दर्ज कर कड़ी सजा दी जानी चाहिए।
- सुरक्षित विकल्पों का प्रचार: दीपावली जैसे त्योहारों पर सुरक्षित, पर्यावरण-अनुकूल और पारंपरिक मनोरंजन विकल्पों को बढ़ावा दिया जाए।
- चिकित्सा सहायता: घायल बच्चों के लिए विशेष आंख और त्वचा उपचार केंद्रों की व्यवस्था की जाए और सरकारी मुआवज़ा प्रदान किया जाए।