| mains gs paper iii –Environment |
- भारत के शहरों में ठोस अपशिष्ट (Solid Waste) प्रबंधन एक बड़ी पर्यावरणीय चुनौती है।
- अधिकांश नगर निगमों के पास पुरानी डंपसाइट्स (Legacy Dumpsites) हैं जहाँ वर्षों से जमा कचरा भूमि, जल और वायु प्रदूषण का कारण बन रहा है।
- इसी समस्या के समाधान हेतु आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) ने डंपसाइट रीमेडिएशन एक्सेलरेटर प्रोग्राम (DRAP) की शुरुआत की है —एक वर्ष-लंबी लक्षित पहल, जिसका उद्देश्य है सितंबर 2026 तक “लक्ष्य जीरो डंपसाइट” प्राप्त करना।

पृष्ठभूमि: स्वच्छ भारत मिशन – शहरी (SBM-U) 2.0
- प्रारंभ: 1 अक्टूबर 2021
- लक्ष्य: 100% कचरा मुक्त (Garbage-Free) शहर बनाना।
- मुख्य उद्देश्य:
- सभी डंपसाइट्स का वैज्ञानिक सुधार (Reclamation/Remediation)।
- ठोस अपशिष्ट का पृथक्करण, पुनर्चक्रण और पुनः उपयोग।
- अपशिष्ट प्रबंधन से हरित क्षेत्र (Green Zones) का निर्माण।
DRAP क्या है?
- डंपसाइट रीमेडिएशन एक्सेलरेटर प्रोग्राम (Dumpsite Remediation Accelerator Program - DRAP)
- स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 का एक Accelerator Initiative है जो
भारत की विरासत डंपसाइट्स (Legacy Dumpsites) के वैज्ञानिक सुधार (Remediation) को गति देने के लिए शुरू किया गया है।
उद्देश्य:
- उच्च-प्रभाव वाले स्थानों को प्राथमिकता देना।
- लगभग 8.8 करोड़ मीट्रिक टन विरासत अपशिष्ट का निस्तारण।
- पुराने कूड़ाघरों को हरित क्षेत्र, पार्क या सामुदायिक भूमि में बदलना।
मंत्रालय:
- आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA)
पात्रता:
- सभी राज्य एवं संघ राज्य क्षेत्र जहाँ विरासत अपशिष्ट परियोजनाएँ चल रही हैं।
- 45,000 मीट्रिक टन से अधिक अपशिष्ट वाले स्थलों को प्राथमिकता।
- संघ शासित प्रदेशों व पूर्वोत्तर राज्यों के लिए कोई न्यूनतम सीमा नहीं।
भारत में डंपसाइट की स्थिति
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मापदंड
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आँकड़े
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कुल डंपसाइट्स
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1,428
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पूरी तरह रीमेडिएट की गई
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1,048
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कार्य प्रगति पर
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380
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केंद्रित स्थल
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214 स्थल, 202 ULBs
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कुल विरासत अपशिष्ट
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~8.8 करोड़ MT
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विरासत अपशिष्ट (Legacy Waste) क्या है?
यह वह पुराना नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (Municipal Solid Waste) है, जो वर्षों से लैंडफिल या डंपसाइट में जमा होकर आंशिक या पूर्ण रूप से विघटित हो चुका है।
इसमें शामिल हैं:
- जैव-अपघटनीय अपशिष्ट (Biodegradable waste)
- प्लास्टिक, मलबा, राख, धूल आदि
प्रमुख पर्यावरणीय जोखिम:
- लीचेट (Leachate):
- कचरे के नीचे से रिसने वाला प्रदूषित जल।
- भूजल और सतही जल को दूषित करता है।
- लैंडफिल गैस (Landfill Gas):
- अपशिष्ट अपघटन से उत्पन्न मीथेन (CH₄) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂)।
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि और विस्फोट की संभावना।
डंपसाइट प्रबंधन की प्रमुख तकनीकें (Key Technologies)
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तकनीक
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विवरण
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लाभ
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सीमाएँ
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Biocapping
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डंपसाइट को मिट्टी/जैव-परत से ढककर हरित क्षेत्र में परिवर्तित करना
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लीचेट और गैस नियंत्रित, भूमि स्थिर
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10-15 वर्षों तक रखरखाव आवश्यक
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Biomining
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सूक्ष्मजीवों द्वारा अपशिष्ट से उपयोगी पदार्थ (जैसे RDF, धातुएँ) निकालना
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अपशिष्ट में कमी, भूमि पुनः उपयोग
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तकनीकी दक्षता और निगरानी आवश्यक
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वित्तीय एवं कार्यान्वयन पहलू
- केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय सहायता: ₹550 प्रति टन अपशिष्ट
- राज्यों को माइक्रो एक्शन प्लान तैयार करना आवश्यक।
- DRAP पोर्टल से वास्तविक समय ट्रैकिंग (Real-time Monitoring)।
- कार्यान्वयन मॉडल: 5-P Framework
- Political Will
- Public Finance
- Public Advocacy
- Project Management
- Partnerships (CSR + Private Sector)
DRAP के लाभ
- लैंडफिल और लीचेट प्रदूषण में भारी कमी।
- मूल्यवान शहरी भूमि का पुनः उपयोग — पार्क, आवास या सामुदायिक क्षेत्र।
- मीथेन उत्सर्जन में कमी → जलवायु परिवर्तन शमन में योगदान।
- रोजगार सृजन (waste pickers, recycling industry)।
- शहरों की “Garbage Free” रैंकिंग में सुधार।
चुनौतियाँ
- तकनीकी दक्षता और मशीनरी की कमी।
- नगर निकायों की वित्तीय व प्रबंधन क्षमता सीमित।
- ताज़ा कचरा पुनः उसी स्थल पर डालने की प्रवृत्ति।
- निजी भागीदारी का अभाव।
- लंबी अवधि तक रखरखाव और निगरानी की चुनौती।