(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र- 3: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि) |
संदर्भ
अडानी समूह ने गुजरात के कच्छ में भारत का पहला ऑफ-ग्रिड 5 मेगावाट ग्रीन हाइड्रोजन पायलट प्लांट शुरू किया है। यह प्लांट अडानी न्यू इंडस्ट्रीज लिमिटेड (ANIL) द्वारा बनाया गया है जो अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के तहत एक स्वच्छ ऊर्जा इकाई है।
भारत के पहले ऑफ-ग्रिड ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट के बारे में
- क्या है ऑफ-ग्रिड ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट : यह एक ऐसी सुविधा है जो सौर या पवन जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से बिजली का उपयोग करके इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया के माध्यम से हाइड्रोजन का उत्पादन करता है और यह मुख्य विद्युत ग्रिड से जुड़ा नहीं होता है।
- यह प्लांट हाइड्रोजन उत्पादन के लिए पूरी तरह से अपनी स्वयं की नवीकरणीय ऊर्जा पर निर्भर करता है।
- इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया : यह एक रासायनिक प्रक्रिया है जिसमें विद्युत धारा का उपयोग करके पानी (H₂O) को इसके मूल तत्वों ‘हाइड्रोजन (H₂)’ व ‘ऑक्सीजन (O₂)’ में विभाजित किया जाता है। इलेक्ट्रोलाइज़र को बिजली प्रायः नवीकरणीय स्रोतों से ग्रीन हाइड्रोजन के लिए प्रदान की जाती है।
प्लांट की प्रमुख विशेषताएँ
- 100% नवीकरणीय ऊर्जा संचालित : प्लांट पूरी तरह से सौर ऊर्जा से संचालित है, जो इसे पर्यावरण-अनुकूल बनाता है।
- ऑफ-ग्रिड संचालन : यह मुख्य विद्युत ग्रिड से स्वतंत्र है और अपनी नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन पर निर्भर करता है।
- बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) : एकीकृत बी.ई.एस.एस. सौर ऊर्जा की उपलब्धता में उतार-चढ़ाव को संतुलित करता है जिससे निरंतर संचालन सुनिश्चित होता है।
- स्वचालित बंद-लूप इलेक्ट्रोलाइज़र सिस्टम : यह सिस्टम वास्तविक समय में नवीकरणीय ऊर्जा इनपुट के प्रति गतिशील रूप से प्रतिक्रिया देता है जिससे परिचालन लचीलापन बढ़ता है।
- उच्च दक्षता एवं सुरक्षा : सौर ऊर्जा की परिवर्तनशीलता को संबोधित करते हुए यह प्लांट दक्षता, सुरक्षा व उच्च प्रदर्शन सुनिश्चित करता है।
- विकेंद्रीकृत उत्पादन मॉडल : यह प्लांट ऑफ-ग्रिड, नवीकरणीय ऊर्जा-आधारित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए एक नया प्रतिमान प्रस्तुत करता है।
प्लांट का महत्त्व
- राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को समर्थन : यह प्लांट भारत सरकार के प्रमुख कार्यक्रम ‘राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन’ (NGHM) के साथ संरेखित है जो आयात निर्भरता कम करने, ऊर्जा आत्मनिर्भरता बढ़ाने और ऊर्जा-गहन उद्योगों के डी-कार्बनाइजेशन को तेज करने का लक्ष्य रखता है।
- पर्यावरण-अनुकूल ऊर्जा : सौर ऊर्जा से इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा उत्पादित होने वाला ग्रीन हाइड्रोजन स्वच्छ ईंधन है और जलवाष्प के अलावा कोई उत्सर्जन नहीं करता है। यह उर्वरक, रिफाइनिंग एवं भारी परिवहन जैसे क्षेत्रों को डी-कार्बनाइज करने में महत्वपूर्ण है।
- तकनीकी व्यवहार्यता एवं विकेंद्रीकृत उत्पादन मॉडल : प्लांट ऑफ-ग्रिड, नवीकरणीय ऊर्जा-आधारित हाइड्रोजन उत्पादन की तकनीकी व्यवहार्यता को प्रदर्शित करता है। चूंकि यह मुख्य ग्रिड से स्वतंत्र संचालन करता है जो विकेंद्रीकृत एवं लचीले ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देता है जो भारत के निम्न-कार्बन भविष्य के लिए एक मॉडल प्रस्तुत करता है।
- औद्योगिक अनुप्रयोगों के लिए मानक : यह उत्सर्जन-गहन क्षेत्रों में ग्रीन हाइड्रोजन एवं इसके डेरिवेटिव्स (जैसे- ग्रीन अमोनिया, मेथनॉल) के उपयोग के लिए बेंचमार्क स्थापित करता है।
- भविष्य की परियोजनाओं के लिए आधार : यह पायलट प्लांट मुंद्रा, गुजरात में प्रस्तावित ग्रीन हाइड्रोजन हब के लिए एक अवधारणा प्रमाण (प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट) है जो भारत के नेट-जीरो लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण होगा।
- यह प्लांट नवाचार, स्थिरता एवं ग्रीन हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था में भारत के नेतृत्व को मजबूत करता है जिससे वैश्विक व घरेलू स्तर पर स्वच्छ ऊर्जा क्रांति को बढ़ावा मिलता है।
क्या आप जानते हैं?
हाइड्रोजन को उसके उत्पादन के तरीके और पर्यावरणीय प्रभाव के आधार पर रंग-कोडित किया जाता है। जब इसे जीवाश्म ईंधन से बनाया जाता है तो यह ग्रे हाइड्रोजन कहलाता है। ग्रीन हाइड्रोजन तब बनता है जब सौर या पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोतों से उत्पन्न बिजली का उपयोग पानी को हाइड्रोजन व ऑक्सीजन में विखंडित करने के लिए किया जाता है।
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