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भारत के नए रामसर स्थल : आर्द्रभूमि संरक्षण को बढ़ावा

(प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3:
संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

संदर्भ 

विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) के अवसर पर राजस्थान के खीचन एवं मेनार वेटलैंड कॉम्प्लेक्स को रामसर सूची में शामिल किया है। इसके साथ ही रामसर अभिसमय के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के मान्यता प्राप्त स्थलों की सूची में अब भारत की आर्द्रभूमियों की संख्या 91 हो गई है जोकि दक्षिण एशिया में सर्वाधिक है। 

रामसर साइट्स के बारे में 

  • क्या है : रामसर साइट्स वे वेटलैंड्स (आर्द्रभूमि) हैं जिन्हें वर्ष 1971 में ईरान के रामसर शहर में हुए रामसर सम्मेलन के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्व का दर्जा दिया जाता है। 
  • संधि : रामसर सम्मेलन एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है जो वेटलैंड्स का संरक्षण और उनके पारिस्थितिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों को बनाए रखने पर केंद्रित है। 
  • प्रमुख उद्देश्य:
    • वेटलैंड्स का संरक्षण और उनके पारिस्थितिक चरित्र को बनाए रखना
    • वेटलैंड्स के संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करना
    • वेटलैंड्स से संबंधित अनुसंधान, नीति निर्माण एवं जागरूकता को बढ़ावा देना

शामिल नए रामसर स्थलों के बारे में 

मेनार वेटलैंड कॉम्प्लेक्स 

  • परिचय : यह स्थल वर्षा आधारित ताजे जल का आर्द्रभूमि परिसर है जो तीन प्रमुख तालाबों ‘ब्रह्म तालाब’, ‘ढांढ तालाब’ और ‘खेड़ा तालाब’ तथा इन्हें जोड़ने वाली कृषि भूमि से निर्मित है।
  • अवस्थिति : उदयपुर ज़िले के मेनार गाँव के समीप स्थित
  • प्रमुख विशेषताएँ : मॉनसून के समय कृषि भूमि में जल भर जाने से यह क्षेत्र पक्षियों के लिए आदर्श आवास बन जाता है।
    • यहाँ 100 से अधिक जलपक्षियों की पाई जाती हैं, जिनमें 67 प्रवासी प्रजातियाँ हैं।
    • यहाँ गंभीर रूप से संकटग्रस्त गिद्ध प्रजातियाँ वाइट-रंप वल्चर (Gyps bengalensis) और लॉन्ग बिल्ड वल्चर (Gyps indicus) भी यहाँ देखी जाती हैं
    • यहाँ 70 से अधिक पौधों की प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें ब्रह्म तालाब के आसपास के आम के वृक्षों पर इंडियन फ्लाइंग फॉक्स (प्टेरोपस गिगेंटस) की एक बड़ी कॉलोनी रहती है।
  • सामुदायिक योगदान: यह स्थल राजस्थान में सामुदायिक संरक्षण का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। यहाँ के स्थानीय लोग स्वयं शिकार और मछली पकड़ने जैसी गतिविधियों पर रोक लगाकर वन्यजीवों की रक्षा करते हैं। इससे यह क्षेत्र पक्षियों के लिए सुरक्षित आश्रयस्थल बन गया है।

खीचन वेटलैंड : रेगिस्तान में पक्षी संरक्षण का अद्वितीय केंद्र

  • परिचय : उत्तरी थार रेगिस्तान में स्थित खीचन वेटलैंड में दो जल निकाय ‘रात्रि नदी’ एवं ‘विजयसागर तालाब’ तटवर्ती आवास और झाड़ीदार भूमि शामिल हैं। 
  • अवस्थिति : जोधपुर ज़िले के फालोदी क्षेत्र में
  • प्रमुख विशेषताएँ : 
    • यह रेगिस्तानी पारिस्थितिकी तंत्र सूखा-प्रतिरोधी पौधों की प्रजातियों का महत्वपूर्ण क्षेत्र है जो 150 से अधिक पक्षी प्रजातियों के लिए आवास प्रदान करते हैं।
    • यह स्थल विशेष रूप से प्रवासी डेमोइसेल क्रेन (Anthropoides virgo) के विशाल शीतकालीन झुंडों के लिए जाना जाता है जिनकी संख्या प्रति वर्ष 22,000 से अधिक होती है।
  • स्थानीय प्रयास: यहाँ के स्थानीय लोग डेमोइसल क्रेनों की रक्षा हेतु बिजली लाइनों की टक्करों और आवारा कुत्तों के हमलों से होने वाली मौतों को कम करके, क्रेन के अस्तित्व के लिए खतरों को कम करने के लिए काम करते हैं यह स्थल पक्षी प्रेमियों, वैज्ञानिकों, छात्रों और पर्यटकों के बीच अत्यंत लोकप्रिय है।

इसे भी जानिए!

  • विश्व पर्यावरण दिवस 2025 की थीम है- वैश्विक प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना (Ending Global Plastic Pollution) 
    • इसका मेजबान देश दक्षिण कोरिया है।
  • विश्व पर्यावरण दिवस 2024 की थीम ‘भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण एवं सूखा लचीलापन’ थी।
  • भारत ने वर्ष 2018 में ‘बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन’ थीम के तहत विश्व पर्यावरण दिवस के 45वें समारोह की मेजबानी की थी।
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