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संज्ञानात्मक परीक्षण

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 4 : अभिवृत्तिः सारांश (कंटेन्ट), संरचना, वृत्ति; विचार तथा आचरण के परिप्रेक्ष्य में इसका प्रभाव एवं संबंध)

संदर्भ 

अमेरिका में आगामी राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनज़र वर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन की क्षमता जाँचने के लिए उनके संज्ञानात्मक परीक्षण (Cognitive Test) की मांग की जा रही है। 

क्या हैं संज्ञानात्मक परीक्षण

  • संज्ञानात्मक परीक्षण प्राय: मस्तिष्क के कुछ कार्यों में समस्याओं की जाँच करता है जिन्हें ‘संज्ञान’ या ‘बोध’ (Cognizance) कहा जाता है। संज्ञान के अंतर्गत सोचना, सीखना, स्मरण रखना, निर्णय करना एवं भाषा का उपयोग करना शामिल है।
  • संज्ञानता से संबद्ध समस्याओं को ‘संज्ञानात्मक दुर्बलता’ (Cognitive Impairment) कहा जाता है। यह प्राय: वृद्ध व्यक्तियों को प्रभावित करती है किंतु यह वयस्कों एवं बच्चों को भी प्रभावित करता है।
    • संज्ञानात्मक परीक्षण में सरल, त्वरित एवं बुनियादी परीक्षण शामिल होते हैं। 

संज्ञानात्मक परीक्षण के प्रकार 

मॉन्ट्रियल संज्ञानात्मक मूल्यांकन (MoCA)

  • लगभग 15 मिनट तक चलने वाले इस परीक्षण में एक छोटी सूची को याद रखना, चित्रों में छवियों को वर्गीकृत करना और आकृतियों की नकल करना शामिल है।
  •  यह परीक्षण अल्प संज्ञानात्मक क्षति का पता लगाने के लिए किया जाता है।

मिनी-मेंटल स्टेट एग्जाम (MMSE) 

  • लगभग 10 मिनट तक चलने वाले MMSE परीक्षण के दौरान तारीख बताना, उल्टी गिनती करना और कमरे में मौजूद वस्तुओं की पहचान करना आदि शामिल होता है।
  • यह परीक्षण अधिक गंभीर संज्ञानात्मक दुर्बलता का पता लगाने के लिए किया जाता है।

मिनी-कॉग (Mini-Cog)

  • लगभग 3 मिनट तक चलने वाले इस परीक्षण में वस्तुओं की एक छोटी सूची को याद करना एवं घड़ी का एक चित्र बनाना शामिल है। 
  • मिनी-कॉग सबसे छोटा एवं सरल मूल्यांकन है। 

संज्ञानात्मक परीक्षण की आवश्यकता

  • संज्ञानात्मक परीक्षण की आवश्यकता तब होती है, जब किसी व्यक्ति में स्मरण-शक्ति, सोच-विचार या मस्तिष्क संबंधी अन्य कार्यों में समस्या के लक्षण दिखाई देते हैं। ये लक्षण निम्नवत हैं :
    • अपॉइंटमेंट एवं महत्वपूर्ण घटनाओं को भूल जाना
    • प्रशासनिक निर्णयों में समस्या 
    • प्राय: चीजों का गायब हो जाना 
    • सामान्य जानकारी वाले शब्दों को बोलने में परेशानी होना 
    • संवाद, फ़िल्म या पुस्तकों में अपने विचारों की दिशा भटक जाना
    • अधिक चिड़चिड़ापन और/या चिंता महसूस करना
    • घबराहट एवं तनाव जैसी स्थिति होना 
  • कई बार संज्ञानात्मक परीक्षण ऐसी स्थतियों या विकारों में भी कराया जा सकता है जो संज्ञानात्मक क्षति का कारण बन सकती हैं। इसमें से कुछ निम्नवत हैं :
    • रक्त वाहिका विकार
    • नींद संबंधी विकार
    • हाइपोथायरायडिज्म
    • B12 जैसे कुछ विटामिनों एवं खनिजों की कमी  
    • दुर्घटना या गिरने से सिर में चोट लगना 
    • स्ट्रोक एवं यू.टी.आई. (Urinary Tract Infection) आदि 
  • हालांकि, केवल संज्ञानात्मक परीक्षण से संज्ञानात्मक क्षति के किसी अन्य कारण का निदान नहीं किया जा सकता। परीक्षण के परिणाम केवल मस्तिष्क की कार्यविधि में समस्या के बारे में कुछ जानकारी प्रदान करते हैं जिससे इसके आगे के उपचार की संभावना के बारे में जाना जा सके। 

संज्ञानात्मक विसंगति (Cognitive Dissonance)

  • यह असंगत विचार, विश्वास या दृष्टिकोण की स्थिति है और विशेष रूप से व्यवहार संबंधी निर्णय व दृष्टिकोण परिवर्तन से संबंधित है।
  • संज्ञानात्मक विसंगति शब्द का प्रयोग मानसिक परेशानी का वर्णन करने के लिए किया जाता है जिसके परिणामस्वरूप दो परस्पर विरोधी विश्वास, मूल्य या दृष्टिकोण होते हैं। लोग अपने दृष्टिकोण एवं धारणाओं में निरंतरता की तलाश करते हैं, इसलिए इस संघर्ष के कारण बेचैनी या परेशानी होती है। 
    • उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति मांसाहार के साथ-साथ स्वयं को एक पशु प्रेमी के रूप में भी सोचता है और जानवरों को मारने के विचार को नापसंद करता है तो संघर्ष की स्थिति उत्पन्न होती है।
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