(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: शासन व्यवस्था, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्त्वपूर्ण पक्ष, ई-गवर्नेंस- अनुप्रयोग, मॉडल, सफलताएँ, सीमाएँ व संभावनाएँ) |
संदर्भ
भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने हाल ही में इंडिया एआई मिशन (IndiaAI Mission) के तहत भारत एआई गवर्नेंस दिशा-निर्देश (AI Governance Guidelines) जारी किए हैं।
भारत का एआई गवर्नेंस फ्रेमवर्क
- भारत एआई गवर्नेंस दिशानिर्देशों का औपचारिक अनावरण भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद ने किया।
- यह लॉन्च आगामी ‘इंडिया-एआई इम्पैक्ट समिट 2026’ से पहले हुआ है जो भारत की जिम्मेदार एआई नीति को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करने का एक प्रमुख मंच होगा।
- भारत का एआई गवर्नेंस फ्रेमवर्क एक मानव-केंद्रित दृष्टिकोण पर आधारित है। इसका मुख्य लक्ष्य ‘किसी को नुकसान न पहुंचाएँ (Do No Harm)’ है।
- यह सिद्धांत सुनिश्चित करता है कि एआई तकनीक का प्रयोग समाज के उत्थान के लिए हो, न कि किसी वर्ग या व्यक्ति के लिए जोखिम का कारण बने।
एआई गवर्नेंस फ्रेमवर्क के चार प्रमुख घटक
- नैतिक एवं जिम्मेदार एआई के सात मार्गदर्शक सिद्धांत
- एआई गवर्नेंस के छह स्तंभों पर सिफारिशें
- लघु, मध्यम एवं दीर्घकालिक कार्ययोजना
- उद्योग, डेवलपर्स एवं नियामकों के लिए व्यावहारिक दिशा-निर्देश, ताकि एआई का पारदर्शी व जवाबदेह उपयोग सुनिश्चित हो सके।
एआई गवर्नेंस के छह स्तंभ
दिशानिर्देशों को तीन प्रमुख डोमेन में विभाजित किया गया है:
- सक्षमता (Enablement) :
- एआई अवसंरचना और क्षमता निर्माण
- अनुसंधान, नवाचार एवं प्रतिभा विकास को बढ़ावा देना
- विनियमन (Regulation) :
- जोखिम शमन और नीति-निर्माण ढांचे का निर्माण
- ‘AI रिस्क फ्रेमवर्क’ और ‘लायबिलिटी मैकेनिज्म’ तैयार करना
- पर्यवेक्षण (Oversight) :
- जवाबदेही एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करना
- निगरानी संस्थानों की स्थापना
कार्ययोजना की समय-सीमाएँ
- लघु अवधि : भारत-विशिष्ट जोखिम ढांचा तैयार करना और देयता व्यवस्था विकसित करना
- मध्यम अवधि : डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) के साथ एआई का एकीकरण बढ़ाना और सामान्य मानक स्थापित करना
- दीर्घकालिक : उभरते जोखिमों एवं तकनीकी परिवर्तनों के आधार पर नए एआई कानून का मसौदा तैयार करना
संस्थागत ढांचा
AI गवर्नेंस को प्रभावी बनाने के लिए कई संस्थाओं की भूमिका तय की गई है-
- उच्च-स्तरीय निकाय : एआई गवर्नेंस समूह
- सरकारी एजेंसियाँ : MeitY, गृह मंत्रालय
- क्षेत्रीय नियामक : RBI, SEBI, TRAI, CCI
- सलाहकार निकाय : नीति आयोग, प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय
- मानक निर्धारक संस्थान : BIS, TEC
उद्योग एवं नियामकों के लिए दिशा-निर्देश
- उद्योगों के लिए : एआई से जुड़ी शिकायतों और जोखिमों की रिपोर्टिंग के लिए शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना की जाएगी।
- नियामकों के लिए : एआई गवर्नेंस ढांचा लोचशील और गतिशील होगा, ताकि इसे समय-समय पर हितधारकों की प्रतिक्रिया के आधार पर संशोधित किया जा सके।
इंडिया एआई हैकाथॉन : नवाचार को बढ़ावा
- इंडिया एआई मिशन के तहत आयोजित ‘इंडिया एआई हैकाथॉन फॉर मिनरल टार्गेटिंग’, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) और खान मंत्रालय के सहयोग से संपन्न हुआ।
- इसका उद्देश्य एआई व मशीन लर्निंग की मदद से महत्वपूर्ण खनिजों के मानचित्रण और खोज प्रक्रिया को सशक्त बनाना था।
वैश्विक महत्व
भारत का यह एआई फ्रेमवर्क न केवल घरेलू नीति के लिए बल्कि ग्लोबल साउथ देशों के लिए भी एक प्रेरणा बनेगा। यह सुनिश्चित करेगा कि एआई का विकास नवाचार के साथ-साथ नैतिकता और सामाजिक उत्तरदायित्व पर भी आधारित हो।
निष्कर्ष
इंडिया एआई गवर्नेंस दिशा-निर्देश भारत की डिजिटल नीति में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर हैं। यह न केवल एआई तकनीक को जिम्मेदारी से अपनाने की दिशा में मार्गदर्शन देता है बल्कि एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाता है जो नवाचार, सुरक्षा व मानवता तीनों का संतुलन सुनिश्चित करता है। भारत अब केवल एआई तकनीक का उपभोक्ता नहीं है बल्कि जिम्मेदार एआई गवर्नेंस में वैश्विक मार्गदर्शक बनने की दिशा में अग्रसर है।