(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र- 3: प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव-विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा एवं आपदा प्रबंधन)
संदर्भ
वन्यजीवों एवं मानव समुदायों के बीच टकराव भारत जैसे जैव-विविधता संपन्न देशों में एक जटिल व बढ़ता हुआ मुद्दा है। यह संघर्ष न केवल वन्यजीवों के संरक्षण की दिशा में चुनौती प्रस्तुत करता है बल्कि मानव जीवन, कृषि और आजीविका पर भी गंभीर प्रभाव डालता है।
केरल सरकार ने मानव-वन्यजीव संघर्ष को राज्य-विशिष्ट आपदा घोषित करते हुए पीड़ितों को राहत एवं मुआवजा देने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। इस नीति का उद्देश्य संघर्ष से प्रभावित समुदायों की सहूलियत बढ़ाना व वन्यजीव संरक्षण के साथ सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना है।
राज्य सरकार की प्रमुख घोषणाएँ एवं प्रावधान
मानव-वन्यजीव संघर्ष को आपदा घोषित करना : राज्य सरकार ने मानव-वन्यजीव संघर्ष को राज्य-विशिष्ट आपदा घोषित किया है। इससे प्रभावित लोगों को राहत एवं मुआवजा देने में प्रशासनिक प्रक्रियाओं को तेज किया जाएगा।
संबंधित निधियों का समुचित उपयोग : राज्य आपदा राहत कोष (SDRF) और वन विभाग के अपने कोषों से पीड़ितों को मुआवजा दिया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि वित्तीय संसाधनों की कमी के कारण पीड़ितों को सहायता में देरी न हो।
पुनःस्थापन एवं मुआवजा की स्पष्ट रूपरेखा : सरकार ने मानव-वन्यजीव संघर्ष के कारण हुए नुकसान के आधार पर मुआवजे का एक मानकीकृत तालिका जारी की है जिसमें विभिन्न चोटों एवं वित्तीय हानि के लिए अलग-अलग राशि निर्धारित की गई है।
मृत्यु होने पर ₹10 लाख का मुआवजा
विषैले सर्प, मधुमक्खी एवं वैस्प (बर्र) के हमलों में मौत पर ₹4 लाख का मुआवजा
40-50% स्थायी विकलांगता पर ₹2 लाख तक मुआवजा
एक सप्ताह से अधिक समय तक अस्पताल में भर्ती रहने पर ₹84,000 तक का मुआवजा
आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत आने वाले नागरिकों को मुआवजा नहीं मिलेगा किंतु अनुसूचित जाति एवं जनजाति को इससे छूट दी गई है।
राहत का क्षेत्रीय विस्तार : राहत भुगतान केवल संरक्षित वन्यजीव अभयारण्यों के भीतर नहीं, बल्कि उनके बाहर भी किया जाएगा, जिससे सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले किसानों व आदिवासी समुदायों को भी लाभ होगा।
मुआवजा प्राप्ति के लिए आवश्यक प्रक्रिया
वन रेंज अधिकारी को घटना को मानव-वन्यजीव संघर्ष के रूप में सत्यापित करना होगा।
सरकारी चिकित्सक को मौत या विकलांगता का चिकित्सीय प्रमाणपत्र देना होगा।
अन्य राहत उपाय
पालतू पशु, कृषि पशु एवं जानवरों के नुकसान के लिए मुआवजा
घर एवं पशुशालाओं को हुए नुकसान की भरपाई
वन्यजीवों के पकड़े जाने और पुनः प्रवास के व्यय का भुगतान
केरल में वर्तमान मानव-वन्यजीव संघर्ष की स्थिति
केरल में मानव-वन्यजीव संघर्ष एक गंभीर और बढ़ती हुई समस्या बन गई है। वर्ष 2021 से 2025 तक केरल में मानव-वन्यजीव संघर्ष में कुल 344 लोगों की मौत हुई है जिनमें से 180 मौतें सर्पदंश से, 103 हाथी के हमलों से, 35 जंगली सूअर के हमलों से और 4 बाघ के हमलों के कारण हुईं।
वर्ष2024 में 926 लोग घायल हुए और 82 लोगों की मौत हुई, जिनमें से अधिकांश हाथी के हमलों के कारण थीं।
मानव-वन्यजीव संघर्ष को आपदा घोषित करने के निहितार्थ
पीड़ितों को शीघ्र एवं निश्चित राहत : मानव-वन्यजीव संघर्ष में क्षतिग्रस्त या मृतक परिवारों को तत्काल वित्तीय सहायता मिलने से स्थानीय समुदायों में विश्वास व सुरक्षा की भावना बढ़ेगी। इससे वे वन संरक्षण के प्रति अधिक सहयोगी बनेंगे।
आदिवासी एवं सीमांत किसानों के लिए विशेष सुरक्षा : वन क्षेत्रों के निकट रहने वाले कमजोर वर्गों को विशेष राहत देकर सामाजिक असमानता को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।
वन्यजीव संरक्षण का सामुदायिक समर्थन : जब स्थानीय लोग संघर्ष के कारण हुए नुकसान के लिए मुआवजा पाते हैं तो वे वन्यजीवों के प्रति वैमनस्य या हानि पहुँचाने की प्रवृत्ति को कम करके वन संरक्षण को प्राथमिकता देंगे।
वन्यजीव गलियारों एवं आवासों की सुरक्षा में वृद्धि : वन्यजीव संघर्ष को आपदा मानने से सरकार वन्यजीवों के आवास व उनके आवागमन के लिए बेहतर संरचनाएँ बनाने पर जोर दे सकती है।
राज्य आपदा राहत कोष (SDRF) का समुचित उपयोग : मानव-वन्यजीव संघर्ष के लिए SDRF के उपयोग से राहत कार्य तेज होंगे और पीड़ितों को शीघ्र सहायता मिल सकेगी।
नियमित डाटा संग्रह एवं रिपोर्टिंग : संघर्ष की घटनाओं का नियमित संकलन सरकार को नीतियों को बेहतर बनाने और समाधान के लिए प्रभावी रणनीति बनाने में मदद करेगा।
मानव-वन्यजीव संघर्ष पर स्पष्ट कानूनी प्रावधान : इस घोषणा से मुआवजा, राहत, वन्यजीव प्रबंधन एवं पुनर्वास के लिए स्पष्ट व कानूनी रूप से बाध्यकारी प्रावधान स्थापित होंगे।