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H-1B वीजा शुल्क वृद्धि और L-1 वीजा विकल्प

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय)

संदर्भ

  • अमेरिका ने H-1B वीजा के लिए नए आवेदन शुल्क में भारी वृद्धि ($100,000 तक) की घोषणा की है। इस कदम के बाद भारतीय पेशेवरों में चिंता और विकल्पों की खोज बढ़ गई है। इसी परिप्रेक्ष्य में L-1 वीजा को एक वैकल्पिक विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।
  • ये बदलाव 21 सितंबर, 2025 से लागू हो चुके हैं। नए वीजा आवेदन पर अब 80 लाख रुपए से अधिक का शुल्क देना होगा। पहले यह शुल्क केवल 215 डॉलर से 5,000 डॉलर के बीच होती थी। 
  • विदेशियों को नौकरी देने में शीर्ष कुछ कंपनियाँ इस प्रकार हैं- अमेजन > टी.सी.एस. > माइक्रोसॉफ्ट > मेटा > एप्पल > गूगल आदि।

H-1B वीजा शुल्क वृद्धि का हालिया मुद्दा

  • अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने वर्तमान H-1B आवेदन शुल्क बढ़ा दिया है।
  • यह शुल्क नई H-1B वीजा सुविधा के लिए $100,000 तक पहुँच गया है।
  • इससे भारतीय आईटी एवं बहुराष्ट्रीय कंपनी (MNC) के पेशेवरों पर वित्तीय व पेशेवर प्रभाव पड़ा।

भारतीय पेशेवरों पर प्रभाव

  • H-1B के लिए आवेदन करना महंगा और चुनौतीपूर्ण हो गया है।
  • छोटे एवं मध्यम भारतीय IT कर्मचारियों के लिए अवसर सीमित होंगे।
  • बड़े MNC अपने कर्मचारियों के लिए अन्य विकल्पों की तलाश में जुट जाएँगीं।
  • H-1B प्राप्त करने वाले धारकों में भारत (लगभग 73% के साथ) शीर्ष पर है। इसके बाद चीन (~12%) और फिलीपींस (1%), कनाडा (1%) व दक्षिण कोरिया (1%) जैसे देश हैं।  

L-1 वीजा विकल्प के बारे में

  • परिचय : L-1 वीजा एक गैर-आप्रवासी कार्य वीजा है जो बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कर्मचारियों को उनके विदेशी कार्यालयों से अमेरिकी कार्यालयों में स्थानांतरित करने की अनुमति देता है। 
  • पात्रता : विगत 3 वर्षों में कम-से-कम 1 वर्ष किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी की शाखा/सहायक/अफिलिएट में कार्यरत होना चाहिए।
    • L-1A: कार्यकारी/मैनेजेरियल भूमिका
    • L-1B: विशेष ज्ञान वाली भूमिका
  • आवेदनकर्ता: केवल कंपनी आवेदन कर सकती है; व्यक्तिगत आवेदन नहीं।

विशेषताएँ

  • कोटा नहीं: वार्षिक सीमा नहीं
  • ब्लैंकेट पेटिशन: बड़ी कंपनियाँ तेजी से आवेदन कर सकती हैं।
  • डुअल इंटेंट: ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन करने में बाधा नहीं होती है।
  • L-2 वीजा: जीवनसाथी के लिए स्वतः वर्क परमिट मिल जाता है।

लाभ

  • H-1B की तरह लॉटरी या वार्षिक सीमा नहीं
  • कर्मचारी को उसी कंपनी की US शाखा में ट्रांसफर करने की सुविधा
  • जीवनसाथी को काम करने की अनुमति

सीमाएँ

  • केवल उसी कंपनी के लिए ट्रांसफर संभव
  • अन्य नियोक्ता में स्थानांतरण (Portability) नहीं
  • समय सीमा: L-1B की 5 वर्ष और L-1A की 7 वर्ष 
  • H-1B की तरह ग्रीन कार्ड प्रक्रिया का इंतजार करते हुए एक्सटेंशन संभव नहीं
H-1B और L-1 visa की तुलना

विशेषता

H-1B

L-1

पात्रता

विशेष क्षेत्र के पेशेवर

कंपनी ट्रांसफर कर्मचारी

वार्षिक सीमा

85,000

कोई सीमा नहीं

वेतन आवश्यकता

प्रचलित मजदूरी

कोई न्यूनतम वेतन आवश्यक नहीं

आवेदन प्रकार

व्यक्तिगत + कंपनी

केवल कंपनी द्वारा

जीवनसाथी के अधिकार

H-4: सीमित

L-2: स्वतः कार्य अनुमति

L-1 क्या वास्तव में H-1B का विकल्प

  • सार्वजनिक राय: अधिकांश कर्मचारियों के लिए नहीं है।
  • बड़ी कंपनियाँ पहले से ही L-1 का उपयोग कर रही हैं।
  • छात्रों एवं नए कर्मचारियों के लिए विकल्प नहीं हैं।

निष्कर्ष

H-1B वीजा अभी भी भारत के पेशेवरों के लिए मुख्य मार्ग है। L-1 वीजा विशेषज्ञों और उच्च पदस्थ कर्मचारियों के लिए लाभकारी विकल्प है। कंपनियाँ दोनों वीजा मार्गों का स्वतंत्र रूप से उपयोग करती हैं। 

ट्रम्प के 3 वीजा कार्ड्स

गोल्ड कार्ड 

  • शुल्क : लगभग 8.8 करोड़ रुपए
  • लाभ : अमेरिका में असीमित रेसीडेंसी का अधिकार और नागरिकता पाने में मददगार

कॉरपोरेट गोल्ड कार्ड

  • शुल्क : 17.6 करोड़ रुपए
  • लाभ : कंपनी दूसरे कर्मचारी को वीजा ट्रांसफर कर सकती है और दोबारा 1.76 करोड़ रुपए देने की जरूरत नहीं

प्लेटिनम कार्ड 

  • शुल्क : 41.5 करोड़ रुपए
  • लाभ : 270 दिन तक अमेरिका में बिना कर दिए रह सकते हैं और ट्रैवल वीजा की आवश्यकता नहीं होगी। 
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