New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 22nd August, 3:00 PM Independence Day Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 15th Aug 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 24th August, 5:30 PM Independence Day Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 15th Aug 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 22nd August, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 24th August, 5:30 PM

भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)

संदर्भ

भारत एवं यूनाइटेड किंगडम (UK) ने जनवरी 2022 में शुरू हुई साढ़े तीन वर्ष की गहन वार्ता के बाद एक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर 6 मई, 2025 को हस्ताक्षर किए।

भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते के बारे में

  • क्या है : यह दोनों देशों के बीच व्यापार बाधाओं को कम करने, निवेश को बढ़ावा देने और आर्थिक सहयोग को गहरा करने के लिए आपसी सहमति पर आधारित एक समझौता है।
  • उद्देश्य : वर्ष 2030 तक दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को वर्तमान 60 बिलियन डॉलर से दोगुना करके 120 बिलियन डॉलर तक पहुँचाना है।
  • शामिल क्षेत्र : यह समझौता वस्तुओं, सेवाओं एवं निवेश के क्षेत्रों को कवर करता है, जिसमें शुल्क कटौती, बाजार पहुंच व सामाजिक सुरक्षा अंशदान में छूट जैसे प्रावधान शामिल हैं।
  • लागू होने की तिथि : इस समझौते का पाठ कानूनी संशोधन के बाद हस्ताक्षर एवं संसदीय अनुमोदन के लिए तैयार होगा, जिसके बाद इसे लागू किया जाएगा।

प्रमुख प्रावधान

वस्तुओं पर शुल्क कटौती

  • भारत को 99% टैरिफ लाइनों पर शून्य शुल्क के साथ यू.के. में बाजार पहुंच प्राप्त होगी, जिसमें चमड़ा, कपड़ा, जूते, रत्न एवं आभूषण, ऑटो घटक व रसायन जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
  • ब्रिटेन को भारत में ‘स्कॉच व्हिस्की’ एवं ‘जिन’ (Scotch and Gin) पर शुल्क 150% से घटकर 75% (प्रारंभ में) और 10वें वर्ष तक 40% होगा।
  • जिन एक आसुत मादक पेय है जिसका स्वाद मुख्यत: जुनिपर बेरीज से तैयार किया जाता है। यह एक तटस्थ स्पिरिट है जिसे प्राय: गेहूं, जौ, मक्का या राई जैसे अनाज से बनाया जाता है जिसे बाद में इसके अद्वितीय स्वाद प्रोफ़ाइल को प्राप्त करने के लिए विभिन्न वनस्पति (जड़ी-बूटियाँ, मसाले, फल व जड़ें) के साथ मिलाया जाता है।
  • ब्रिटिश कारों पर शुल्क 100% से 10% तक कम होगा किंतु कोटा के तहत सीमित रहेगा।
  • भारत ने डेयरी, सेब, पनीर एवं प्लास्टिक जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को शुल्क रियायतों से बाहर रखा है।

सेवा क्षेत्र

  • यू.के. ने भारतीय पेशेवरों, जैसे- व्यवसायिक आगंतुकों, संविदात्मक सेवा आपूर्तिकर्ताओं (जैसे- योग प्रशिक्षक, शेफ) और स्वतंत्र पेशेवरों के लिए अस्थायी प्रवेश की सुविधा दी है।
  • इन पर संख्यात्मक प्रतिबंध या आर्थिक आवश्यकता परीक्षण नहीं लगाए जाएंगे।

सामाजिक सुरक्षा अंशदान समझौता

ब्रिटेन में अस्थायी रूप से कार्यरत भारतीय कर्मचारियों को तीन वर्ष तक सामाजिक सुरक्षा अंशदान से छूट मिलेगी, जिससे 4,000 करोड़ रुपए से अधिक की बचत होगी।

सार्वजनिक खरीद

ब्रिटिश आपूर्तिकर्ताओं को भारत में गैर-संवेदनशील केंद्रीय स्तर की सार्वजनिक खरीद में भाग लेने की अनुमति होगी किंतु राज्य स्तर की खरीद बाहर रहेगी।

निवेश एवं अन्य

  • इस समझौते में निवेशक-राज्य विवाद निपटान (ISDS) का अभाव है जो निवेश सुरक्षा के लिए चुनौती हो सकता है।
  • कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (CBAM) से संबंधित कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है जो भारतीय निर्यात को प्रभावित कर सकता है।

भारत के लिए लाभ

  • निर्यात वृद्धि : कपड़ा, चमड़ा, जूते, रत्न व आभूषण और ऑटो घटक जैसे क्षेत्रों में शून्य शुल्क से निर्यात बढ़ेगा। परिधान व आभूषण क्षेत्र में क्रमशः तेज वृद्धि और 2.5 बिलियन डॉलर की वृद्धि की उम्मीद है।
  • सेवा क्षेत्र में अवसर : भारतीय पेशेवरों, विशेष रूप से आईटी, वित्तीय सेवाओं एवं शैक्षिक सेवाओं में, यू.के. में गतिशीलता बढ़ेगी, जिससे रोजगार व आय में वृद्धि होगी।
  • सामाजिक सुरक्षा छूट : आई.टी. क्षेत्र के 60,000 से अधिक कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा अंशदान में छूट से वेतन में 20% की बचत होगी।
  • संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा : डेयरी, सेब एवं प्लास्टिक जैसे क्षेत्रों को शुल्क रियायतों से बाहर रखकर भारत ने अपने घरेलू हितों की रक्षा की है।
  • ऑटोमोटिव क्षेत्र : टाटा-जे.एल.आर. जैसी कंपनियों को ब्रिटिश कारों पर शुल्क कटौती से लाभ होगा, जिससे भारत में उनकी कीमतें कम होंगी।

