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मुफ्त डिजिटल कंटेंट से समस्या

(प्रारंभिक परीक्षा, सामान्य अध्ययन : बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा,सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 : बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता)

संदर्भ

इंटरनेट आर्काइव नामक कंपनी को कॉपीराइट उल्लंघन के कारण पारंपरिक पुस्तक प्रकाशकों की ओर से गंभीर कानूनी बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।

क्या है मामला

  • इंटरनेट आर्काइव एक गैर-लाभकारी संस्था है जिसका उद्देश्य मल्टी-मीडिया सामग्री को डिजिटाइज़ करना, संरक्षित करना, उधार देना और साझा करना है। यह ‘वेबैक मशीन’ की मूल कंपनी है।
  • पारंपरिक प्रकाशकों का आरोप है कि इंटरनेट आर्काइव ने उनके कॉपीराइट सामग्री का उल्लंघन किया है और प्रतियों को स्कैन करके डिजिटल फाइलों को अवैध रूप से आम जनता के लिए उपलब्ध कराया है।
  • वर्ष 2020 में शुरू हुए हैचेट बुक ग्रुप बनाम इंटरनेट आर्काइव मामले में अमेरिका के एक जिला न्यायालय ने प्रकाशकों के पक्ष में आदेश जारी किया।
    • विशेष तौर पर पारंपरिक प्रकाशक इस संस्था की अस्थायी 'नेशनल इमरजेंसी लाइब्रेरी' (NEL) पहल के खिलाफ थे। 

नेशनल इमरजेंसी लाइब्रेरी

  • इंटरनेट आर्काइव ने कोविड-19 महामारी के दौरान इसकी शुरूअत की थी। इसका उद्देश्य भौतिक पुस्तकालयों के बंद रहने के दौरान ज़्यादा-से-ज़्यादा उपयोगकर्ताओं को अपने संग्रह में मौजूद ई-पुस्तकों तक पहुँच प्रदान करना था।
  • मुकदमे के बाद इस संस्था ने अपनी आपातकालीन लाइब्रेरी प्रणाली को समाप्त कर दिया। हालाँकि, इसके बावजूद इंटरनेट आर्काइव पर अभी भी समृद्ध सामग्री मौजूद है।

पारंपरिक प्रकाशकों की समस्याएँ

  • राजस्व की हानि : डिजिटल डाटा बुक्स का मुफ्त वितरण प्रकाशकों के राजस्व को प्रभावित करता है। यदि कोई पुस्तक नि:शुल्क उपलब्ध होती है, तो पाठक उसे खरीदने के बजाए मुफ्त डाउनलोड करने को प्राथमिकता देते हैं, जिससे बिक्री में कमी आती है। फिप (Fipp) के सी.ई.ओ. के अनुसार, 58% ऑनलाइन ग्राहक प्रिंट-फर्स्ट रीडर के रूप में पहचाने जाते हैं। 
    • प्रकाशन राजस्व का 60 से 80% हिस्सा अभी भी प्रिंट सामग्री की बिक्री से उत्पन्न होता है। 
  • कॉपीराइट का उल्लंघन : मुफ्त में डिजिटल डाटा बुक्स का वितरण अक्सर कॉपीराइट उल्लंघन की ओर ले जाता है। बिना अनुमति के पुस्तकों का वितरण प्रकाशकों व लेखकों के अधिकारों का हनन है।
  • गुणवत्ता में कमी : जब पुस्तकें मुफ्त में उपलब्ध कराई जाती हैं तो प्रकाशकों को उत्पादन व संपादन की लागत को कम करना पड़ता है। इससे पुस्तकों की गुणवत्ता में कमी आ सकती है।
  • प्रतिस्पर्धा का बढ़ना : हाल के वर्षों में प्रिंट मीडिया को संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि पाठकों की बढ़ती संख्या डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का चुनाव कर रही है। 
    • ग्राहकों को प्रिंट विकल्प या होम प्रिंटर के लिए डाउनलोड करने योग्य फ़ाइल का विकल्प दिया जा रहा है, उदाहरण के लिए फेसबुक की प्रिंट पत्रिका ‘ग्रो’। मुफ्त डिजिटल बुक्स के चलते प्रतिस्पर्धा बढ़ जाती है जिससे छोटे व मध्यम प्रकाशकों के लिए बाजार में टिके रहना मुश्किल हो जाता है।
  • मार्केटिंग एवं प्रचार में कठिनाई : मुफ्त डिजिटल बुक्स के व्यापक वितरण के कारण प्रकाशकों को अपनी पुस्तकों की मार्केटिंग व प्रचार में कठिनाई होती है। इससे नई पुस्तकों का प्रचार-प्रसार प्रभावित होता है।

