(प्रारंभिक परीक्षा: पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन) |
केरल के कन्नूर जिले में एझिमाला के पास कक्कमपारा के तटीय क्षेत्र में ग्रेट हॉर्नबिल की दुर्लभ मौजूदगी दर्ज की गई।
ग्रेट हॉर्नबिल के बारे में
- वैज्ञानिक नाम : बुसरोस बिकोर्निस (Buceros bicornis)
- विशेषताएँ :
- आकार : लंबाई 95-130 सेमी. और पंख का विस्तार 152 सेमी.
- वजन : 2-4 किग्रा.
- कैस्क : U-आकार के सिर पर चमकीला पीला-काला कैस्क होता है। नर में कैस्क का आधार काला, मादा में लाल-पीला होता है।
- आँखें : नर की आँखें लाल, मादा की नीली-पीली होती हैं।
- आवास
- ग्रेट हॉर्नबिल मुख्यत: भारत, भूटान, नेपाल, दक्षिण-पूर्व एशिया एवं सुमात्रा के घने सदाबहार व आर्द्र पर्णपाती जंगलों में पाया जाता है।
- भारत में यह पश्चिमी घाट (केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक), हिमालय की तलहटी (उत्तराखंड, पूर्वोत्तर भारत) और पूर्वोत्तर राज्यों (अरुणाचल प्रदेश, असम) में निवास करता है।
- केरल में यह साइलेंट वैली (शांत घाटी), नेलियामपति, अथिराप्पिल्ली, अरलम एवं परंबिकुलम जैसे क्षेत्रों में पाया जाता है।
- संरक्षण स्थिति
- अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) रेड लिस्ट में वर्ष 2018 से ‘संवेदनशील’ (Vulnerable) के रूप में सूचीबद्ध
- भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-1 के तहत संरक्षित
- वैश्विक स्तर पर 62 हॉर्नबिल प्रजातियों में से 26 (40%) विलुप्त होने की कगार पर या निकट संकटग्रस्त हैं।
- खतरें
- आवास हानि : अवैध लकड़ी कटाई, कृषि विस्तार और बागानीकरण के कारण जंगलों का विनाश। अरुणाचल प्रदेश के पापुम रिजर्व फॉरेस्ट में वर्ष 2002-2019 के बीच 1,110 वर्ग किमी. प्राथमिक जंगल नष्ट हुए।
- शिकार : विशेष रूप से औषधीय उपयोग एवं सांस्कृतिक प्रथाओं के लिए हॉर्नबिल की चोंच (कैस्क), पंख एवं मांस के लिए शिकार
- मानवीय गतिविधियाँ : खनन, बांध निर्माण एवं शहरीकरण से प्राकृतिक आवासों का क्षरण
- केरल के राज्य पक्षी के रूप में
- ग्रेट हॉर्नबिल को इसकी प्रभावशाली आकार, रंग एवं कई जनजातीय संस्कृतियों में महत्व के कारण केरल व अरुणाचल प्रदेश का राज्य पक्षी घोषित किया गया है।
- मलयालम में इसे ‘मलमुझक्की वेझमबल’ कहा जाता है जिसका अर्थ है ‘पहाड़ों में गूंजने वाला हॉर्नबिल’।
हालिया आवास परिवर्तन के निहितार्थ
- एझिमाला में दर्शन:
- मई 2025 में कक्कमपारा, एझिमाला में एक नर ग्रेट हॉर्नबिल को ‘फिकस एक्सास्पेराटा’ पेड़ पर देखा गया, जो दो सप्ताह तक क्षेत्र में रहा। यह इसके सामान्य घने जंगली आवासों से भिन्न तटीय क्षेत्र है।
- यह दर्शन जैव विविधता का संकेतक है, जो दर्शाता है कि एझिमाला मानवीय बस्तियों के बावजूद पारिस्थितिकीय रूप से समृद्ध है।

- निहितार्थ:
- पारिस्थितिकीय संकेतक: हॉर्नबिल की उपस्थिति क्षेत्र में फलदार पेड़ों और स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र की मौजूदगी को दर्शाती है।
- आवास विस्तार: तटीय क्षेत्रों में दर्शन संभवतः खाद्य संसाधनों की तलाश या जंगल विखंडन के कारण हो सकता है।
- संरक्षण अवसर: यह घटना स्थानीय संरक्षण प्रयासों को बढ़ावा दे सकती है, जैसे कि फलदार पेड़ों का संरक्षण और अवैध कटाई पर रोक।
आगे की राह
- संरक्षण पहल: वन विभाग के साथ साझेदारी में सामुदायिक संरक्षण कार्यक्रम, जैसे वझाचल में कादर जनजाति द्वारा हॉर्नबिल घोंसलों की निगरानी।
- आवास संरक्षण: पश्चिमी घाट और अन्य क्षेत्रों में पुराने, घने जंगलों और घोंसला पेड़ों का संरक्षण।
- शोध और निगरानी: तटीय क्षेत्रों में हॉर्नबिल की आवाजाही और खाद्य आदतों पर दीर्घकालिक अध्ययन।
- जागरूकता और शिक्षा:स्थानीय समुदायों, विशेष रूप से जनजातियों, को हॉर्नबिल के पारिस्थितिकीय महत्व (जैसे बीज प्रसार) के बारे में शिक्षित करना।
- नीतिगत उपाय:
- भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत सख्त प्रवर्तन।
- अवैध लकड़ी कटाई और शिकार के खिलाफ कठोर दंड।
- सामुदायिक भागीदारी: हॉर्नबिल नेस्ट एडॉप्शन प्रोग्राम जैसे मॉडल को अरुणाचल प्रदेश और केरल में विस्तारित करना, जिसमें स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण और रोजगार प्रदान हो।