| mains gs paper iii – Economy & Environment |
भारत 21वीं सदी में “जैव-प्रौद्योगिकी शक्ति” के रूप में उभर रहा है।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ने हाल ही में जैव-प्रौद्योगिकी अनुसंधान एवं नवाचार परिषद (BRIC) के द्वितीय स्थापना दिवस पर घोषणा की कि भारत की जैव-अर्थव्यवस्था (Bioeconomy) आने वाले वर्षों में 300 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँच जाएगी।
इस अवसर पर उन्होंने फरीदाबाद में 200 एकड़ में फैले BRIC-Bio-Enterprise Innovation Park की स्थापना की योजना की भी घोषणा की। गौरतलब है कि BRIC की स्थापना 2023 में जैव-प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) के अधीन 14 स्वायत्त संस्थानों को मिलाकर की गई थी।

जैव-अर्थव्यवस्था (Bioeconomy) क्या है?
जैव-अर्थव्यवस्था से आशय उस आर्थिक प्रणाली से है जो नवीकरणीय जैव-संसाधनों (जैसे — पौधे, सूक्ष्मजीव, पशु, जैव-कचरा आदि) का उपयोग करके खाद्य पदार्थ, ऊर्जा, औद्योगिक वस्तुएँ और सेवाएँ उत्पन्न करती है।
मुख्य उद्देश्य:
- पारंपरिक जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता को कम करना।
- पर्यावरण-अनुकूल एवं संधारणीय (Sustainable) विकास को बढ़ावा देना।
- रोजगार, नवाचार और ग्रामीण-शहरी संतुलन स्थापित करना।
संक्षेप में:
“जैव-अर्थव्यवस्था विज्ञान, नवाचार और सतत विकास के संगम पर आधारित एक हरित आर्थिक ढांचा है।”
भारत की जैव-अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति
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वर्ष
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जैव-अर्थव्यवस्था का आकार
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2014
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10 अरब अमेरिकी डॉलर
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2024
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165.7 अरब अमेरिकी डॉलर
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लक्ष्य (2030)
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300 अरब अमेरिकी डॉलर
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- भारत की जैव-अर्थव्यवस्था ने 10 वर्षों में 16 गुना वृद्धि की है।
- इसका CAGR (वार्षिक वृद्धि दर) लगभग 17–18% रही है।
- 2024 में यह भारत की GDP का लगभग 4.25% योगदान देती है।
- अग्रणी राज्य (2024): महाराष्ट्र प्रथम, कर्नाटक द्वितीय स्थान पर।
भारत में जैव-अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने वाली प्रमुख पहलें
(क) BioE³ नीति (Economy, Environment & Employment) – 2024
- मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत नई नीति, जिसका उद्देश्य उच्च-प्रदर्शन जैव-विनिर्माण (Bio-Manufacturing) को प्रोत्साहित करना है।
- इसका लक्ष्य तीन E-आधारों — Economy, Environment, Employment — से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करना है।
- नीति के तहत हरित उद्योग, नवाचार-क्लस्टर और स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहन दिया जाएगा।
(ख) राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन (NBM) – Innovate in India (i3)
- इसे BIRAC (Biotechnology Industry Research Assistance Council) लागू कर रहा है।
- विश्व बैंक ने इस मिशन के लिए 250 मिलियन डॉलर की वित्तीय सहायता दी है।
- यह 100+ परियोजनाओं और 30 से अधिक MSMEs को सहायता प्रदान कर रहा है।
BIRAC के बारे में:
- भारतीय कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के तहत पंजीकृत गैर-लाभकारी संस्था।