सुझाव

  • प्रकाशक मुफ्त डिजिटल बुक्स के साथ वैल्यू एडेड सर्विसेज प्रदान कर सकते हैं, जैसे- इंटरैक्टिव सामग्री, वीडियो लेक्चर्स एवं कस्टमाइज्ड अध्ययन योजनाएँ। इससे पाठकों को अतिरिक्त लाभ मिलेगा और वे भुगतान करने के लिए प्रेरित होंगे।
  • प्रकाशक ‘फ्रीमियम मॉडल’ का उपयोग कर सकते हैं, जिसमें बुनियादी सामग्री मुफ्त में उपलब्ध कराई जाती है किंतु प्रीमियम सामग्री के लिए शुल्क लिया जाता है। इससे पाठक मुफ्त सामग्री का लाभ प्राप्त कर सकते हैं और जब उन्हें अधिक गहन जानकारी की आवश्यकता होगी, तो वे भुगतान करेंगे।
  • प्रकाशक विशिष्ट सामग्री (Exclusive Content) का निर्माण कर सकते हैं जो केवल भुगतान करने वाले ग्राहकों के लिए उपलब्ध हो। इससे उन्हें एक विशिष्ट दर्शक वर्ग प्राप्त होगा और उनके राजस्व में वृद्धि होगी।
  • डिजिटल बुक्स के वितरण के दौरान कॉपीराइट सुरक्षा के उपाय अपनाने चाहिए। डिजिटल राइट्स मैनेजमेंट (DRM) और अन्य तकनीकी उपायों का उपयोग करके पुस्तकों की अवैध प्रतियों को रोका जा सकता है।
  • प्रकाशकों को पाठकों के साथ मजबूत संबंध बनाने पर ध्यान देना चाहिए। नियमित न्यूज़लेटर्स, वेबिनार्स एवं विशेष इवेंट्स के माध्यम से पाठकों को जोड़े रखना आवश्यक है। इससे वे अपने ब्रांड के प्रति वफादार रहेंगे तथा पुस्तकों के लिए भुगतान करने के लिए तैयार होंगे।

निष्कर्ष

डिजिटल डाटा बुक्स के मुफ्त वितरण से पुस्तक प्रकाशकों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है किंतु सही रणनीतियों व उपायों को अपनाकर इन चुनौतियों को अवसरों में बदला जा सकता है। प्रकाशकों को नई तकनीकों व मॉडलों का उपयोग करके अपने व्यापार को अनुकूलित करना होगा ताकि वे इस डिजिटल युग में सफल हो सकें।

कॉपीराइट (Copyright)

कॉपीराइट बौद्धिक संपदा संरक्षण का एक रूप है जो भारतीय कानून के तहत मूल लेखन कार्यों के रचनाकारों को प्रदान किया जाता है, जैसे- साहित्यिक कार्य (कंप्यूटर प्रोग्राम, टेबल व कंपाइलेशन सहित कंप्यूटर डाटाबेस), नाटकीय, संगीतमय एवं कलात्मक कार्य, सिनेमैटोग्राफिक फिल्में व ध्वनि रिकॉर्डिंग शामिल हैं।

भारत का कॉपीराइट अधिनियम, 1957

  • यह किसी रचनाकार की बौद्धिक संपदा (Intellactual Property) के अधिकारों के संरक्षण के लिए बनाया गया था। कॉपीराइट कानून विचारों की बजाए विचारों की अभिव्यक्तियों की रक्षा करता है। 
  • कॉपीराइट अधिनियम, 1957 की धारा 13 के तहत साहित्यिक कार्यों, नाटकीय कार्यों, संगीत कार्यों, कलात्मक कार्यों, सिनेमैटोग्राफ फिल्मों व ध्वनि रिकॉर्डिंग पर कॉपीराइट संरक्षण प्रदान किया जाता है। उदाहरण के लिए पुस्तक, कंप्यूटर प्रोग्राम साहित्यिक कार्य इस अधिनियम के तहत संरक्षित हैं। 
  • कॉपीराइट के इन अधिकारों में अनुकूलन का अधिकार, पुनरुत्पादन का अधिकार, प्रकाशन का अधिकार, अनुवाद करने का अधिकार, जनता को संदेश भेजने का अधिकार आदि शामिल हैं।
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