(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप तथा उनके अभिकल्पन व कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय) |
संदर्भ
भारत में पर्यटन क्षेत्र तेजी से उभरता हुआ क्षेत्र है, जो रोजगार सृजन, सांस्कृतिक प्रसार एवं आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभाता है। इसी संदर्भ में नीति आयोग ने 22 अगस्त, 2025 को अपनी नई रिपोर्ट ‘Rethinking Homestays: Navigating Policy Pathways’ जारी किया है, जिसमें राज्यों के लिए एक मॉडल नीति ढांचा सुझाया गया है ताकि देश में समावेशी एवं टिकाऊ होमस्टे इकोसिस्टम विकसित किया जा सके।
क्या है होमस्टे
- होमस्टे पर्यटन का एक वैकल्पिक आवासीय मॉडल है, जिसमें पर्यटक किसी स्थानीय परिवार या गृहस्वामी के घर में ठहरते हैं।
- यह उन्हें न केवल सस्ते और सुविधाजनक आवास उपलब्ध कराता है बल्कि स्थानीय संस्कृति, खान-पान, परंपराओं एवं जीवनशैली का प्रत्यक्ष अनुभव भी प्रदान करता है।
पर्यटन क्षेत्र में होमस्टे की भूमिका
- ग्रामीण एवं अर्ध-शहरी क्षेत्रों में स्थानीय रोजगार व स्व-रोजगार को बढ़ावा
- पर्यटकों को सांस्कृतिक रूप से प्रामाणिक अनुभव उपलब्ध कराना
- स्थानीय संसाधनों के संरक्षण और सामुदायिक भागीदारी शामिल होने से सतत पर्यटन (Sustainable Tourism) को प्रोत्साहन
- अविकसित पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देकर क्षेत्रीय संतुलित विकास सुनिश्चित करना
वर्तमान सरकारी नीति
- वर्तमान में विभिन्न राज्यों की अलग-अलग होमस्टे नीतियाँ हैं। कुछ राज्यों ने पंजीकरण, कर ढांचे और प्रोत्साहन योजनाएँ बनाई हैं किंतु इनमें एकरूपता व पारदर्शिता का अभाव है।
- यही कारण है कि नीति आयोग ने एक मॉडल नीति की सिफारिश की है ताकि सभी राज्यों में समन्वित ढांचा तैयार हो सके।
नीति आयोग की रिपोर्ट के बारे में
- शीर्षक : Rethinking Homestays: Navigating Policy Pathways
- उद्देश्य : नियमन को सरल और पारदर्शी बनाना तथा समावेशी होमस्टे इकोसिस्टम का निर्माण करना
- स्रोत : रिपोर्ट एग्रीगेटर्स, होस्ट्स और नीति-निर्माताओं से प्राप्त अंतर्दृष्टियों पर आधारित
- सांस्कृतिक संरक्षण, स्थानीय उद्यमिता एवं रोजगार सृजन पर बल
प्रमुख सिफारिशें
- मॉडल नीति ढांचा : राज्यों के लिए समान नीति अपनाकर नियमन को आसान बनाना
- डिजिटल पोर्टल : पंजीकरण, नवीनीकरण एवं अनुपालन प्रबंधन के लिए केंद्रीकृत डिजिटल पोर्टल
- लाइट-टच रेगुलेशन : पर्यटकों एवं गृहस्वामियों की सुरक्षा के लिए पारदर्शी व सरल नियम
- वित्तीय प्रोत्साहन : व्यक्तिगत होमस्टे की बजाय पूरे पर्यटन गंतव्य (Destination) स्तर पर प्रोत्साहन
- क्षमता निर्माण : होस्ट्स को प्रशिक्षण और डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़कर उनकी क्षमता बढ़ाना
- विश्वास निर्माण : उपभोक्ता विश्वास मजबूत करने के लिए गुणवत्ता एवं सुरक्षा पर बल
समावेशी होमस्टे इकोसिस्टम की स्थापना में योगदान
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती
- महिलाएँ और युवाओं का उद्यमिता में आगे आना
- स्थानीय कला, शिल्प और खान-पान को बढ़ावा
- सतत पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहन
- समान अवसर और क्षेत्रीय संतुलन सुनिश्चित होना
चुनौतियाँ
- राज्यों में नीतिगत असमानता
- कर एवं पंजीकरण की जटिलताएँ
- डिजिटल साक्षरता और अवसंरचना की कमी
- पर्यटन स्थलों पर अत्यधिक दबाव और पर्यावरणीय खतरे
- गुणवत्ता नियंत्रण और सुरक्षा मानकों की निगरानी
आगे की राह
- सभी राज्यों को नीति आयोग की मॉडल नीति के अनुरूप अपने नियमों का सरलीकरण करना चाहिए।
- डिजिटल अवसंरचना और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों पर निवेश बढ़ाना होगा।
- पर्यटन स्थलों पर वाहन क्षमता (Carrying Capacity) के अनुसार विकास को सीमित करना चाहिए।
- स्थानीय समुदाय की भागीदारी और लाभ साझाकरण की प्रणाली को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
निष्कर्ष
नीति आयोग की रिपोर्ट होमस्टे क्षेत्र को औपचारिक और संगठित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल पर्यटन क्षेत्र में सतत विकास को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और स्थानीय उद्यमिता को भी नई गति मिलेगी। चुनौतियों के बावजूद यदि इसे समावेशी, पारदर्शी एवं संतुलित दृष्टिकोण से लागू किया जाए, तो भारत वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर होमस्टे डेस्टिनेशन के रूप में उभर सकता है।