New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 Winter Sale offer UPTO 75% + 10% Off GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM Winter Sale offer UPTO 75% + 10% Off GS Foundation (P+M) - Delhi : 05th Jan., 2026 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 15th Dec., 11:00 AM

भारत-यूरोप में बढ़ता सहयोग

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार, भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों व राजनीति का प्रभाव)

संदर्भ 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जी-7 कूटनीति और विदेश मंत्री एस. जयशंकर का यूरोप पर नए सिरे से ध्यान एक परिवर्तनशील महाद्वीप की ओर झुकाव को दर्शाता है। यह केवल यूरोप के स्थायी आर्थिक महत्त्व या सांस्कृतिक पूंजी की मान्यता नहीं बल्कि विकसित हो रही वैश्विक कूटनीति का एक विश्लेषण है।

भारत-यूरोप सहयोग में वृद्धि के कारण

पारस्परिक प्रासंगिकता और साझा मूल्य

  • भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका : वर्तमान में भारत क्रय शक्ति क्षमता के आधार पर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जहाँ विश्व की 17% आबादी निवास करती है। भारत की नीतियाँ वैश्विक स्तर पर व्यापक प्रभाव डालती है। 
  •  यूरोपीय सॉफ्ट पावर और लोकतांत्रिक आधार : यूरोप का लोकतंत्र का इतिहास, धर्मनिरपेक्ष संविधान और सॉफ्ट पावर भारत के लिए एक पूरक मॉडल प्रस्तुत करते हैं, जिसकी जड़ें साझा लोकतांत्रिक एवं बहुलवादी परंपराओं में विद्यमान हैं।

रणनीतिक अभिसरण

  • भू-राजनीतिक संतुलन : दोनों क्षेत्रों को समान चुनौतियों, जैसे- चीन की आक्रामकता, वैश्विक आतंकवाद, जलवायु जोखिम एवं लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं की आवश्यकता का सामना करना पड़ रहा है।
    • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नौवहन की स्वतंत्रता एवं क्षेत्रीय संप्रभुता बनाए रखने की आवश्यकता है।
    • पूर्वी यूरोप (यूक्रेन युद्ध) और मध्य पूर्व में अस्थिरता के बीच भारत को एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में देखा जाता है।
  • यूरोपीय संघ-भारत मुक्त व्यापार समझौता: भारत-यूरोपीय संघ का व्यापार 2023 में 120 बिलियन यूरो से अधिक हो गया।
    • वर्तमान में जारी मुक्त व्यापार समझौते की वार्ता आर्थिक साझेदारी, निवेश एवं व्यापार एकीकरण को मज़बूत करने में परस्पर हित को रेखांकित करती है।

प्रौद्योगिकी एवं स्थिरता

  • हरित ऊर्जा, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और स्वच्छ तकनीक नए फोकस क्षेत्र हैं।
  • जलवायु वित्त, कार्बन तटस्थता और कृत्रिम बुद्धिमत्ता विनियमन पर सहयोग।

साझा चुनौतियाँ और सबक

  • लोकतांत्रिक लचीलापन : दोनों क्षेत्रों में अनुदारवादी प्रवृत्तियों, राष्ट्रवाद एवं बहुसंख्यकवाद के विरुद्ध सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। भारत एवं यूरोप को लोकतांत्रिक बहुलवाद और संविधानवाद की रक्षा करनी होगी।
  • बहुलवाद बनाम बहुसंख्यकवाद : दोनों ही भौगोलिक क्षेत्रों में जातीय-राष्ट्रवादी राजनीति का पुनरुत्थान स्पष्ट है जिसके लिए सामूहिक शिक्षा की आवश्यकता है।
  • यूक्रेन युद्ध के रुख पर मतभेद।
  • भारत के मानवाधिकार मुद्दे और यूरोपीय संघ की नैतिक कूटनीति।
  • मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने में नौकरशाही बाधाएँ।

निष्कर्ष

एक स्थिर व बहुध्रुवीय विश्व को आकार देने के लिए भारत और यूरोप के मध्य व्यापक सहयोग की आवश्यकता है। लोकतंत्र, व्यापार एवं नियम-आधारित व्यवस्था पर दोनों पक्षों का  अभिसरण एक खंडित वैश्विक परिदृश्य में उन्हें एक साथ नेतृत्व करने के लिए नैतिक व रणनीतिक आधार प्रदान करता है।

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR