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डोंगरिया कोंध जनजाति

डोंगरिया कोंध (Dongria Kondh) जनजाति ओडिशा राज्य की एक विशिष्ट व पारंपरिक जनजाति है जो मुख्यतः नियमगिरि की पहाड़ियों में निवास करती है। यह जनजाति खनन के खिलाफ संघर्ष के लिए जानी जाती है। 

डोंगरिया कोंध जनजाति के बारे में 

  • परिचय : यह ‘कोंध’ जनजाति का एक विशिष्ट पर्वतीय (Hill-dwelling) उपसमूह है जो अपनी प्रकृति-पूजक जीवनशैली, पारंपरिक कृषि, स्वशासन संरचना व सांस्कृतिक स्वायत्तता के लिए प्रसिद्ध है।
    • इन्हें भारत सरकार द्वारा अनुसूचित जनजाति (ST) के रूप में मान्यता प्राप्त है।

Dongria-Kondh-Tribe

  • भौगोलिक वितरण : ओडिशा के रायगढ़, कालाहांडी व कोरापुट जिलों में नियमगिरि पर्वतमाला (पूर्वी घाट का हिस्सा) क्षेत्र में 
  • निवास स्थल : छोटे-छोटे, अलग-अलग बस्तियों (Hamlets) में रहते हैं जिन्हें वे ‘पेंझा’ कहते हैं। 
  • भाषा एवं संवाद : ये ‘कुई’ (Kui) भाषा बोलते हैं जोकि एक प्राचीन द्रविड़ भाषा है।  
    • यह भाषा केवल मौखिक परंपरा में उपलब्ध है। इसकी कोई औपचारिक लिपि नहीं है तथा लोकगीतों, कथाओं व प्रार्थनाओं के माध्यम से पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित होती है। 

धार्मिक विश्वास और जीवन दर्शन

  • ईश्वर : नियम राजा—नियमगिरि पहाड़ियों के अधिष्ठाता देवता
  • प्रकृति-पूजन : वृक्षों, नदियों, पहाड़ियों व जंगलों की पूजा
    • ये प्रत्येक प्राकृतिक संसाधन को जीवित मानते हैं तथा धर्म एवं प्रकृति में अंतर नहीं करते हैं। 

जीवनशैली एवं संस्कृति

  • कृषि की प्रमुख प्रणाली : पोडू खेती (झूम कृषि का स्थानीय प्रकार)
    • वन क्षेत्र का एक छोटा हिस्सा साफ़ करके अस्थायी रूप से खेती
    • फसलें : बाजरा, मक्का, हल्दी, अनन्नास, जौ, और मौसमी सब्जियाँ

पहनावा व शृंगार

  • महिलाएँ : पारंपरिक एक कपड़े की पोशाक, कान में लंबवत कई बालियाँ तथा नाक में एक साथ कई धातु की नथें, माथे पर स्थायी टैटू
  • पुरुष : रंगीन पगड़ियाँ, लंगोट व टैटू तथा कुछ पारंपरिक अस्त्र-शस्त्र भी साथ रखते हैं

सांस्कृतिक अभिव्यक्ति

  • नृत्य, संगीत एवं कथा : लोकगीतों व नृत्य के ज़रिए पौराणिक कथाएँ एवं सामाजिक संदेश
  • त्योहार : प्रकृति एवं कृषि चक्र से जुड़े उत्सव
  • प्रसिद्ध उत्सव : नीजेरा परब, नियम राजा उत्सव

चुनौतियाँ

  • शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं की सीमित पहुंच
  • पोडू खेती पर बढ़ता सरकारी प्रतिबंध
  • जलवायु परिवर्तन से कृषि चक्र पर प्रभाव
  • शहरीकरण एवं सांस्कृतिक क्षरण का दबाव

नियमगिरि संघर्ष: एक ऐतिहासिक जनजातीय आंदोलन

पृष्ठभूमि

  • खनन परियोजना : वेदांता एल्यूमिनियम लिमिटेड द्वारा नियमगिरि से बॉक्साइट खनन का प्रस्ताव
  • प्रभाव : पर्यावरणीय विनाश एवं डोंगरिया कोंध की जीवनशैली का क्षरण

विरोध व संघर्ष

  • संगठित विरोध : ग्राम सभाओं, गैर-सरकारी संगठनों व कार्यकर्ताओं के सहयोग से
  • वर्ष 2013 का सर्वोच्च न्यायालय निर्णय :
    • ग्राम सभाओं को अंतिम निर्णय का अधिकार दिया गया
    • सभी 12 ग्राम सभाओं ने खनन को खारिज किया
    • यह PESA अधिनियम की शक्ति और जनजातीय आत्मनिर्णय की ऐतिहासिक जीत थी।
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