New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 27 June, 3:00 PM June End Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 27th June 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 22 June, 5:30 PM June End Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 27th June 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi: 27 June, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 22 June, 5:30 PM

जिलेवार अल्पसंख्यकों को मान्यता पर मत 

चर्चा में क्यों

हाल ही में, एक याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने मौखिक रूप से कहा कि धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यक समुदायों की जिलेवार पहचान करना ‘कानून के विपरीत’ है। न्यायालय ने टिप्पणी की कि भाषाई और धार्मिक समुदायों की अल्पसंख्यक स्थिति पर राज्यवार विचार किया जाना चाहिये।

याचिकाकर्ता के तर्क

  • याचिकाकर्ता तर्क दिया गया था कि हिंदुओं को उन राज्यों में अल्पसंख्यक का दर्जा नहीं मिलता है जहां वे सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से कमजोर एवं संख्यात्मक रूप से कम हैं। 
  • याचिका में अल्पसंख्यकों की जिलेवार पहचान करने के लिये न्यायालय से घोषणा पत्र की भी मांग की गई थी।
  • याचिकाकर्ता के अनुसार, यहूदी, बहावी और हिंदू धर्म के अनुयायी जो लद्दाख, मिजोरम, लक्षद्वीप, कश्मीर, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब एवं मणिपुर में वस्तुतः अल्पसंख्यक हैं, उनको अपनी पसंद के शिक्षण संस्थानों की स्थापना व प्रशासन का अधिकार नहीं है। 
  • इस प्रकार, यह अनुच्छेद 29 और 30 के तहत गारंटीकृत उनके मूल अधिकारों पर एक प्रतिबंध है।

सर्वोच्च न्यायालय का मत 

  • सर्वोच्च न्यायलय ने अल्पसंख्यकों को जिला स्तर पर मान्यता देने की याचिका को कानून के विपरीत बताया। साथ ही, सर्वोच्च न्यायालय ने टी.एम.ए. पाई बनाम कर्नाटक राज्य वाद के 11 न्यायाधीशों की पीठ के निर्णय का भी उल्लेख किया जो यह मानता है कि इसकी मान्यता राज्य स्तर पर दी जानी चाहिये।
  • पीठ ने कहा कि न्यायालय अल्पसंख्यक का दर्जा देने के लिये राज्यों को ‘सामान्य’ निर्देश पारित नहीं कर सकता है।
  • हालाँकि, सर्वोच्च न्यायालय ने यह संकेत दिया कि किसी विशेष राज्य में अल्पसंख्यक कोई धार्मिक या भाषाई समुदाय संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 के तहत अपने स्वयं के शिक्षण संस्थानों को स्थापित तथा संचालित करने के अधिकार का दावा कर सकते हैं।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR