(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम, सरकारी योजनाएँ) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: केंद्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन) |
संदर्भ
भारत में आंगनवाड़ी केंद्र बच्चों एवं महिलाओं की सेहत व शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। केंद्र सरकार ने हाल ही में 11 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों को प्राथमिक स्कूलों के साथ सह-स्थापित करने के दिशानिर्देश जारी किए हैं।
भारत में आंगनवाड़ी के बारे में
- क्या हैं: आंगनवाड़ी केंद्र ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में 0-6 वर्ष के बच्चों, गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए सामुदायिक केंद्र हैं।
- कार्य: पोषण, स्वास्थ्य जांच, टीकाकरण एवं प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करना।
- संख्या: भारत में 14 लाख आंगनवाड़ी केंद्र हैं जो एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) योजना का हिस्सा हैं।
- प्रबंधन: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (MoWCD) द्वारा संचालित।
पृष्ठभूमि
- शुरुआत: वर्ष 1975 में आई.सी.डी.एस. योजना के तहत शुरू, 2 अक्तूबर, 1975 को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लॉन्च।
- विस्तार: 1980 के दशक में विस्तार, 1990 के दशक में स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर जोर।
- वर्तमान स्थिति: दुनिया की सबसे बड़ी बाल विकास योजना, ग्रामीण विकास एवं महिला सशक्तिकरण में योगदान।
उद्देश्य
- 0-6 वर्ष के बच्चों का पोषण और स्वास्थ्य सुधार
- शिशु और मातृ मृत्यु दर में कमी
- प्रारंभिक शिक्षा और विकास के अवसर प्रदान करना
- गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पोषण व स्वास्थ्य शिक्षा
- सरकारी योजनाओं तक पहुँच और सामुदायिक जागरूकता
समाज में भूमिका
- कुपोषण से लड़ाई: ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुधार
- शिक्षा की नींव: प्री-स्कूल शिक्षा से औपचारिक स्कूलिंग की तैयारी
- महिला सशक्तिकरण: स्थानीय महिलाओं को आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के रूप में रोजगार
- सामुदायिक भागीदारी: समुदाय को सरकारी योजनाओं से जोड़ना
हालिया सरकारी दिशानिर्देश के बारे में
- घोषणा : 3 सितंबर, 2025 को शिक्षा मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने संयुक्त दिशानिर्देश जारी किए।
- उद्देश्य : 11 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों को प्राथमिक स्कूलों के साथ सह-स्थापित करना।
- वर्तमान स्थिति : 14 लाख आंगनवाड़ी में से 2.9 लाख पहले से ही स्कूलों के साथ जोड़े गए।
- मुख्य विशेषताएँ:
- पाठ्यक्रम संरेखण के लिए ‘आधारशिला’ पाठ्यक्रम लागू।
- डाटा एकीकरण के लिए पोषण ट्रैकर और UDISE+ को जोड़ना
- APAAR ID का उपयोग 3-6 साल के बच्चों के लिए
- लॉन्च : शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी द्वारा
आवश्यकता
- शिक्षा में निरंतरता: आंगनवाड़ी से प्राथमिक स्कूल में आसान संक्रमण
- सहयोग: आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और स्कूल शिक्षकों के बीच संयुक्त योजना
- समान अवसर: निम्न आय वर्ग के बच्चों को प्री-प्राइमरी शिक्षा
- डाटा ट्रैकिंग: एकल पहचान (APAAR ID) से बच्चों की निगरानी
इसका प्रभाव
- सकारात्मक: बेहतर पाठ्यक्रम, सामुदायिक भागीदारी और शिक्षा तक पहुंच
- नकारात्मक: कुछ केंद्रों में सुविधाओं (बिजली, रसोई) की कमी, सीमित सहयोग
अन्य सरकारी पहलें
- पोषण अभियान: कुपोषण को कम करने के लिए
- सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0: बुनियादी ढांचे और तकनीक में सुधार
- आधार लिंकेज: UIDAI के साथ जन्म से APAAR ID तक एकीकरण
सह-स्थापन की चुनौतियाँ
- सीमित सहयोग: स्कूल और आंगनवाड़ी के बीच संयुक्त गतिविधियों की कमी
- सुविधाओं की कमी: कुछ केंद्रों में बिजली, रसोई या शिक्षण संसाधनों का अभाव
- दूरी की समस्या: शहरी क्षेत्रों में 500 मीटर, ग्रामीण में 1 किमी. से अधिक दूरी नहीं होनी चाहिए।
- अधिकतम सीमा: एक स्कूल में दो से अधिक आंगनवाड़ी नहीं विलय किए जाएंगे।
आगे की राह
- बुनियादी ढांचा सुधार: सह-स्थापित केंद्रों में बिजली, रसोई और संसाधन सुनिश्चित करना
- प्रशिक्षण: आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और शिक्षकों के लिए संयुक्त प्रशिक्षण
- जागरूकता अभियान: समुदाय को सह-स्थापन के लाभों के बारे में शिक्षित करना
- तकनीकी एकीकरण: पोषण ट्रैकर और UDISE+ का पूर्ण एकीकरण
- निगरानी: सह-स्थापन की प्रभावशीलता का नियमित मूल्यांकन