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हेसरघट्टा ग्रासलैंड संरक्षण रिज़र्व

(प्रारंभिक परीक्षा : पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन संबंधी सामान्य मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन, संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

संदर्भ

कर्नाटक सरकार ने हेसरघट्टा ग्रासलैंड को संरक्षण रिज़र्व घोषित किया है। यह निर्णय शहरीकरण के दबाव में सिकुड़ती पारिस्थितिकीय विविधता एवं प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह संरक्षण रिज़र्व न केवल जैव-विविधता का आश्रय है बल्कि बेंगलुरु क्षेत्र के जल संसाधनों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

क्या होते हैं संरक्षण रिज़र्व 

  • क्या है : संरक्षण रिज़र्व वे क्षेत्र होते हैं जो सरकार द्वारा राज्य के स्वामित्व वाली भूमि, विशेषकर राज्य के वन विभाग की भूमि, को स्थानीय समुदायों एवं ग्राम सभाओं की भागीदारी से संरक्षित करने के लिए अधिसूचित किए जाते हैं।
  • कानूनी ढांचा : भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (धारा 36A)
    • यह प्रावधान वर्ष 2002 के संशोधन के बाद जोड़ा गया था।
  • अधिसूचना : राज्य सरकार द्वारा 
    • परंतु जहाँ संरक्षण रिजर्व में केंद्रीय सरकार के स्वामित्व की कोई भूमि सम्मिलित होती है, वहाँ ऐसी घोषणा करने से पूर्व सहमति प्राप्त की जाएगी।
  • मुख्य उद्देश्य :
    • प्राकृतिक वन्यजीव गलियारों (Wildlife Corridors) की रक्षा करना
    • मानव एवं वन्यजीवों के सह-अस्तित्व को बढ़ावा देना
    • स्थानीय समुदायों को संरक्षण प्रयासों में शामिल करना
    • उन क्षेत्रों का संरक्षण जिनका जैव-विविधता के संरक्षण में महत्त्वपूर्ण योगदान है किंतु जिन्हें पारंपरिक संरक्षित क्षेत्र घोषित नहीं किया गया है। 
  • महत्व : यह राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभयारण्यों तथा आरक्षित व संरक्षित वनों के बीच जैविक गलियारे (Migration Corridors) अथवा बफर क्षेत्र के रूप में कार्य करता है।

संरक्षण रिजर्व घोषित करने की प्रक्रिया

योग्य भूमि (क्षेत्र) की पहचान

राज्य सरकार उन क्षेत्रों की पहचान करती है जो वन विभाग की भूमि, राजस्व विभाग की भूमि या समुदायों के उपयोग में आने वाली सार्वजनिक भूमि होती है। यह क्षेत्र संरक्षित क्षेत्र के निकटवर्ती हो सकता है या वन्यजीवों के लिए प्रवास मार्ग (Corridors) हो सकता है।

स्थानीय समुदायों से परामर्श 

स्थानीय ग्राम सभाओं, पंचायतों एवं अन्य हितधारकों से विचार-विमर्श किया जाता है। यदि यह भूमि समुदाय उपयोग में है तो समुदाय की सहमति आवश्यक होती है।

राज्य वन्यजीव सलाहकार बोर्ड की अनुशंसा

यह बोर्ड प्रस्तावित क्षेत्र की पारिस्थितिकी, वन्यजीवों की उपस्थिति और अन्य कारकों का मूल्यांकन करता है। यदि बोर्ड उपयुक्त समझता है तो वह राज्य सरकार को संरक्षण रिजर्व घोषित करने की सिफारिश करता है।

राज्य सरकार द्वारा अधिसूचना

राज्य सरकार वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 36A के तहत एक राजपत्र अधिसूचना जारी कर उस क्षेत्र को ‘संरक्षण रिजर्व’ घोषित करती है।

हेसरघट्टा ग्रासलैंड के बारे में 

  • भौगोलिक अवस्थिति : यह रिज़र्व हेसरघट्टा झील के समीप स्थित है जो बेंगलुरु महानगर के उत्तर-पश्चिम में है।
  • आवश्यकता : यह बेंगलुरु क्षेत्र की अंतिम शेष प्राकृतिक घासभूमि (ग्रासलैंड) है जो अब तक शहरी विकास से अपेक्षाकृत सुरक्षित बची रही है।
  • प्रकार : यह एक शुष्क उष्णकटिबंधीय घासभूमि (Tropical Savannah) है।

महत्व

  • अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र : हेसरघट्टा क्षेत्र एक सवाना घासभूमि एवं आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र को सम्मिलित करता है। यह बेंगलुरु क्षेत्र में शेष बची अंतिम घासभूमि है जो वन्यजीवों, पक्षियों, कीटों व सरीसृपों की कई विलुप्तप्राय प्रजातियों का आश्रय स्थल है।
  • कार्बन सिंक और जलवायु शमन : यह क्षेत्र प्राकृतिक कार्बन सिंक के रूप में कार्य करता है और बेंगलुरु जैसे महानगर में बढ़ती कंक्रीट संरचनाओं के प्रभाव को संतुलित करने में सहायक है। 
  • जल सुरक्षा और भूजल पुनर्भरण : यह घासभूमि अरकवती नदी, थिप्पगोंडनाहल्ली जलाशय एवं हेसरघट्टा झील का मुख्य जलग्रहण क्षेत्र है जिससे भूजल स्तर में वृद्धि होगी और बेंगलुरु की जल सुरक्षा में योगदान मिलेगा।

संरक्षण के समक्ष चुनौतियाँ

  • अवैध अतिक्रमण एवं रियल एस्टेट जैसी निर्माण गतिविधियाँ 
  • चराई एवं लकड़ी संग्रहण से स्थानीय वनस्पति पर संकट
  • संबंधित ग्रामवासियों की आजीविका आवश्यकताओं व संरक्षण लक्ष्यों के बीच संतुलन की आवश्यकता
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