गुवाहाटी स्थित ‘विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उन्नत अध्ययन संस्थान’ (Institute of Advanced Study in Science and Technology : IASST) के वैज्ञानिकों ने एक अत्याधुनिक पर्यावरण-अनुकूल स्नेहक (Lubricant) विकसित किया है। IASST भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त संस्थान है।
स्नेहक (Lubricant) के बारे में
- क्या है स्नेहक (Lubricant) : यह एक ऐसा पदार्थ होता है जिसका प्रयोग घर्षण करने वाली सतहों के बीच घर्षण को कम करने के लिए किया जाता है।
- यह तरल (खनिज तेल), ठोस (ग्रेफाइट), अर्ध-ठोस (ग्रीस) या गैसीय पदार्थ (हाइड्रोजन) हो सकता है, जिसे उसकी उपयोगिता व मशीन की आवश्यकता के अनुसार चुना जाता है।
- स्नेहक का उपयोग : इसका उपयोग मशीनों में घर्षण को कम करने और उनके जीवनकाल को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
- वर्तमान स्थिति : वर्तमान में प्रयुक्त अधिकांश स्नेहक खनिज तेल पर आधारित होते हैं जो पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं। इनके निर्माण एवं उपयोग से विषाक्त पदार्थों व ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है।

पर्यावरण-अनुकूल स्नेहक
- अनुसंधानकर्ताओं की टीम ने एक नवीन जैव-आधारित स्नेहक तैयार किया है जो पारंपरिक खनिज तेल-आधारित स्नेहकों की तुलना में कहीं अधिक प्रभावी एवं टिकाऊ है।
- इसमें जैव-आधारित अरंडी के तेल में सतह-संशोधित ग्रेफाइटिक कार्बन नाइट्राइड (g-C₃N₄) को एकीकृत करके एक स्नेहक सूत्र तैयार किया।
- ऑक्टा डेसिल ट्राइक्लोरोसिलेन (OTCS) का उपयोग करके g-C₃N₄ नैनोशीट को रासायनिक रूप से संशोधित करके अरंडी के तेल के साथ स्नेहक की अनुकूलता को बढ़ाया गया, जिसके परिणामस्वरूप प्रसार क्षमता (Dispersibility) एवं स्थायित्व (Stability) में हुआ।
प्रमुख उपलब्धियाँ एवं निष्कर्ष
- घर्षण में 54% की कमी आई, जो मशीनों के अधिक कुशल संचालन का संकेत है। घिसावट की मात्रा में 60.02% की कमी आई, जिससे मशीनों के जीवनकाल में वृद्धि होती है।
- स्नेहक की भार वहन क्षमता तथा ऊष्मीय स्थायित्व में वृद्धि हुई।
- ऑक्सीकरण प्रारंभ तापमान 320°C से बढ़कर 339°C हो गया, जो इसके ऊष्मीय प्रदर्शन को दर्शाता है।
- मुक्त कण (Free Radicals) का न्यूनतम मात्रा में निर्माण होने से यह स्नेहक पर्यावरणीय दृष्टि से भी सुरक्षित है।
- यह न केवल औद्योगिक दक्षता को बढ़ावा देती है बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।