(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय घटनाक्रम, आर्थिक एवं सामाजिक विकास) (सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र- 3: आर्थिक विकास, भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय) |
संदर्भ
भारत के प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने वर्ष 2025 में उत्पादन लागत निर्धारण के लिए नए नियमों की अधिसूचना जारी की है जो विशेष रूप से स्वार्थचालित मूल्य निर्धारण (Predatory Pricing) और डिस्काउंटिंग की प्रथाओं का मूल्यांकन करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
क्या है स्वार्थचालित मूल्य निर्धारण (Predatory Pricing) शोषणकारी
- स्वार्थचालित मूल्य निर्धारण एक ऐसी प्रथा है जिसमें एक कंपनी अपने उत्पाद की कीमत लागत से भी कम रखती है, ताकि वह अपने प्रतिस्पर्धियों को बाहर कर सके और बाद में एकाधिकार स्थापित करके मूल्य बढ़ा सके।
- इस तरह की प्रथाएँ मुख्यत: ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म्स, ई-कॉमर्स कंपनियाँ और त्वरित वाणिज्य सेवा प्रदाताओं में देखने को मिलती हैं जहाँ अत्यधिक डिस्काउंट्स व आकर्षक ऑफ़र्स के जरिए ग्राहकों को आकर्षित किया जाता है।
- सी.सी.आई. के अनुसार, प्रतिस्पर्धा कानून के तहत यह प्रथा एक ‘दुर्व्यवहार’ मानी जाती है और इसे प्रमुख कंपनियों द्वारा किया गया असंगत या अनुचित व्यापार व्यवहार माना जाता है।
2025 की लागत निर्धारण नियमावली की प्रमुख विशेषताएँ
- लागत आधारित मूल्यांकन : सी.सी.आई. ने ‘लागत आधारित मूल्यांकन’ को प्राथमिकता दी है जिसका तात्पर्य है कि मूल्य निर्धारण के संदर्भ में वास्तविक उत्पादन लागत को ध्यान में रखा जाएगा।
- इसमें औसत परिवर्तनीय लागत (Average Variable Cost) का प्रयोग किया जाएगा, जो उत्पादन की कुल परिवर्तनीय लागत को कुल उत्पादन से विभाजित करके प्राप्त की जाएगी।
- क्षेत्र-विशिष्ट परिभाषाओं से दूरी : इस नई नियमावली में सी.सी.आई. ने क्षेत्र-विशिष्ट लागत परिभाषाओं से बचने का निर्णय लिया है। इसके बजाय मामला-दर-मामला मूल्यांकन (Case-by-Case Assessment) की नीति अपनाई गई है जिससे प्रत्येक उद्योग और विशेष रूप से डिजिटल बाजारों के अद्वितीय एवं विकसित होते परिवेश को ध्यान में रखा जा सके।
- डिजिटल अर्थव्यवस्था पर ध्यान : डिजिटल एवं ई-कॉमर्स बाजारों की विशिष्टताओं को ध्यान में रखते हुए सी.सी.आई. ने एक लचीला व अनुकूलनशील ढाँचा तैयार किया है। इस ढाँचे का उद्देश्य समय-समय पर बदलते हुए प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण एवं उपभोक्ता व्यवहार को समझना तथा मूल्यांकन करना है।
नई नियमावली के लाभ
- स्वार्थचालित प्रथाओं पर सख्त नियंत्रण : ये विनियम स्वार्थचालित मूल्य निर्धारण एवं डिस्काउंटिंग की गंभीर प्रथाओं को नियंत्रित करने के लिए एक मजबूत कानूनी ढाँचा प्रदान करेंगे। इससे कंपनियाँ अपने प्रतिस्पर्धियों को समाप्त करने के लिए कीमतों में अनुचित कटौती नहीं कर पाएंगी।
- डिजिटल अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता : सी.सी.आई. के नए ढाँचे में डिजिटल मार्केट्स एवं ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म्स पर निगरानी रखने के लिए लचीलापन व पारदर्शिता सुनिश्चित की गई है जिससे उपभोक्ताओं तथा छोटे व्यवसायों को न्याय मिल सकेगा।
- उद्योगों के लिए अनुकूलनशीलता : विभिन्न उद्योगों की विविधताओं को समझते हुए सी.सी.आई. का यह कदम एक लचीले एवं अनुकूलनशील दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है जिससे विभिन्न प्रकार की कंपनियाँ अपनी लागत व मूल्य निर्धारण रणनीतियों को उचित तरीके से लागू कर सकें।
- अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा कानूनों के अनुरूप : यह नियम अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा कानूनों एवं न्यायशास्त्र के अनुरूप हैं जो भारत को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कानूनों के मानकों के साथ तालमेल में मदद करेंगे।