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भारत श्रीलंका समुद्री सीमा मुद्दे

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम, अंतर्राष्ट्रीय संबंध)
(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2; भारत एवं इसके पड़ोसी देशों के साथ संबंध।)

चर्चा में क्यों

हाल ही में, श्रीलंका की नौसेना द्वारा समुद्री सीमा का उल्लंघन करने पर 14 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद से भारत श्रीलंका समुद्री समझौता चर्चा का केंद्र बना हुआ है।

भारत श्रीलंका समुद्री सीमा समझौता 

  • इस समझौते पर वर्ष 1974 और 1976 में भारत और श्रीलंका के मध्य अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा (International Maritime Boundary Line : IMBL) को परिभाषित करने के लिए हस्ताक्षर किए गए थे।
  • इसमें 4 समझौते शामिल हैं:
    1. दोनों देशों के बीच पाक जलडमरूमध्य के जल में सीमा निर्धारण और संबंधित मामलों पर समझौता (वर्ष1974मेंहस्ताक्षरित)
      • इस समझौते के अनुसार,कच्चाथीवु द्वीप भारत-श्रीलंका अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा पर श्रीलंका के हिस्से में स्थित है और यहाँ भारतीय मछुआरों को मछली पकड़ने की अनुमति नहीं है।
      • यह द्वीप धनुष्कोडी से सिर्फ 32 किमी. उत्तर में स्थित है और 285 एकड़ में फैला हुआ है।
      • यह भारतीय मछुआरों के लिए मुख्यतः दो कारणों से महत्त्वपूर्ण है: 
        1. यहाँ हजारों लोग वार्षिक सेंट एंटोनी चर्च उत्सव में भाग लेते हैं।
        2. (भारतीय मछुआरे आराम करने और अपने मछली पकड़ने के जाल सुखाने के लिए यहाँ रुकते हैं।
    2. मन्नार की खाड़ी और बंगाल की खाड़ी में समुद्री सीमा निर्धारण और संबंधित मामले पर समझौता (वर्ष1976मेंहस्ताक्षरित)
    3. मन्नार की खाड़ी में भारत, श्रीलंका और मालदीव के बीच त्रि-जंक्शन बिंदु का निर्धारण (वर्ष1976में हस्ताक्षरित)
    4. मन्नार की खाड़ी में समुद्री सीमा का विस्तार (वर्ष1976 में हस्ताक्षरित)

मछुआरों से संबंधित विवाद 

  • ऐतिहासिक कारक: तमिलनाडु के मछुआरे दावा करते हैं कि वे और उनके पूर्वज सदियों और पीढ़ियों से आई.एम.बी.एल. से परे जल में मछली पकड़ते आ रहे हैं।
    • यह दावा इतिहास, भौगोलिक निकटता और साझा तमिल जातीय पहचान पर आधारित है।
    • निकटतम बिंदु पर, दोनों देश 10 समुद्री मील या 18.5 किमी. दूर हैं।
  • मछली भंडार में कमी : आई.एम.बी.एल. के भारतीय क्षेत्र में मछली भंडार में लगातार कमी होना, इस तरह के अतिक्रमण के पीछे मुख्य प्रेरणा है।
  • समुद्री सीमा का आभासी निर्धारण : समुद्री सीमाओं में अनजाने में भटक जाने के कई मामले सामने आए हैं, क्योंकि राष्ट्रों द्वारा सीमांकित ये काल्पनिक रेखाएँ जल में स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देती हैं।
  • बॉटम ट्रॉलिंग प्रथा: भारतीय मछुआरों द्वारा बॉटम ट्रॉलिंग मछली पकड़ने की गैर-संधाराणीय  प्रथा दोनों देशों के बीच विवाद सुलझाने के प्रयासों में बाधा बन रही है।
    • इस तकनीक में मछली और अन्य समुद्री प्रजातियों को पकड़ने के लिए समुद्र तल पर जाल डाला जाता है।

श्रीलंका का पक्ष 

  • श्रीलंका का दावा है कि भारतीय मछुआरों का अतिक्रमण प्राय: सुनियोजित होता है। 
  • श्रीलंका अपने जलक्षेत्र में भारतीय मछुआरों द्वारा की जाने वाली मछली पकड़ने को अवैध शिकार मानते हैं।
  • उनके अनुसार, यह प्रथा दोनों देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा को ख़तरे में डाल सकती है।

आगे की राह 

  • वित्तीय सहायता: भारत में सरकार ने मछुआरों को गहरे समुद्र में मछली पकड़ने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए ट्रॉलरों के संशोधन और पुनर्खरीद की योजनाएँ शुरू की हैं। लेकिन इन योजनाओं की धीमी गति के लिए आलोचना की गई है।
  • नया समझौता : श्रीलंका द्वारा बार-बार मछुआरों को कैद करने की समस्या को संबोधित करने के लिए एक नए समझौते की आवश्यकता है।
    • राजनीतिक रूप से निर्मित आई.एम.बी.एल न तो मछली की और न ही मछुआरों की गतिविधियों को रोक सकती है।
  • संयुक्त निगरानी : दोनों देशों की समुद्री पुलिस द्वारा संयुक्त गश्त की व्यवस्था की जानी चाहिए।
  • तकनीक प्रयोग : मछुआरों को जी.पी.एस. से ट्रैक किया जाना चाहिए। 
  • आजीविका के वैकल्पिक उपाय : भारतीय जल क्षेत्र में मछली की कमी से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए नए आजीविका आधारित दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए।
    • विशेषज्ञों के अनुसार गहरे समुद्र में मछली पकड़ना ही इसका एकमात्र व्यावहारिक विकल्प है, जिसके लिए भारत सरकार को प्रभावित मछुआरों को वित्त पोषण, प्रशिक्षण एवं प्रेरणा देने के लिए बेहतर तथा लगातार प्रयास करने होंगे।
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