(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: सरकारी नीतियों एवं विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय) |
संदर्भ
भारत सरकार ने 14 सितंबर, 2025 को रक्षा खरीद मैनुअल (Defence Procurement Manual: DPM) 2025 जारी किया है।
क्या है DPM 2025
- DPM 2025 एक व्यापक मार्गदर्शिका है, जो रक्षा मंत्रालय एवं सशस्त्र बलों के लिए सभी राजस्व खरीद प्रक्रियाओं के सिद्धांतों व प्रावधानों को निर्धारित करती है।
- यह मैनुअल करीब ₹1 लाख करोड़ मूल्य की खरीद को नियंत्रित करेगा।
- पिछला DPM वर्ष 2009 में लागू हुआ था और रक्षा व तकनीकी परिदृश्य में बदलाव को देखते हुए इसे संशोधित किया गया है।
उद्देश्य
- सशस्त्र बलों को समय पर और उचित लागत पर आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराना
- तीनों सेनाओं में संयुक्तता (Jointness) बढ़ाना
- खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता, निष्पक्षता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करना
- रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता और नवाचार को बढ़ावा देना
- निजी क्षेत्र, MSMEs, स्टार्टअप्स एवं शिक्षा संस्थानों की भागीदारी को प्रोत्साहित करना
मुख्य प्रावधान
- आत्मनिर्भरता पर जोर : रक्षा वस्तुओं और स्पेयर पार्ट्स के स्थानीय डिज़ाइन व विकास को बढ़ावा
- प्रौद्योगिकी का उपयोग : ई-प्रोक्योरमेंट, पारदर्शी टेंडरिंग एवं त्वरित निर्णय
- दंड प्रावधानों में रियायत :
- विकास चरण में Liquidity Damages (LD) नहीं
- प्रोटोटाइप के बाद न्यूनतम LD 0.1% और अधिकतम 5% (केवल अत्यधिक विलंब पर 10%)
- निश्चित ऑर्डर गारंटी : 5 वर्षों तक और विशेष परिस्थितियों में 10 वर्षों तक गारंटीकृत ऑर्डर
- सक्षम आर्थिक अथॉरिटी (CFAs) को सशक्त करना : फील्ड लेवल पर निर्णय क्षमता, फाइल मूवमेंट में कमी और समय पर भुगतान
- ग्रोथ प्रोविजन : मरम्मत/रखरखाव के कार्य में 15% अतिरिक्त वृद्धि की स्वीकृति
- लिमिटेड टेंडरिंग : ₹50 लाख तक की खरीद के लिए सीमित टेंडर की अनुमति
- प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया : DPSUs से NOC की आवश्यकता समाप्त होने से सभी को समान अवसर
नए मैनुअल की आवश्यकता
- पुरानी मैनुअल (2009) मौजूदा आधुनिक युद्ध और तकनीक की आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं थी।
- खरीद प्रक्रिया लंबी और जटिल थी, जिससे संसाधनों की उपलब्धता में देरी होती थी।
- निजी क्षेत्र की भागीदारी और नवाचार को पर्याप्त प्रोत्साहन नहीं मिल रहा था।
- व्यापार सुगमता और डिजिटल प्रक्रिया की बढ़ती आवश्यकता के अनुरूप बनाना।
प्रभाव
- यह खरीद प्रक्रिया को तेज कर सशस्त्र बलों को संसाधनों की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करेगा, जिससे सैन्य तैयारी मजबूत होगी।
- घरेलू उद्योग, विशेष रूप से एम.एस.एम.ई. एवं स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित कर आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, जिससे रक्षा विनिर्माण में नवाचार और स्वदेशीकरण को गति मिलेगी।
- कार्यशील पूंजी समस्याओं को कम करने और दंडों में छूट से उद्योगों को सहायता मिलेगी, जिससे रोजगार सृजन व आर्थिक विकास होगा।
- कुल मिलाकर, यह मैनुअल रक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता, निष्पक्षता एवं दक्षता लाएगा, जो आधुनिक युद्ध की मांगों को पूरा करेगा।
चिंताएँ
- अत्यधिक विकेंद्रीकरण से वित्तीय अनियमितताओं का खतरा
- निजी कंपनियों की क्षमता और गुणवत्ता नियंत्रण पर निगरानी आवश्यक
- पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए तकनीकी प्लेटफॉर्म का सही उपयोग जरूरी
आगे की राह
- रियल-टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम विकसित करना
- गुणवत्ता नियंत्रण और समयबद्ध डिलीवरी पर सख्त निगरानी
- उद्योग, अकादमिक संस्थानों एवं स्टार्टअप्स के बीच सहयोग को बढ़ावा
- भारत को रक्षा निर्यातक राष्ट्र बनाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं को अपनाना