(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन) |
संदर्भ
ऑस्ट्रेलिया ने जंगली कोआला को क्लैमाइडिया संक्रमण से बचाने के लिए दुनिया के पहले टीके को मंज़ूरी दे दी है।
टीके की प्रभावकारिता
- यह एकल-खुराक वाला टीका क्वींसलैंड राज्य के सनशाइन कोस्ट विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया गया है।
- सरकार ने 76 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (50 मिलियन डॉलर) के ‘सेविंग कोआला फंड’ के माध्यम से टीके के विकास में योगदान दिया है।
- इस टीके ने जंगली आबादी में इस बीमारी से होने वाली मृत्यु दर को कम-से-कम 65% तक कम कर दिया।
- मंजूरी मिलने के बाद इस टीके का इस्तेमाल वन्यजीव अस्पतालों, पशु चिकित्सालयों और देश के सबसे अधिक जोखिम वाले कोआला की सुरक्षा के लिए खेतों में किया जा सकता है।
कोआलाओं में क्लैमाइडिया संक्रमण
- क्लैमाइडिया संक्रमण ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों में लुप्तप्राय घोषित इस प्रतिष्ठित देशी प्रजाति में बांझपन एवं मौत का कारण बन रहा है।
- क्लैमाइडिया निकट संपर्क या संभोग के माध्यम से प्रसारित होता है जो मूत्र पथ के संक्रमण, बांझपन, अंधापन एवं मौत का कारण बन सकता है।
- नर एवं मादा दोनों कोआला इस बीमारी से संक्रमित हो सकते हैं जबकि कोआला के बच्चे माँ की थैली में भोजन करने के माध्यम से इससे संक्रमित हो सकते हैं।
- क्लैमाइडिया से ग्रस्त कोआला के उपचार के लिए पशु चिकित्सकों के पास एंटीबायोटिक्स ही प्राथमिक विकल्प थे।
- किंतु ये दवाएँ कोआला को पुनः संक्रमण से नहीं बचातीं हैं और ये जानवरों के मुख्य भोजन ‘यूकेलिप्टस के पत्तों’ को पचाने की क्षमता में बाधा डाल सकती हैं।
कोआला के बारे में
- वