(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3 : बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि) |
सन्दर्भ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 मई, 2025 को विझिनजम बंदरगाह का उद्घाटन किया जो भारतीय नौवहन एवं अर्थव्यवस्था में एक नई दिशा को दर्शाता है।
विझिनजम बंदरगाह के बारे में
- परिचय : भारत का पहला गहरे जल का ट्रांसशिपमेंट एवं अर्ध-स्वचालित बंदरगाह
- अवस्थिति : केरल के तिरुवनंतपुरम में
- लागत : 8,800 करोड़ रुपए
- महत्व : भारत की समुद्री क्षमता, आर्थिक विकास एवं वैश्विक व्यापार में रणनीतिक स्थिति को मजबूत करने की दिशा में मील का पत्थर
- थीम : सागरमाला, पीएम गति शक्ति और समुद्री अमृत काल विजन 2047 के तहत ब्लू इकोनॉमी व सतत विकास
विझिनजम बंदरगाह की विशेषताएँ
रणनीतिक अवस्थिति
- अंतरराष्ट्रीय शिपिंग मार्ग (पूर्व-पश्चिम) से 10 समुद्री मील की दूरी
- यूरोप, फारस की खाड़ी एवं सुदूर पूर्व को जोड़ने वाला महत्वपूर्ण केंद्र
प्राकृतिक गहराई
- 18-20 मीटर गहराई, 24,000 TEU (ट्वेंटी-फुट इक्विवेलेंट यूनिट) तक के बड़े कंटेनर जहाजों को समायोजित करने में सक्षम
- न्यूनतम ड्रेजिंग आवश्यक, लागत एवं पर्यावरणीय प्रभाव में कमी
तकनीकी विशेषताएँ
- भारत की सबसे ऊंची शिप-टू-शोर क्रेन और AI-संचालित पोत यातायात प्रबंधन प्रणाली
- अर्ध-स्वचालित संचालन, कार्यक्षमता एवं समय की बचत
क्षमता
- वर्तमान में 1 मिलियन TEU और वर्ष 2028 तक 5 मिलियन TEU तक विस्तार की योजना
कनेक्टिविटी
- NH-66 से 2 किमी., रेल नेटवर्क से 12 किमी., त्रिवेंद्रम हवाई अड्डे से 15 किमी.
- केरल का पहला क्लोवरलीफ इंटरचेंज कार्गो परिवहन के लिए
आर्थिक महत्व
ट्रांसशिपमेंट स्वदेशीकरण
- भारत का 75% ट्रांसशिपमेंट कार्गो विदेशी बंदरगाहों (सिंगापुर, कोलंबो, दुबई) पर निर्भर
- विझिनजम से 200-220 मिलियन डॉलर की वार्षिक राजस्व बचत
लॉजिस्टिक्स लागत में कमी
- भारतीय निर्माताओं के लिए 30-40% लागत में कमी, निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि
रोजगार सृजन
- प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार, विशेष रूप से स्थानीय समुदायों व महिलाओं के लिए
- स्वचालित क्रेन संचालन के लिए प्रशिक्षित महिला कार्यबल
क्षेत्रीय विकास
- केरल में औद्योगिक व लॉजिस्टिक्स बुनियादी ढांचे का विकास
- दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य पूर्व एवं अफ्रीका के लिए व्यापार केंद्र
रणनीतिक महत्व
वैश्विक व्यापार में स्थिति
- सिंगापुर, कोलंबो एवं दुबई के साथ प्रतिस्पर्धा, भारत को ट्रांसशिपमेंट हब के रूप में स्थापित करना
समुद्री सुरक्षा
- हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की रणनीतिक उपस्थिति को मजबूत करना
- चीन की ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ नीति का मुकाबला
भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC)
- G20 शिखर सम्मेलन 2023 में शुरूआत हुई जो भारत, UAE, सऊदी अरब, जॉर्डन, इज़राइल एवं EU को जोड़ता है।
- रसद लागत में 30% और परिवहन समय में 40% की कमी
- 16 अप्रैल, 2025 को नई दिल्ली में उच्च-स्तरीय गोलमेज सम्मेलन
सतत विकास एवं ब्लू इकोनॉमी
पर्यावरणीय स्थिरता
- न्यूनतम ड्रेजिंग व समुद्री प्रभाव, पर्यावरण-अनुकूल संचालन
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी के लिए प्रोत्साहन
तटीय समुदाय विकास
- मत्स्यपालन, पर्यटन व कौशल विकास के माध्यम से आजीविका सृजन
- मछुआरों के लिए केरोसिन सब्सिडी की मांग, गहरे समुद्र में मत्स्यन की लागत को कम करने के लिए
ब्लू इकोनॉमी
- समुद्री अमृत काल विजन 2047: विश्व स्तरीय बंदरगाह, अंतर्देशीय जल परिवहन एवं तटीय नौवहन
- 150+ परामर्श एवं 50 अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों पर आधारित 300+ कार्रवाई योग्य पहल
सरकारी पहल
सागरमाला परियोजना (2015)
- उद्देश्य : बंदरगाह आधारित विकास, तटीय नौवहन एवं कनेक्टिविटी
- उपलब्धियाँ : टर्न-अराउंड समय में 30% की कमी, बंदरगाह क्षमता दोगुनी
पीएम गति शक्ति
- जलमार्ग, रेल, राजमार्ग एवं वायुमार्गों का एकीकरण
- विझिनजम को NH-66, रेल व हवाई नेटवर्क से जोड़ना
समुद्री अमृत काल विजन 2047
- आधार: मैरीटाइम इंडिया विजन 2030।
- लक्ष्य: विश्व स्तरीय बंदरगाह, सतत समुद्री क्षेत्र, और ब्लू इकोनॉमी।
एक राष्ट्र एक बंदरगाह (ONOP)
- बंदरगाह प्रक्रियाओं और दस्तावेज़ीकरण का मानकीकरण।
- कागजी कार्रवाई में 25% कमी, रसद लागत में कमी।
बड़े बंदरगाहों का विकास
- छह बंदरगाह समूह: कोचीन-विझिनजम, चेन्नई-कामराजर-कुड्डालोर, आदि।
- क्षमता: 300-500 मिलियन टन प्रति वर्ष (MTPA) तक, PPP और आंतरिक संसाधनों के माध्यम से।
कोच्चि जहाज निर्माण क्लस्टर
- रोजगार सृजन और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा।
भविष्य में चुनौतियां
- मछुआरों की आजीविका पर प्रभाव, ईंधन लागत में वृद्धि।
- तटीय समुदायों के लिए पुनर्वास और समर्थन की आवश्यकता।
- सिंगापुर, कोलंबो, और दुबई जैसे स्थापित हब के साथ प्रतिस्पर्धा।
- रेल और सड़क कनेक्टिविटी का समयबद्ध विकास।
- वर्ष 2028 तक अगले चरण के लिए 10,000 करोड़ रुपये का निवेश।
आगे की राह
- क्षमता विस्तार : वर्ष 2028 तक 5 मिलियन TEU, मल्टी-मॉडल हब के रूप में विकास।
- वैश्विक एकीकरण : IMEC के माध्यम से यूरोप और मध्य पूर्व के साथ व्यापारिक संपर्क एवं दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीका के लिए प्रवेश द्वार।
- तकनीकी उन्नति : AI और स्वचालन का उपयोग, कार्यक्षमता और स्थिरता में सुधार।
- सतत विकास : तटीय समुदायों के लिए कौशल विकास और आजीविका कार्यक्रम एवं पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा।