New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 5 May, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 11 May, 5:30 PM Call Our Course Coordinator: 9555124124 Request Call Back GS Foundation (P+M) - Delhi: 5 May, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 11 May, 5:30 PM Call Our Course Coordinator: 9555124124 Request Call Back

शिमला समझौते के स्थगन के निहितार्थ

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2; द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।)

संदर्भ 

भारत-पाकिस्तान के मध्य जारी तनाव के बीच 24 अप्रैल 2025 पाकिस्तान ने भारत के साथ हस्ताक्षरित शिमला समझौते को निलंबित करने की घोषणा की है। 

शिमला समझौते के बारे में 

  • शिमला समझौता (Simla Agreement) 2 जुलाई 1972 को भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच हस्ताक्षरित एक द्विपक्षीय समझौता था।
  • यह समझौता वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने और भविष्य में विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने के लिए किया गया था।​

समझौते के प्रमुख बिंदु

  • द्विपक्षीय वार्ता का सिद्धांत: भारत और पाकिस्तान ने सहमति व्यक्त की कि सभी विवादों का समाधान किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के बिना केवल आपसी बातचीत से होगा।​
  • वास्तविक नियंत्रण रेखा (LoC) की स्थापना: वर्ष 1971 के युद्ध के बाद की युद्धविराम रेखा को LoC के रूप में मान्यता दी गई, जिसे दोनों पक्षों द्वारा मान्यता दी जानी थी।​
  • युद्धबंदियों की वापसी: भारत ने पाकिस्तान के लगभग 90,000 युद्धबंदियों को रिहा किया बदले में पाकिस्तान ने शांतिपूर्ण संबंधों के लिए प्रतिबद्धता जताई।​
  • सीमा पार संचार और व्यापार की बहाली: दोनों देशों ने डाक, दूरसंचार, व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को पुनः स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की।​

निलंबन के कारण 

  • कश्मीर मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण : पाकिस्तान लगातार कश्मीर मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उठाता रहा है, जिससे भारत को यह तर्क देने का अवसर मिलता है कि शिमला समझौते का उल्लंघन किया जा रहा है।
  • LoCपर बढ़ती अशांति: बार-बार संघर्षविराम उल्लंघनों और आतंकवाद को समर्थन देने के कारण भारत में शिमला समझौते की प्रभावशीलता पर प्रश्नचिह्न खड़े हुए हैं।
  • आंतरिक राजनीतिक एजेंडा: कुछ राजनीतिक समूह शिमला समझौते को भारत की "रणनीतिक भूल" के रूप में पेश करते हैं और इसे रद्द करके एक अधिक कठोर नीति की वकालत करते हैं।
  • UN के हस्तक्षेप की अस्वीकृति: भारत हमेशा इस समझौते को यह दिखाने के लिए प्रस्तुत करता है कि कश्मीर भारत-पाक का द्विपक्षीय मुद्दा है, लेकिन पाकिस्तान UN में इसे फिर से उठाने की कोशिश करता है, जिससे समझौते की प्रासंगिकता पर बहस होती है।
  • बदलते भूराजनैतिक परिप्रेक्ष्य: चीन-पाकिस्तान की नजदीकियों और भारत की वैश्विक भूमिका के विस्तार के बीच पुराने समझौतों की समीक्षा की मांग तेज हुई है।

भारत के लिए निहितार्थ

  • राजनयिक आधार का क्षरण: शिमला समझौता भारत के लिए कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय रूप से सुलझाने का आधार था। इसका निलंबन पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाने का अवसर प्रदान कर सकता है।​
  • सीमा पर तनाव में वृद्धि: LoCपर संघर्षविराम उल्लंघनों की संभावना बढ़ सकती है, जिससे सैन्य तनाव और बढ़ सकता है।​
  • जल संसाधनों पर प्रभाव: सिंधु जल संधि के निलंबन के बाद, पाकिस्तान ने इसे "युद्ध की कार्यवाही" के रूप में संदर्भित किया है, जिससे जल विवाद और बढ़ सकता है।​
  • आर्थिक और व्यापारिक संबंधों पर प्रभाव: पाकिस्तान के वीजा निलंबन, हवाई मार्ग बंद करने और व्यापार रोकने जैसे कदमों से दोनों देशों के आर्थिक संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

निष्कर्ष

शिमला समझौता भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक ऐतिहासिक मोड़ था, जिसने द्विपक्षीय वार्ता के सिद्धांत को स्थापित किया। लेकिन वर्तमान भू-राजनीतिक परिवेश में इस समझौते की प्रभावशीलता पर सवाल उठना स्वाभाविक है। भारत के लिए यह समझौता अंतर्राष्ट्रीय हस्तक्षेप से बचने का एक मजबूत आधार है, वहीं पाकिस्तान की बार-बार की गई उल्लंघन की घटनाएँ इस समझौते की उपयोगिता को सीमित करती हैं। 

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR