New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 27 June, 3:00 PM The June Exclusive Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 6 June 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 22 June, 5:30 PM The June Exclusive Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 6 June 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi: 27 June, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 22 June, 5:30 PM

चंद्रयान-5 मिशन

(प्रारंभिक परीक्षा : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र- 3: प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास)

संदर्भ  

चंद्रयान-5 मिशन के लिए उपकरणों का चयन एवं इंजीनियरिंग मॉडल का परीक्षण लगभग पूरा हो चुका है। 

चंद्रयान-5 मिशन के बारे में 

  • परिचय : चंद्रयान-5, भारत एवं जापान के बीच एक संयुक्त परियोजना है जिसे LUPEX मिशन  (लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन) के नाम से भी जाना जाता है। यह चंद्रमा की सतह एवं उप-सतह में जल की उपस्थिति पर केंद्रित है। 
  • प्रमुख उद्देश्य :
    • जल एवं जल-बर्फ का पता लगाना : चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर जल की उपस्थिति, मात्रा एवं गुणवत्ता की जाँच करना।
    • रिजोलिथ (चंद्र मिट्टी) की खुदाई एवं विश्लेषण : सतह से नीचे तक ड्रिलिंग करके नमूने लेना।
    • स्थलीय विश्लेषण (In-situ Analysis) : जल, हाइड्रोजन एवं अन्य तत्वों की संरचना की पहचान करना।
  • प्रक्षेपण यान : जापानी H3 रॉकेट
  • प्रस्तावित प्रक्षेपण : वर्ष 2027-28 
  • मिशन अवधि: लगभग 100 दिन (3.5 महीने)
  • कुल उपकरण : कुल 7 (ESA एवं NASA का भी योगदान)
  • वैज्ञानिक योगदान :
    • इसरो (ISRO) : लैंडर का विकास, एक प्रमुख वैज्ञानिक उपकरण।
    • जाक्सा (JAXA): रोवर का निर्माण व संचालन, तीन वैज्ञानिक सेंसर।
    • नासा (NASA) : न्यूट्रॉन स्पेक्ट्रोमीटर। 
      • स्पेक्ट्रोमीटर के प्रयोग से चंद्र सतह पर हाइड्रोजन जैसे तत्वों की संरचना को समझा जाएगा, जिससे चंद्रमा के विकास एवं जल की उत्पत्ति पर नई जानकारी मिल सकेगी।
    • ई.एस.ए. (ESA) : मास स्पेक्ट्रोमीटर।

तकनीकी विशेषताएँ 

  • प्रौद्योगिकीय उन्नति : रोवर 25 डिग्री ढलानों पर चढ़ सकेगा और बैटरियों को सटीक अंतराल पर चार्ज किया जाएगा।
  • विस्तारित मिशन : यदि परिस्थितियाँ अनुकूल रहीं तो मिशन को चंद्रमा के दूर वाले हिस्से (Far Side) तक विस्तारित किया जा सकता है और एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग : यह मिशन वैश्विक सहयोग का उत्कृष्ट उदाहरण है जिसमें भारत, जापान, अमेरिका व यूरोप की वैज्ञानिक संस्थाएँ भागीदारी निभा रही हैं।

भू-राजनीतिक एवं अंतरिक्ष कूटनीति का आयाम

  • भारत-जापान सहयोग, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक संतुलन स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
  • भारत को चंद्र अनुसंधान में एक विश्वसनीय भागीदार व महाशक्ति के रूप में स्थापित करने की दिशा में यह मिशन निर्णायक होगा।
  • इससे भारत की स्पेस डिप्लोमेसी को बढ़ावा मिलेगा तथा ‘वैश्विक दक्षिण’ के देशों में एक प्रेरक भूमिका निभाने का अवसर मिलेगा।

निष्कर्ष

चंद्रयान-5/LUPEX मिशन न केवल भारत की वैज्ञानिक क्षमताओं को प्रकट करता है, बल्कि यह वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की निर्णायक भूमिका को भी स्थापित करता है। जल की खोज के माध्यम से यह मिशन भविष्य में चंद्रमा पर उपनिवेश और डीप स्पेस मिशनों के लिए मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

चंद्रयान मिशन 

  • चंद्रयान-1 मिशन : अक्तूबर 2008 में PSLV-C11 से प्रक्षेपित यह मिशन चंद्रमा की सतह पर पानी के अणुओं की खोज करने वाला पहला भारतीय मिशन था। 
  • चंद्रयान-2 मिशन : जुलाई 2019 में GSLV-Mk III से प्रक्षेपित इस मिशन का लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करना था। हालाँकि, अंतिम चरण के दौरान लैंडर विक्रम का संपर्क टूट गया और वह चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इसके बावजूद चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने चंद्रमा का अध्ययन जारी रखा।
  • चंद्रयान-3 मिशन (2023): भारत चंद्रयान-3 के ज़रिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला देश बना था। 
  • चंद्रयान-4 मिशन (प्रस्तावित/2027): प्रस्तावित चंद्रयान-4 मिशन एक वापसी नमूना मिशन होगा जो चंद्रमा से नमूने एकत्र करके पृथ्वी पर लाएगा ताकि चंद्र सतह की खनिज संरचना का अध्ययन किया जा सके।
  • चंद्रयान-5 मिशन: इस क्रम में चंद्रयान-5 एक वैज्ञानिक अन्वेषण मिशन है जो चंद्रमा की जल संबंधी संभावनाओं का परीक्षण करेगा।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR