(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: सरकारी नीतियों एवं विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय) |
संदर्भ
भारतीय रेलवे की तत्काल टिकट बुकिंग योजना लाखों यात्रियों के लिए आपातकालीन यात्रा का सबसे तेज़ विकल्प है। किंतु हाल ही में रेलवे ने तत्काल (Tatkal) टिकट बुकिंग के लिए आधार (Aadhaar) प्रमाणीकरण अनिवार्य कर दिया है। यह कदम धोखाधड़ी रोकने और पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से उठाया गया है किंतु इससे कई कानूनी और व्यावहारिक सवाल खड़े हो गए हैं।
IRCTC का आधार अनिवार्यता सिस्टम
- 1 जुलाई, 2025 से IRCTC प्लेटफॉर्म पर तत्काल (Tatkal) टिकट बुक करने के लिए आधार (Aadhar) आधारित OTP प्रमाणीकरण अनिवार्य कर दिया गया है।
- 15 जुलाई, 2025 से यह नियम ऑनलाइन, ऑफलाइन एवं एजेंट के माध्यम से बुकिंग सभी पर लागू है।
- इसका उद्देश्य धोखाधड़ी पर रोक, यात्रियों की सटीक पहचान और पारदर्शिता में सुधार करना है।
Tatkal योजना: पृष्ठभूमि
- यह योजना वर्ष 1997 में शुरू की गई थी ताकि आपातकालीन यात्रियों को जल्दी टिकट मिल सके।
- इसमें टिकट सामान्य से थोड़े महंगे होते हैं ताकि मांग को नियंत्रित किया जा सके।
- यह किसी सब्सिडी या कल्याणकारी योजना के अंतर्गत नहीं आती है बल्कि एक लास्ट-मिनट बुकिंग सुविधा है।
कानूनी आधार की कमी
- आधार अधिनियम, 2016 की धारा 7 के अनुसार आधार प्रमाणीकरण सिर्फ सरकारी सब्सिडी, लाभ या सेवा देने के लिए अनिवार्य किया जा सकता है।
- Tatkal योजना सब्सिडी या लाभ नहीं है, बल्कि प्रीमियम सेवा है।
- सर्वोच्च न्यायालय का पुट्टूस्वामी वाद (2018) का फैसला कहता है कि जहां धारा 7 लागू नहीं होती है, वहाँ आधार प्रमाण अनिवार्य करने के लिए अलग से कानूनी प्रावधान चाहिए।
- वर्तमान में रेलवे/IRCTC के पास ऐसा कोई कानून नहीं है, इसलिए यह आदेश कानूनी रूप से कमजोर है।
आनुपातिकता परीक्षण (Proportionality Test)
सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार किसी भी कदम को निजता के अधिकार (Right to Privacy) के संदर्भ में चार स्तर पर परखा जाता है, वर्तमान मुद्दे में इसके अनुपालन निम्नलिखित है :
- वैधता (Legality): कानूनी आधार होना चाहिए किंतु यहां संदिग्ध है।
- उद्देश्य की वैधता (Legitimate Aim): धोखाधड़ी रोकना एक सही उद्देश्य है।
- आवश्यकता (Necessity): क्या कम हस्तक्षेप वाले विकल्प उपलब्ध हैं?
- IRCTC पहले से CAPTCHA, मोबाइल/ईमेल OTP, आईडी चेक का उपयोग करता है। इन्हें मजबूत करके भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
- संतुलन (Balancing): लाभ बनाम अधिकार का संतुलन : आधार प्रमाणित न होने पर वास्तविक (Genuine) यात्रियों का बाहर होना अधिक नुकसानदेह हो सकता है।
IRCTC की डिजिटल तैयारी और सुरक्षा चुनौतियाँ
- IRCTC रोज़ाना लाखों ट्रांजैक्शन हैंडल करता है किंतु सुरक्षा खामियां कई बार सामने आ चुकी हैं:
- वर्ष 2016 में बड़े पैमाने पर डेटा चोरी
- वर्ष 2020 में 9 मिलियन यात्रियों का डेटा लीक
- वर्ष 2025 में 2.5 करोड़ फर्जी यूज़र आईडी हटाया जाना
- आधार आधारित सिस्टम लागू करने से पहले डाटा एन्क्रिप्शन, ब्रिच रिपोर्टिंग और नियमित ऑडिट जरूरी हैं।
चुनौतियाँ
- कानूनी वैधता का अभाव
- डेटा सुरक्षा और प्राइवेसी जोखिम
- गैर-आधार धारकों का बाहर होना
- Tatkal के मूल उद्देश्य अर्थात त्वरित टिकट उपलब्धता पर नकारात्मक प्रभाव
आगे की राह
- आधार प्रमाणीकरण को वैकल्पिक (Voluntary) बनाया जा सकता है।
- CAPTCHA, मोबाइल OTP और यूज़र वेरिफिकेशन को अधिक मजबूत किया जा सकता है।
- मजबूत डाटा सुरक्षा कानून और प्राइवेसी फ्रेमवर्क लागू किया जा सकता है।
- IRCTC को अपने सिस्टम की नियमित साइबर सिक्योरिटी ऑडिट करानी चाहिए।
निष्कर्ष
IRCTC का आधार अनिवार्यता आदेश कानूनी और संवैधानिक कसौटी पर खरा नहीं उतरता। यह धोखाधड़ी रोकने का उद्देश्य तो पूरा कर सकता है, लेकिन गोपनीयता अधिकार और यात्री सुविधा पर प्रतिकूल असर डालता है। Tatkal योजना का मूल उद्देश्य आपातकालीन यात्रा में मदद करना है, न कि यात्रियों के लिए नई बाधाएँ खड़ी करना। इसलिए इसे स्वैच्छिक और पारदर्शी व्यवस्था में बदलना ही उचित रास्ता है।