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विदेशी प्रत्यक्ष निवेश : भारत में बढ़ता प्रवाह

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास व रोज़गार से संबंधित विषय)

संदर्भ

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2025 में भारत में सकल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रवाह 11.11 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो मई 2021 के बाद का सबसे उच्च स्तर है। यह प्रवाह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में दोगुना है।

FDI क्या है

  • विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) वह निवेश है जिसमें कोई विदेशी कंपनी या व्यक्ति भारत में किसी व्यवसाय या परियोजना में सीधे पूंजी लगाता है। 
  • यह सामान्यतः 10% या उससे अधिक हिस्सेदारी खरीदने के रूप में होता है जिससे निवेशक व्यवसाय के संचालन में प्रभावी भूमिका निभा सके। 
  • FDI ‘पोर्टफोलियो निवेश’ से अलग होता है क्योंकि यह अल्पकालिक नहीं बल्कि दीर्घकालिक होता है। 
  • भारत में FDI को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) और औद्योगिक नीति एवं प्रोत्साहन विभाग (DPIIT) द्वारा विनियमित किया जाता है। 
  • इसका उद्देश्य विदेशी पूंजी, प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन विशेषज्ञता को आकर्षित करना है जो देश की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देता है।

FDI के प्रकार

FDI को मुख्य रूप से दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:

  • ग्रीनफील्ड FDI : यह नई परियोजनाओं या कारखानों की स्थापना के लिए किया जाता है जहां कोई मौजूदा व्यवसाय नहीं होता है। 
    • उदाहरणस्वरूप, कोई विदेशी कंपनी भारत में नया संयंत्र स्थापित करती है। यह रोजगार सृजन और नई तकनीक लाने में सहायक होता है।
  • ब्राउनफील्ड FDI : यह मौजूदा भारतीय कंपनियों में निवेश के माध्यम से होता है, जैसे- शेयर खरीद या विलय-अधिग्रहण। यह तेजी से बाजार में प्रवेश प्रदान करता है। 
  • इसके अलावा FDI को सेक्टर के आधार पर भी वर्गीकृत किया जाता है, जैसे- विनिर्माण, सेवाएं, आईटी आदि। 
  • रक्षा, खुदरा जैसे कुछ संवेदनशील क्षेत्रों को छोड़कर भारत में अधिकांश क्षेत्रों में 100% FDI की अनुमति है।

भारत में हालिया FDI

  • भारत में हाल के महीनों में FDI में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। वित्त वर्ष 2024-25 में कुल FDI 81.04 अरब डॉलर रहा, जो वित्त वर्ष 2023-24 के 71.3 अरब डॉलर से 14% अधिक है।
  • जुलाई 2025 में सकल FDI 11.11 अरब डॉलर पहुंच गया, जो जून 2025 के 9.2 अरब डॉलर से अधिक है और मई 2021 के बाद का उच्चतम स्तर है। 
  • शुद्ध (निवल) आधार पर जुलाई में 5.05 अरब डॉलर का प्रवाह हुआ, जबकि पिछले वर्ष इसी महीने 2.69 अरब डॉलर का बहिर्वाह था। 
  • वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (Q1) में कुल FDI 25.2 अरब डॉलर (15% वृद्धि) रहा। यह वृद्धि S&P ग्लोबल रेटिंग्स द्वारा भारत की रेटिंग अपग्रेड (BBB से BBB+), जी.एस.टी. दरों में कटौती एवं आर्थिक सुधारों से प्रेरित है।

प्रमुख निवेशक देश

  • जुलाई 2025 में FDI का सबसे बड़ा स्रोत सिंगापुर रहा। इसके बाद नीदरलैंड्स, मॉरीशस, अमेरिका और यूएई रहे। 
    • इन देशों ने कुल प्रवाह का 75% से अधिक योगदान दिया।
  • वित्त वर्ष 2024-25 में सिंगापुर ने लगभग 15 अरब डॉलर (कुल का 30%) निवेश किया, जो सातवें वर्ष लगातार शीर्ष पर है। 
  • मॉरीशस (17%), अमेरिका (11%), यूएई एवं साइप्रस प्रमुख निवेशक हैं। 
  • जून 2025 में अमेरिका, साइप्रस एवं सिंगापुर ने FDI में 75% से अधिक योगदान दिया। 
  • ये निवेश मुख्यतः वित्तीय सेवाएँ, आईटी, विनिर्माण एवं संचार क्षेत्रों में केंद्रित हैं। 
  • भारत अब 112 देशों से FDI आकर्षित कर रहा है जो वित्त वर्ष 2013-14 के 89 से वृद्धि दर्शाता है।

इसका महत्व

  • FDI भारत की अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य का प्रमुख संकेतक है, जो विदेशी निवेशकों के विश्वास को प्रतिबिंबित करता है। 
  • यह पूंजी प्रवाह के साथ-साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, कौशल विकास एवं रोजगार सृजन को बढ़ावा देता है। 
  • वित्त वर्ष 2024-25 में FDI से विनिर्माण एवं सेवाओं (जैसे- संचार, कंप्यूटर एवं व्यवसाय सेवाएँ) में निवेश बढ़ा है जो ‘मेक इन इंडिया’ और डिजिटल इंडिया जैसी योजनाओं को मजबूत करता है। 
  • शुद्ध FDI में वृद्धि से विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत होता है जो मुद्रास्फीति नियंत्रण एवं विकास परियोजनाओं में सहायक है। 
  • हालिया सुधार, जैसे- बीमा क्षेत्र में 100% FDI अनुमति और द्विपक्षीय निवेश संधियां (सऊदी अरब, कतर आदि के साथ) मध्यम से दीर्घकालिक निवेश प्रवाह को बढ़ावा देंगे। 
  • कुल मिलाकर FDI भारत को वैश्विक निवेश हब बनाने में योगदान दे रहा है, जो जी.डी.पी. वृद्धि को 6.4% से ऊपर ले जाने में मददगार सिद्ध हो रहा है।
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