ब्रिटेन के लिए लाभ

  • बाजार पहुँच : स्कॉच व्हिस्की, जिन एवं ऑटोमोटिव क्षेत्रों में शुल्क कटौती से भारत में ब्रिटिश उत्पादों की मांग बढ़ेगी।
  • सार्वजनिक खरीद में अवसर : ब्रिटिश आपूर्तिकर्ता भारत की केंद्रीय सार्वजनिक खरीद में प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे, जिससे उनकी आय बढ़ेगी।
  • निवेश वृद्धि : भारत में ब्रिटिश प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को बढ़ावा मिलेगा, जो वर्तमान में 23.3 बिलियन डॉलर है।
  • ब्रेक्जिट के बाद स्थिति मजबूत : यह समझौता यूरोपीय संघ से बाहर निकलने के बाद ब्रिटेन की वैश्विक व्यापार रणनीति को मजबूत करता है।
  • आर्थिक वृद्धि : ब्रिटिश सरकार का अनुमान है कि द्विपक्षीय व्यापार में 34.05 बिलियन डॉलर की वृद्धि होगी, जिससे रोजगार व नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।

समझौते की सीमाएँ

  • कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (CBAM) : समझौते में CBAM से निपटने के लिए स्पष्ट प्रावधानों का अभाव है जिससे भारतीय स्टील एवं एल्यूमीनियम निर्यात पर कर लग सकता है, जबकि ब्रिटिश सामान भारत में शुल्क-मुक्त प्रवेश कर सकते हैं।
  • निवेशक सुरक्षा : ISDS की अनुपस्थिति से निवेशकों के लिए विवाद निपटान में अनिश्चितता बढ़ सकती है।
  • कृषि एवं MSME पर प्रभाव : संयुक्त किसान मोर्चा जैसे समूहों ने चिंता जताई है कि यह समझौता कृषि व छोटे निर्माताओं को नुकसान पहुँचा सकता है क्योंकि उनके पास बड़े पैमाने पर प्रतिस्पर्धा करने की पूंजी नहीं है।
  • आयात निर्भरता : विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अनुपयुक्त औद्योगिक नीतियों के कारण आयात निर्भरता बढ़ सकती है, खासकर सार्वजनिक खरीद में।
  • आव्रजन चिंताएँ : यू.के. में कुछ राजनेताओं ने भारतीय पेशेवरों की गतिशीलता को लेकर आव्रजन में वृद्धि की आशंका जताई है, जो कार्यान्वयन में बाधा बन सकता है।

समझौते का महत्व

  • आर्थिक : यह समझौता दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को गति देगा, व्यापार को दोगुना करेगा और निवेश व रोजगार सृजन को बढ़ावा देगा।
  • रणनीतिक : भारत के लिए यह वैश्विक व्यापार में उसकी स्थिति को मजबूत करता है, जबकि ब्रिटेन के लिए यह ब्रेक्जिट के बाद एक प्रमुख उपलब्धि है।
  • भू-राजनीतिक : यह समझौता भारत-यू.के. संबंधों को गहरा करता है जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग के लिए महत्वपूर्ण है।
  • वैश्विक व्यापार : वैश्विक टैरिफ अनिश्चितताओं के बीच यह समझौता स्थिरता व पारस्परिक लाभ का प्रतीक है।

आगे की राह

  • कानूनी एवं संसदीय प्रक्रिया : इस समझौते के पाठ को जल्द से जल्द संशोधित व हस्ताक्षरित किया जाए, ताकि इसे समयबद्ध तरीके से लागू किया जा सके।
  • CBAM पर स्पष्टता : भारत को यू.के. के साथ बातचीत कर CBAM से संबंधित प्रावधानों को शामिल करना चाहिए, ताकि निर्यात पर असमान कर से बचा जा सके।
  • एम.एस.एम.ई. एवं कृषि सुरक्षा : सरकार को छोटे निर्माताओं व किसानों के लिए समर्थन नीतियाँ शुरू करनी चाहिए, जैसे- सब्सिडी व प्रशिक्षण, ताकि वे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में टिक सकें।
  • औद्योगिक नीति : आयात निर्भरता को कम करने के लिए एक मजबूत औद्योगिक नीति बनाई जाए, जो घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दे।
  • निवेश सुरक्षा : भविष्य में ISDS जैसे तंत्रों को शामिल करने पर विचार किया जाए ताकि निवेशकों का विश्वास बढ़े।
  • जागरूकता एवं क्षमता निर्माण : उद्योगों, विशेष रूप से एम.एस.एम.ई., को एफ.टी.ए. के लाभों के बारे में शिक्षित किया जाए और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप तैयार किया जाए।

डाटा विशिष्टता प्रावधान के संदर्भ में

  • ब्रिटेन के साथ भारत के एफ.टी.ए. में डाटा विशिष्टता संबंधी प्रावधानों को शामिल नहीं किया गया है। 
  • डाटा विशिष्टता ब्रांडेड दवा निर्माता कंपनियों के प्रतिस्पर्धियों को जेनेरिक विकल्पों के लिए विपणन अनुमोदन प्राप्त करने के लिए नैदानिक ​​परीक्षण डाटा का उपयोग करने से रोकने का अधिकार देती है। 
  • वास्तव में यह पेटेंट संरक्षण से परे एकाधिकार अधिकारों का विस्तार करता है, जिससे कम लागत वाली दवाओं के प्रवेश में देरी होती है।
  • इससे भारत के 25 बिलियन डॉलर के जेनेरिक दवा उद्योग की रक्षा होगी तथा स्थानीय कंपनियां किफायती दवाएं बना सकेंगी।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X