| GS paper -III : Energy and Environment |
- भूतापीय ऊर्जा (Geothermal Energy) पृथ्वी के भीतर संग्रहीत ऊष्मा ऊर्जा है।
- शब्द “भू + तापीय” का अर्थ है — पृथ्वी (Geo) + ऊष्मा (Thermal)।
- यह ऊर्जा पृथ्वी के केंद्र से सतह तक प्रवाहित होती है और मुख्यतः रेडियोधर्मी तत्वों (Uranium, Thorium, Potassium) के क्षय तथा पृथ्वी के निर्माण के समय की शेष ऊष्मा से उत्पन्न होती है।
- इस ऊष्मा का उपयोग विद्युत उत्पादन, हीटिंग, कृषि और औद्योगिक प्रयोजनों में किया जा सकता है।

कार्यप्रणाली
भूतापीय ऊर्जा तकनीक भूमिगत जल या भाप के रूप में उपलब्ध ऊष्मा को निकालकर टरबाइन चलाने व बिजली उत्पन्न करने में प्रयोग करती है।
मुख्य तकनीकें —
- Dry Steam Plant – सीधे भाप से टरबाइन चलाना।
- Flash Steam Plant – गर्म जल को दबाव कम करके भाप में बदलना।
- Binary Cycle Plant – कम तापमान वाले स्रोतों से माध्यमिक द्रव के माध्यम से बिजली बनाना।
भारत में भूतापीय ऊर्जा की स्थिति
- भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने अपनी रिपोर्ट ‘Geothermal Atlas of India, 2022’ में भारत की संभावित भूतापीय ऊर्जा क्षमता 10,600 मेगावाट आंकी है।
- देश में लगभग 300 से अधिक गर्म झरने (Hot Springs) पहचाने गए हैं।
- प्रमुख क्षेत्र:
- पुगा और चुमाथांग (पूर्वी लद्दाख) — सर्वाधिक संभावना वाले स्थल
- मनिकर्ण (हिमाचल प्रदेश)
- तत्तापानी (छत्तीसगढ़)
- गोडावरी घाटी (तेलंगाना–आंध्र)
- सोन-नर्मदा बेल्ट, कंबल घाटी, हॉट स्प्रिंग्स ऑफ झारखंड और ओडिशा
भारत में हालिया विकास
- सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (SCCL) ने तेलंगाना के मनुगुरु क्षेत्र में 20 किलोवाट का पायलट भूतापीय विद्युत संयंत्र स्थापित किया है।
- GSI के अनुसार, पूर्वी लद्दाख का पुगा क्षेत्र भारत का सबसे उपयुक्त स्थान है, जहाँ उच्च तापीय प्रवाह (High Thermal Gradient) पाया गया है।
- केंद्र सरकार ने भूतापीय ऊर्जा की व्यावसायिक उपयोगिता पर अनुसंधान को बढ़ावा देने हेतु वित्तीय सहायता योजनाएँ शुरू की हैं।
सरकार की पहलें
- नवीकरणीय ऊर्जा अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रम (RERTD) –
- MNRE द्वारा चलाया गया कार्यक्रम।
- सरकारी और गैर-लाभकारी संस्थानों को 100% तक, तथा उद्योग और स्टार्टअप को 70% तक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग –
- आइसलैंड और भारत के बीच भू-तापीय तकनीकी सहयोग समझौता (MoU)।
- अमेरिका और भारत के बीच Renewable Energy Technology Action Partnership (RETAP) के अंतर्गत भूतापीय ऊर्जा को प्राथमिकता क्षेत्र घोषित किया गया है।
- GSI की पहल –
- देशभर में भू-तापीय मानचित्रण (Geothermal Mapping) किया गया।
- “भारत का भूतापीय एटलस, 2022” प्रकाशित किया गया।
भूतापीय ऊर्जा के लाभ
- स्वच्छ और नवीकरणीय स्रोत – कार्बन उत्सर्जन अत्यंत कम।
- निरंतर ऊर्जा आपूर्ति (24×7) – यह सौर या पवन ऊर्जा की तरह मौसम पर निर्भर नहीं।
- कम भूमि आवश्यकता – जलविद्युत या सौर परियोजनाओं की तुलना में।
- ग्रामीण व दूरस्थ क्षेत्रों के लिए उपयुक्त – जहाँ अन्य स्रोत सीमित हैं।
- बहुउपयोगिता – बिजली उत्पादन के साथ ही हीटिंग, ग्रीनहाउस कृषि और उद्योगों में उपयोग संभव।
चुनौतियाँ / सीमाएँ
- उच्च पूंजी लागत – ड्रिलिंग, बोरिंग और सर्वेक्षण महंगे।
- दूरस्थ स्थानों की समस्या – अधिकांश स्रोत हिमालयी या कठिन भूभागों में हैं।
- तकनीकी अनुभव की कमी – उन्नत ड्रिलिंग तकनीक भारत में सीमित है।
- पर्यावरणीय जोखिम – भूमि धंसना, विषैले रसायनों (पारा, आर्सेनिक, बोरॉन) का रिसाव।
- ऊर्जा परिवहन समस्या – दूरस्थ क्षेत्रों से ग्रिड कनेक्शन महंगा।
आगे की राह (Way Forward)
- भू-तापीय क्षेत्रों का उच्च-स्तरीय मानचित्रण और तापीय आकलन किया जाए।
- स्वदेशी तकनीक (Indigenous Tech) के विकास हेतु R&D को प्रोत्साहन।
- पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल द्वारा निवेश आकर्षित किया जाए।
- दूरस्थ क्षेत्रों में माइक्रो-ग्रिड सिस्टम विकसित कर ऊर्जा वितरण सुनिश्चित किया जाए।
- नीतिगत प्रोत्साहन (Policy Incentives) — टैक्स छूट, पूंजी सब्सिडी, और ब्याज रियायतें दी जाएं।
निष्कर्ष
भारत में भूतापीय ऊर्जा की क्षमता विशाल है - यह स्वच्छ, सतत और विश्वसनीय ऊर्जा स्रोत है। यदि सरकार, उद्योग और अनुसंधान संस्थान मिलकर तकनीकी-आर्थिक व्यवहार्यता, पर्यावरणीय सुरक्षा और अवसंरचना विकास पर ध्यान दें, तो यह ऊर्जा स्रोत भारत के ऊर्जा विविधीकरण और नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्यों (Net Zero Targets) की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।