(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3: भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार, भारत के हितों पर विकसित व विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना) |
संदर्भ
जून 2025 में भारत द्वारा रूस से कच्चे तेल (Cruide) का आयात 43.2% तक पहुँच गया है, जोकि विगत 11 महीनों का उच्चतम स्तर है।
भारत-रूस कच्चा तेल व्यापार के बारे में
- रूस वर्तमान में भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन चुका है जो ईराक, सऊदी अरब एवं यू.ए.ई. जैसे अन्य प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं को भी पीछे छोड़ चुका है।
- भारत ने जून 2025 में रूस से 2.08 मिलियन बैरल प्रति दिन कच्चा तेल आयात किया, जो जुलाई 2024 के बाद सर्वाधिक है।
- यह आयात मई 2025 की तुलना में 12.2% अधिक है जो रूसी तेल की प्रतिस्पर्धी कीमतों एवं लॉजिस्टिक लचीलापन को दर्शाता है।
- रूस से प्राप्त कच्चा तेल अत्यधिक प्रतिस्पर्धी है और कीमतों में छूट, वैकल्पिक शिपिंग एवं बीमा नेटवर्क के कारण भारत के रिफाइनरियों को लाभ हो रहा है।
- रूस के अलावा भारत के तेल आयात में पश्चिमी एशिया का भी महत्वपूर्ण योगदान है:
- ईराक : 18.5%
- सऊदी अरब : 12.1%
- यू.ए.ई. : 10.2%
भारत की तेल आयात पर निर्भरता
- भारत अपनी 88% तेल आवश्यकताओं के लिए आयात पर निर्भर है।
- रूस विगत तीन वर्षों में भारत का प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है, खासकर यूक्रेन संकट (फरवरी 2022) के बाद पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाने के उपरांत।
रूस से तेल आयात के कारक
- रूस ने अपने तेल की कीमतों में छूट प्रदान की, जो भारत के रिफाइनरियों के लिए आकर्षक साबित हुई।
- हालाँकि, रूस का तेल अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अप्रतिबंधित है किन्तु अमेरिका एवं उसके सहयोगियों ने रूस के तेल पर $60 प्रति बैरल की कीमत सीमा लगा दी है।
अमेरिका का प्रस्तावित 500% टैरिफ विधेयक
- अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम द्वारा प्रस्तुत किए गए विधेयक में ऐसे देशों पर 500% टैरिफ लगाने की बात की गई है, जो रूस से व्यापार करते हैं।
- विशेष रूप से रूस से तेल, प्राकृतिक गैस, यूरेनियम एवं अन्य उत्पाद खरीदने वाले किसी भी देश पर।
- इस विधेयक का उद्देश्य यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के लिए रूस पर दबाव बनाना है।
विधेयक का प्रभाव
- अगर यह विधेयक अमेरिकी संसद द्वारा पारित हो जाता है, तो भारत को रूस से तेल आयात में कमी करनी पड़ सकती है, जिससे तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं।
- भारत की तेल नीति में रूस का महत्व बढ़ा है और भविष्य में किसी भी वैश्विक दबाव के कारण यह नीति प्रभावित हो सकती है।
- भारत ने अमेरिका से अपनी ऊर्जा सुरक्षा को लेकर अपनी चिंताएँ व्यक्त की हैं।
- भारतीय विदेश मंत्री ने कहा है कि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को लेकर संतुलित दृष्टिकोण अपनाएगा और इस मुद्दे पर भविष्य में निर्णय लिया जाएगा।
आगे की राह
- भारत को अफ्रीका, लैटिन अमेरिका एवं अमेरिका से आयात बढ़ाना होगा, ताकि भू-राजनीतिक जोखिम को कम किया जा सके और ऊर्जा सुरक्षा मजबूत हो सके।
- इन प्रयासों से भारत अपनी ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला को स्थिर एवं मजबूत बना सकेगा।
- भारत को अपनी ऊर्जा जरूरतों एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंधों (विशेष रूप से अमेरिका के साथ) के बीच संतुलन बनाना होगा।
- भारतीय रिफाइनरियाँ वर्तमान में प्रतीक्षा एवं निगरानी की रणनीति अपना रही हैं किंतु दीर्घकालिक योजना में विविधीकरण एवं अनुपालन पर जोर देना होगा।