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कृत्रिम बुद्धिमत्ता का भारत के इंफोटेक क्षेत्र पर प्रभाव

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव।)

संदर्भ

भारतीय आईटी उद्योग 280 अरब डॉलर का राजस्व उत्पन्न करता है और 5.8 मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है जोकि एक परिवर्तनकारी दौर से गुजर रहा है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) से नौकरियों, व्यापार रणनीतियों एवं कार्य प्रक्रियाओं में बदलाव आ रहा है। टी.सी.एस. की हाल की घोषणाओं ने उद्योग क्षेत्र में चिंता पैदा की है जो ए.आई. के प्रभाव एवं अनुकूलन की आवश्यकता को दर्शाती हैं।

टी.सी.एस. की हालिया घोषणा

  • टी.सी.एस. ने अनुभवी कर्मचारियों की भर्ती पर रोक लगाई है और 12,000 कर्मचारियों को हटाने की योजना बनाई है।
  • मार्च 2025 तक कंपनी में 6,07,979 कर्मचारी थे।
  • यह घोषणा स्टॉक मार्केट, कर्मचारियों एवं ग्राहकों के लिए संदेश है कि लागत अनुकूलन, एआई-आधारित दक्षता और कौशल विकास पर ध्यान देना चाहिए।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, टी.सी.एस. उद्योग का संकेतक है जो एआई युग में अनुकूलन की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

भारत के इंफोटेक क्षेत्र के बारे में

  • भारतीय आई.टी. क्षेत्र वैश्विक डिजिटल पहचान का आधार है जिसने भारत को ‘दुनिया का बैक ऑफिस’ बनाया।
  • टी.सी.एस., इंफोसिस, विप्रो जैसी कंपनियाँ इसका नेतृत्व करती हैं। 
  • यह क्षेत्र जी.डी.पी. एवं निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान देता है और कुशल प्रतिभा, सरकारी डिजिटलीकरण समर्थन एवं स्टार्टअप इकोसिस्टम द्वारा संचालित है।
  • अब स्केल से अधिक विशेषज्ञता एवं अत्याधुनिक तकनीकों पर ध्यान केंद्रित है।

ए.आई. का प्रभाव

उत्पादकता वृद्धि

  • एआई सॉफ्टवेयर विकास जीवनचक्र में 30% से अधिक उत्पादकता को बढ़ा रहा है।
  • कोडिंग असिस्टेंट, कोड जनरेशन टूल्स और इंटेलिजेंट डिबगर्स कार्यक्षमता को बढ़ाते हैं।

व्यापक प्रभाव

  • परीक्षण एवं रखरखाव में ए.आई. मानवीय त्रुटियों को कम करता है और डाटा-आधारित अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
  • वर्ष 2025 में वैश्विक स्तर पर एआई इंफ्रास्ट्रक्चर एवं विकास पर 1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक व्यय होने की उम्मीद है।
  • एआई ग्राहक सेवा से लेकर बोर्डरूम निर्णयों तक सभी क्षेत्रों को प्रभावित कर रहा है।

भारतीय फर्मों पर प्रभाव

  • भारतीय फर्म्स डाटा सफाई, पुराने सिस्टमों का आधुनिकीकरण और अनुपालन वाली एआई समाधान प्रदान कर सकती हैं।
  • वैश्विक कंपनियां पुरान इंफ्रास्ट्रक्चर एवं डाटा की निम्न गुणवत्ता से जूझ रही हैं; भारतीय फर्म्स इन्हें ठीक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
  • एआई एवं लो-कोड प्लेटफॉर्म्स से कम लोगों के साथ अधिक तेजी से काम संभव है जिससे संगठनात्मक संरचनाएँ बदल रही हैं।
  • भारतीय फर्म्स एआई को अपनाने में ग्राहकों की मदद कर सकती हैं जिससे वे अपरिहार्य भागीदार बन सकती हैं।

चुनौतियाँ

  • एआई से नौकरियां प्रभावित हो रही हैं क्योंकि कम लोगों से ही अधिक तेजी से काम संभव हो गया है।
  • स्केल का लाभ कम हो रहा है और छोटी एआई-नेटिव फर्म्स स्वास्थ्य, रक्षा, फिनटेक जैसे क्षेत्रों में नवाचार कर रही हैं।
  • डेवलपर्स को रणनीतिक निर्णय, नैतिक विचार और रचनात्मक समस्या-समाधान पर ध्यान देना होगा।
  • ईयू एआई एक्ट जैसे वैश्विक नियम अनुपालन को जटिल बनाते हैं।
  • सी++, ओएस, गेमिंग जैसे क्षेत्रों में मानवीय कुशलता अभी अप्रभावित है किंतु अन्य क्षेत्रों में अनुकूलन आवश्यक है।

आगे की राह

  • भारतीय आईटी क्षेत्र को एआई को मुख्य क्षमता के रूप में अपनाना चाहिए।
  • पुरानी छवि को त्यागकर बुद्धिमत्तापूर्ण ऑटोमेशन और डिजिटल नवाचार में वैश्विक नेतृत्वकर्ता बनना होगा।
  • डेवलपर्स को पर्यवेक्षक एवं सहयोगी के रूप में विकसित होना चाहिए तथा गणित व कल्पना पर जोर देना होगा।
  • टी.सी.एस. की स्थिति अनुकूलन एवं विकास का आह्वान है, न कि नकारात्मक संकेत है।
  • लोग, प्रक्रियाएँ एवं पूर्वानुमानितता जैसी मजबूती इस क्षेत्र को नई ऊँचाइयों तक ले जा सकती हैं।
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