- यह DBT (Department of Biotechnology) के अंतर्गत अनुसूची-B की सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई है।
- इसका उद्देश्य — स्टार्ट-अप्स, अनुसंधान और उद्योग के बीच सेतु का निर्माण करना।
(ग) जैव-ऊर्जा मिशन
- भारत ने E20 (20% इथेनॉल मिश्रण) का लक्ष्य 2030 से 5 वर्ष पहले, 2025 में ही प्राप्त कर लिया है।
- इससे जीवाश्म-ईंधन निर्भरता में कमी और किसानों की आय में वृद्धि दोनों हुई हैं।
जैव-अर्थव्यवस्था के चार प्रमुख उप-क्षेत्र
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उप-क्षेत्र
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योगदान (लगभग)
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प्रमुख उदाहरण
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जैव-औद्योगिक (Bio-industrial)
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47%
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जैव-ईंधन, बायोप्लास्टिक, औद्योगिक एंजाइम
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बायो-फार्मा (Bio-pharma)
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35%
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वैक्सीन, जैविक औषधियाँ, चिकित्सा उपकरण
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जैव-कृषि (Bio-agriculture)
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8%
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BT-कपास, जैव-उर्वरक, परिशुद्ध कृषि
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जैव-अनुसंधान (Bio-research)
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9%
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क्लीनिकल ट्रायल, जैव-सूचनाविज्ञान, बायोटेक सॉफ्टवेयर
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भारत की जैव-अर्थव्यवस्था का महत्व
- पर्यावरण संरक्षण: कार्बन उत्सर्जन में कमी और हरित उद्योगों को प्रोत्साहन।
- रोजगार सृजन: लाखों नए अवसर — विशेषकर बायो-मैन्युफैक्चरिंग और बायो-स्टार्ट-अप क्षेत्र में।
- ग्रामीण-कृषि सशक्तिकरण: जैव-कृषि एवं बायो-ईंधन से किसानों की आय में वृद्धि।
- वैश्विक नेतृत्व: भारत एशिया-प्रशांत क्षेत्र में जैव-अर्थव्यवस्था वृद्धि दर में शीर्ष देशों में है।
- संधारणीय विकास: सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) — विशेषतः लक्ष्य 7, 9, 12, 13 — की प्राप्ति में योगदान।
प्रमुख चुनौतियाँ
- अनुसंधान एवं निवेश की कमी: निजी क्षेत्र का योगदान अभी सीमित है।
- नवाचार से बाज़ार तक पहुँच (Lab-to-Market) में विलंब।
- जैव-संसाधनों का संरक्षण व नियमन।
- कुशल जनशक्ति व प्रशिक्षण का अभाव।
- राज्य-स्तर पर नीतिगत असमानता।
आगे की राह (Way Forward)
- फरीदाबाद BRIC Bio-Innovation Park जैसे बायो-क्लस्टर हर राज्य में विकसित किए जाएँ।
- R&D निवेश बढ़ाया जाए, विशेषकर निजी क्षेत्र की भागीदारी के माध्यम से।
- जैव-नीति एवं IP-framework को और पारदर्शी एवं निवेश-अनुकूल बनाया जाए।
- शिक्षा व कौशल विकास: बायोटेक्नोलॉजी, बायो-इन्फॉर्मेटिक्स और बायो-मैन्युफैक्चरिंग में विशेषज्ञ प्रशिक्षण।
- वैश्विक सहयोग: यूरोपीय संघ, अमेरिका, जापान जैसे देशों के साथ अनुसंधान साझेदारी।
निष्कर्ष
भारत की जैव-अर्थव्यवस्था केवल आर्थिक क्षेत्र नहीं, बल्कि हरित क्रांति के नए युग की नींव है। यदि नीति-निर्माण, अनुसंधान और औद्योगिक सहयोग में संतुलन बना रहे, तो भारत 2030 तक 300 अरब डॉलर की जैव-अर्थव्यवस्था बनकर उभरेगा। यह न केवल अर्थव्यवस्था की नई पहचान बनेगी, बल्कि “वसुधैव कुटुम्बकम्” की भावना के अनुरूप सतत विकास और मानव कल्याण का मार्ग प्रशस्त करेगी।