(प्रारंभिक परीक्षा : पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3 : संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन) |
संदर्भ
भारतीय ग्रे वुल्फ (Indian Gray Wolf) अपनी घटती आबादी के कारण चर्चा में है। महाराष्ट्र के कदबनवाड़ी घास के मैदान में इनकी संख्या वर्ष 2016 में 70 से घटकर 2024 में 6 रह गई है।
भारतीय ग्रे वुल्फ के बारे में
- परिचय : यह ग्रे वुल्फ की एक उप-प्रजाति है जो भारतीय उपमहाद्वीप एवं दक्षिण-पश्चिम एशिया में पाई जाती है।
- वैज्ञानिक नाम : कैनिस ल्यूपस पैलिप्स (Canis lupus pallipes)
- विशेषताएँ
- शारीरिक संरचना : भूरा-ग्रे रंग, काले-सफेद निशान, लंबाई 120-150 सेमी.
- पारिस्थितिक भूमिका : छोटे शिकारियों व शाकाहारियों को नियंत्रित करता है।
- सामाजिक व्यवहार : झुंड में शिकार
- प्रजनन मौसम : प्राय: शीतकाल के अंत में
- संरक्षण स्थिति
- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की लाल सूची : संकटग्रस्त (EN)
- भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 : अनुसूची I में सूचीबद्ध
- इसका अर्थ है कि इसे उच्चतम सुरक्षा प्राप्त है।

विलुप्ति के कारण
- आवास हानि : कृषि और अर्ध-शहरीकरण
- आवारा कुत्ते : हमले व बीमारियाँ (CDV, रेबीज, पार्वोवायरस)
- संकरण : कुत्तों के साथ क्रॉस-ब्रीडिंग से आनुवंशिक विविधता में कमी और शिकार के स्वभाव में बदलाव एवं प्रजनन क्षमता पर प्रभाव
- पारंपरिक प्रथाओं में कमी : भेड़ चारण में कमी के कारण शिकार की कमी
- मानव-वन्यजीव संघर्ष : मवेशियों की सुरक्षा के लिए स्थानीय लोगों द्वारा इनका शिकार
सरकार द्वारा संरक्षण के लिए प्रयास
- संरक्षित क्षेत्रों का गठन : सरकार ने कई संरक्षित वन और राष्ट्रीय उद्यानों का गठन किया है जहां भारतीय ग्रे वुल्फ की संरक्षित आबादी पाई जाती है।
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 : यह अधिनियम भेड़ियों जैसी लुप्तशय मौजूद प्रजातियों के लिए सुरक्षा प्रदान करता है।
- संरक्षण परियोजनाएँ : सरकार एवं विभिन्न गैर-लाभकारी संगठन भारतीय ग्रे वुल्फ के संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं। इनमें शिकार नियंत्रण, आवास संरक्षण एवं ग्रामीण समुदायों के साथ सहयोग शामिल है।
इसे भी जानिए!
झारखंड के लातेहार जिले में महुआडांड़ में स्थित भेड़िया अभयारण्य भारत का एकमात्र ऐसा अभयारण्य है जो विशेष रूप से भारतीय ग्रे वुल्फ (Canis lupus pallipes) के संरक्षण के लिए समर्पित है। यह अभयारण्य पलामू टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आता है और वर्ष 1976 में स्थापित किया गया थ।
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संरक्षण के लिए सुझाव
- आवास की सुरक्षा करना
- आवारा कुत्तों की समस्या का समाधान
- स्थानीय समुदायों का जुड़ाव और इस समस्या के प्रति जागरूक करना
- संख्या में गिरावट के कारणों और प्रभावी संरक्षण उपायों के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान