New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM Hindi Diwas Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 15th Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM Hindi Diwas Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 15th Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM

भारत का बदलता विदेशी प्रत्यक्ष निवेश परिदृश्य

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: भारतीय अर्थव्यवस्था एवं योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।, निवेश मॉडल)

संदर्भ

सरकार द्वारा विदेशी निवेश आकर्षित करने के प्रयास जारी रखने के बावज़ूद हालिया आँकड़े भारत के शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रवाह में गिरावट दर्शाते हैं।

एफ.डी.आई. का महत्त्व

  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) भारत के आर्थिक परिदृश्य में एक प्रमुख योगदानकर्ता कारक बना हुआ है। 
  • FDI ने भारत के औद्योगिक आधार के आधुनिकीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है जिससे तकनीकी नवाचार को बढ़ावा मिला है और देश का वैश्विक बाजारों के साथ एकीकरण हुआ है। 
  • ई-कॉमर्स और कंप्यूटर हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर क्षेत्र दो ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें FDI का भारी प्रवाह देखा गया है, जिससे इन क्षेत्रों में व्यापक बदलाव आया है।
  • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, रोज़गार एवं भारत के चालू खाता घाटे के बाह्य वित्तपोषण के लिए एफ.डी.आई. महत्त्वपूर्ण है।
  • इस गिरावट से भारत की विकास गाथा और बुनियादी ढाँचे की महत्वाकांक्षाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
    • हालाँकि, घरेलू निवेश एवं उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI) से जुड़े विनिर्माण को बढ़ावा देने से इस प्रभाव को कम किया जा सकता है।

एफ.डी.आई. अंतर्वाह एवं बहिर्वाह के बीच अंतर

  • वित्त वर्ष 2024-25 में सकल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अंतर्वाह 81 अरब डॉलर तक पहुँच गया है जो विगत वर्ष की तुलना में 13.7% अधिक है।
  • वर्ष 2011 एवं 2021 के बीच प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 84.8 अरब डॉलर हो गया, जिसने भारत में निवेशकों के आकर्षण को प्रदर्शित किया है। 
  • वित्त वर्ष 2021-22 में शीर्ष पर पहुँचने के बाद वित्त वर्ष 2023-24 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अंतर्वाह गिरकर 71 अरब डॉलर रह गया। 

  • महामारी के बाद की अवधि में भारत में 308.5 अरब डॉलर का सकल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ किंतु विदेशी निवेशकों ने 153.9 अरब डॉलर की निकासी भी की। 
  • एक बड़ा पूँजी बहिर्वाह प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के दीर्घकालिक विकासात्मक प्रभाव को सीमित करता है।
  • विनिवेश में तीव्र वृद्धि ने इस गिरावट में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वित्त वर्ष 2023-24 में विनिवेश 44.4 अरब डॉलर और वित्त वर्ष 2024-25 में बढ़कर 51.4 अरब डॉलर हो गया। 
  • तीव्र वित्तीय लाभ के उद्देश्य से अल्पकालिक निवेश, निरंतर औद्योगिक या तकनीकी विकास में योगदान देने वाले निवेशों का स्थान ले रहे हैं। उदाहरण के लिए, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करने वाले सबसे अग्रणी विनिर्माण क्षेत्र में अविश्वसनीय बहिर्वाह देखा गया जिसके परिणामस्वरूप कुल एफ.डी.आई. में इसकी हिस्सेदारी मात्र 12% रह गई।

हालिया प्रवृत्ति 

  • पिछले दशक के उच्चतम स्तर की तुलना में शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रवाह मंद हो गया है।
  • भारत शीर्ष वैश्विक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) गंतव्यों में से एक बना हुआ है किंतु दक्षिण-पूर्व एशिया से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना कर रहा है।
  • विदेश में निवेश करने वाली भारतीय कंपनियों का बढ़ता FDI (विदेशों में निवेश) जटिलता को बढ़ाता है।

एफ.डी.आई. में गिरावट के कारण

  • वैश्विक कारक
    • मंद वैश्विक विकास, उच्च अमेरिकी ब्याज दरें, कम तरलता
    • निवेशकों द्वारा वियतनाम, इंडोनेशिया, मेक्सिको की ओर आपूर्ति श्रृंखलाओं का विविधीकरण
    • तीव्र वित्तीय लाभ के उद्देश्य से अल्पकालिक निवेश
  • घरेलू कारक
    • ई-कॉमर्स, डाटा एवं डिजिटल अर्थव्यवस्था जैसे क्षेत्रों में नीतिगत अनिश्चितता
    • भूमि, श्रम एवं नियामक बाधाएँ, कानूनी अनिश्चितता और असंगत शासन जैसी संरचनात्मक बाधाएँ
    • न्यायिक देरी और अनुबंध प्रवर्तन को लेकर चिंताएँ

आगे की राह 

  • विनियमों को सरल बनाना, नीतिगत स्थिरता सुनिश्चित करना, बुनियादी ढाँचे में निवेश करना और उद्योग की उभरती माँगों को पूरा करने के लिए शैक्षिक एवं कौशल-निर्माण पहलों का विस्तार करना शामिल है।
  • भारत को एक वैश्विक निवेश केंद्र के रूप में बने रहने के लिए पूंजी प्रवाह की गुणवत्ता, स्थायित्व एवं रणनीतिक संरेखण पर ध्यान केंद्रित करना होगा। 
  • देश को वास्तव में प्रतिबद्ध पूंजी निवेश की आवश्यकता है जो घरेलू क्षमता का निर्माण करे और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाए।
  • सुव्यवस्थित नियमन, बुनियादी ढांचे का उन्नयन, नीतिगत स्थिरता और संस्थानों में विश्वास इन प्राथमिकताओं को पूरा करने में मदद कर सकते हैं। 
  • उन्नत विनिर्माण, स्वच्छ ऊर्जा और प्रौद्योगिकी जैसे उच्च-मूल्य वाले क्षेत्रों को आकर्षित करने के लिए मानव पूंजी में निवेश करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X