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सरकारी प्रतिभूति पर तात्कालिक ज़ोर

(प्रारंभिक परीक्षा आर्थिक और सामाजिक विकास)
(मुख्य परीक्षा प्रश्न पत्र 4 -निवेश मॉडल।) 

संदर्भ

  • हाल ही में, रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने सरकारी प्रतिभूति बाज़ार (Government Securities / G-Sec market) में रिटेल निवेशकों को प्रत्यक्ष प्रवेश की अनुमति दे दी है।
  • इस प्रकार भारत उन गिने चुने देशों की सूची में शामिल हो गया है जो कि अपने यहाँ रिटेल निवेशको को सरकारी प्रतिभूति बाज़ार में ट्रेडिंग करने की अनुमति देते हैं।
  • वे सरकारी प्रतिभूति बाज़ार के प्राथमिक और द्वितीयक, दोनों बाज़ारों में गिल्ट प्रतिभूति खाता खोलकर निवेश कर सकेंगे।

सरकार को लाभ

  • इस कदम से सरकार को ऋण लेने के लिये एक बड़ा साधन मिल जाएगा। फलतः अगले वित्त वर्ष में सरकार 12 लाख करोड़ की उधारी पाने में सक्षम होगी।
  • इससे गिल्ट बाज़ार तथा ऋण बाज़ार का विस्तार हो पाएगा। यह विस्तार आर.बी.आई की निगरानी में होगा।
  • अभी ब्रिटेन, ब्राज़ील और हंगरी में ही छोटे निवेशकों को सरकारी प्रतिभूति बाज़ार में प्रतिभूतियों को सीधे खरीदने या बेचने की अनुमति है।

सरकारी प्रतिभूति क्या है

  • यह सरकार द्वारा ऋण प्राप्त करने का उपक्रम है। इसके दो प्रकार हैं,
  1. पहला ट्रेज़री बिल – यह अल्प कालिक साधन है जो कि 91 से 182 दिन में या फिर 364 दिन में परिपक्व होता हैं।
  2. दूसरा दिनांकित प्रतिभूति – जो कि दीर्घकालीन साधन है जिसके परिपक्व होने की अवधि 5 वर्ष से 40 वर्ष होती है।

छोटे निवेशक क्यों आकर्षित नहीं होते?

  • अधिकतर छोटे निवेशक अप्रत्यक्ष रूप में अपना निवेश म्युचुअल फण्ड खरीदकर या फिर जीवन बीमा की पालिसी के द्वारा करते हैं।
  • सरकारी प्रतिभूति बाज़ार कम जोखिम भरा है लेकिन यहाँ ब्याज़ उतन आकर्षक नहीं होता, जितना कंपनियों के सावधि जमा तथा छोटे बचत खातों में दिया जाता है।
  • सरकारी प्रतिभूति के द्वितीयक बाज़ार में तरलता की कमी इस बाज़ार में विकर्षण का कारण है।
  • कॉन्स्टीट्यूशनल सब्सिडियरी जनरल लेज़र अकाउंट ( CSGL ) खाता कैसे कार्य करता है निवेशकों को पता नहीं होता । यह खाता भी डी मैट खाते की तरह ही होता है।
  • एक बड़ी समस्या यह है कि G-Sec ट्रेड 5 करोड़ से कम है कुछ ट्रेडर को लगता है कि इस जगह उचित मूल्य प्राप्त नहीं किया जा सकता ,अधिकतर केस में वे बांड को परिपक्वता की सीमा तक रोके रखने के लिये दबाव बनाते हैं।

आगे की राह

  • द्वितीयक बाज़ार की तरलता को बढ़ाया जाए, जिससे कम मात्रा में अधिक से अधिक निवेश करने में आसानी हो तथा निवेशक जब चाहें इससे बाहर आ सकें।
  • आर.बी.आई द्वारा पूरी प्रक्रिया को सरल बनाया जाए और इसके लिये लोगों को आर.बी.आई के ‘ई–कुबेर’ में खाता खोलने के लिये प्रोत्साहित करना होगा।
  • G-Sec खाता बैंक के सावधि जमा (FD) की तरह कर मुक्त नहीं है, परन्तु सामान्य तौर पर यह सबसे सुरक्षित खाता होगा, क्योंकि यह सरकार द्वारा समर्थित है अतः इसमें  नुकसान होने की संभावना लगभग न के बराबर है। हालाँकि, यह पूरी तरह जोखिम रहित नहीं है।
  • यह सरकार द्वारा धन की कमी को पूरा करने में सहायक होगा और इससे रोज़गार सृजन के माध्यम से आधारभूत ढाँचे में व्यय करने हेतु पर्याप्त पूंजी जुटाने में मदद मिलेगी।
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