New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM children's day offer UPTO 75% Off, Valid Till : 14th Nov., 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM children's day offer UPTO 75% Off, Valid Till : 14th Nov., 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM

वैश्विक शांति प्रार्थना उत्सव और बुद्ध अवशेष

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2: भारत एवं उसके पड़ोसी संबंध)

संदर्भ

भूटान में आयोजित वैश्विक शांति प्रार्थना उत्सव (GPPF) के अवसर पर भारत ने भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष भूटान को “सद्भावना उपहार” के रूप में सौंपे हैं। यह न केवल भारत-भूटान के आध्यात्मिक संबंधों का प्रतीक है, बल्कि वैश्विक शांति और मानवीय एकता के संदेश को भी सशक्त करता है।

वैश्विक शांति प्रार्थना उत्सव (GPPF)

  • GPPF एक 16 दिवसीय (4 से 19 नवंबर 2025) अंतरराष्ट्रीय बौद्ध उत्सव है जिसमें भूटान और अन्य देशों के हजारों भिक्षु, लामा और श्रद्धालु एकत्र होकर विश्व शांति, करुणा और सुख की प्रार्थना करते हैं।
  • यह आयोजन सभी बौद्ध परंपराओं (थेरवाद, महायान, वज्रयान आदि) को एक साथ जोड़ता है।

भारत का ‘सद्भावना उपहार’

  • 8 नवंबर 2025 को भारत से लाए गए बुद्ध अवशेष भूटान की राजधानी थिम्फू पहुँचे।
  • यह अवशेष 18 नवंबर 2025 तक भूटान में रहेंगे और इन्हें 12 से 17 नवंबर तक ताशिछोज़ोंग में सार्वजनिक दर्शन के लिए रखा जाएगा।
  • यह आयोजन भूटान के चौथे राजा जिग्मे सिंग्ये वांगचुक के 70वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में किया जा रहा है। 
  • इस अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 11–12 नवंबर को थिम्फू की यात्रा पर रहेंगे।

पिपरहवा अवशेषों का इतिहास

  • ये अवशेष उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर ज़िले में स्थित पिपरहवा से प्राप्त हुए हैं, जो प्राचीन कपिलवस्तु का हिस्सा माना जाता है।
  • इनकी खोज 19वीं सदी के अंत में ब्रिटिश पुरातत्वविद विलियम क्लैक्सटन पेप्पे (William Claxton Peppe) ने की थी।
  • बौद्ध परंपरा के अनुसार, 483 ईसा पूर्व में भगवान बुद्ध के निधन के बाद उनके शरीर के अंगों अस्थियाँ, बाल, नाखून और दाँत को आठ हिस्सों में विभाजित किया गया और विभिन्न राजाओं द्वारा स्तूपों में विराजित किया गया।
  • ये अवशेष शरीर धातु कहलाते हैं और बुद्ध की जीवंत उपस्थिति के प्रतीक माने जाते हैं।
  • यह परंपरा पूरे एशिया में फैल गई, जिससे बौद्ध तीर्थयात्रा और भक्ति परंपरा की नींव पड़ी।

भूटान में अवशेषों का महत्व

  • भूटान में इन अवशेषों की स्थापना को एक आध्यात्मिक सम्मान और भारत-भूटान मित्रता की गहराई का प्रतीक माना जा रहा है।
  • यह आयोजन “सॉफ्ट पावर डिप्लोमेसी” का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसमें धार्मिक एवं सांस्कृतिक संबंधों के माध्यम से दोनों देशों के बीच आध्यात्मिक एकजुटता और आपसी विश्वास को सुदृढ़ किया जा रहा है।
  • यह आयोजन न केवल विश्व शांति और करुणा के बौद्ध संदेश को पुनर्जीवित करता है, बल्कि दक्षिण एशिया में धर्म और कूटनीति के संगम का भी उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है। 
  • भगवान बुद्ध के अवशेषों के माध्यम से भारत ने एक बार फिर यह संदेश दिया है “शांति का मार्ग केवल उपदेशों में नहीं, बल्कि साझेदारी और श्रद्धा में निहित है।”
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X