New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 22nd August, 3:00 PM August End Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 29th Aug 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 24th August, 5:30 PM August End Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 29th Aug 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 22nd August, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 24th August, 5:30 PM

अप्रासंगिक होते भारतीय तंबाकू नियंत्रण कानून

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय)

संदर्भ 

जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस बात पर बल देते हैं कि भारत के तंबाकू नियंत्रण कानून मुख्यतः धूम्रपान उत्पादों पर केंद्रित हैं जबकि भारत में व्यापक रूप से उपभोग किया जाने वाला धूम्ररहित तंबाकू अभी भी पर्याप्त रूप से विनियमित नहीं है।

भारत में धूम्ररहित तंबाकू का बढ़ता प्रचलन

  • भारत दुनिया में धूम्ररहित तंबाकू का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। सस्ता, सांस्कृतिक रूप से स्वीकार्य व कम कलंकित होने के कारण यह भारत में तंबाकू का सबसे सामान्य रूप है।
  • धूम्ररहित तंबाकू से मुख कैंसर, हृदय रोग और अकाल मृत्यु भी हो सकती है।
  • वर्ष 2017 में भारत में 35 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग की आबादी के लिए सभी तंबाकू उत्पादों की वार्षिक आर्थिक लागत 1,773.4 बिलियन (जी.डी.पी. का 1.04%) अनुमानित थी। 
    • इसके अतिरिक्त अप्रत्यक्ष धूम्रपान के कारण होने वाली वार्षिक स्वास्थ्य देखभाल लागत 566.7 बिलियन (जी.डी.पी. का 0.33%) थी। 
    • इन लागतों में ‘प्रत्यक्ष चिकित्सा एवं गैर-चिकित्सा व्यय, अप्रत्यक्ष रुग्णता लागत, अकाल मृत्यु की अप्रत्यक्ष मृत्यु दर’ शामिल हैं।
  • भारत ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने वाले कुछ देशों में से एक है। हालाँकि, इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अधिनियम (PECA), 2019 के खराब क्रियान्वयन के कारण भारत में जन स्वास्थ्य के लिए ई-सिगरेट का खतरा बढ़ रहा है। 
    • प्रतिबंध के बावजूद भारत में ई-सिगरेट ऑनलाइन खरीदी जा सकती हैं, जिससे किशोरों के लिए ये ज़्यादा सुलभ हो गई हैं।

वर्तमान कानून

  • सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा), 2003 मुख्य रूप से धूम्रपान के प्रकारों पर लक्षित है।
  • इसके तहत विज्ञापन, पैकेजिंग, चित्रात्मक चेतावनियों से संबंधित नियम धूम्ररहित तंबाकू के लिए पूरी तरह प्रभावी नहीं हैं।
  • कई भारतीय राज्यों में इस अधिनियम का कार्यान्वयन अलग-अलग एवं खराब रहा है।

धूम्ररहित तंबाकू के विनियमन से जुड़ी चुनौतियाँ

  • छोटे व सस्ते पैकेटों में व्यापक रूप से उपलब्ध होने के कारण विनियमित करना कठिन है।
  • मजबूत सांस्कृतिक एवं क्षेत्रीय स्वीकृति (तंबाकू के साथ गुटखा, खैनी, पान मसाला)।
  • ग्रामीण एवं निम्न-आय वर्ग में अत्यधिक प्रचलन
  • मौजूदा अधिनियम तंबाकू रहित धूम्रपान के छद्म विज्ञापनों के बढ़ते प्रभाव से निपटने में भी विफल रहा है।

नीतिगत अंतराल

  • अवैध/बिना ब्रांड वाले उत्पादों के विरुद्ध सीमित प्रवर्तन
  • सिगरेट की तुलना में धूम्रपान रहित तंबाकू पर कम कर

आगे की राह 

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के तंबाकू नियंत्रण फ्रेमवर्क कन्वेंशन (FCTC) पर हस्ताक्षरकर्ता होने के बावजूद कमज़ोर विनियमन भारत की तंबाकू नियंत्रण में प्रगति को कमज़ोर करता है।
  • गैर-संचारी रोगों (NCD) को कम करने और सतत विकास लक्ष्य-3 (गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं स्वास्थ्य) को प्राप्त करने के लिए धूम्रपान रहित तंबाकू पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • धूम्ररहित तंबाकू से निपटने के लिए भारत के तंबाकू नियंत्रण ढांचे में तत्काल सुधार किए जाने चाहिए। साथ ही, इसके व्यापक स्वास्थ्य प्रभाव को कम करने के लिए कड़े कानून, कराधान एवं जागरूकता अभियान भी चलाया जाना आवश्यक है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X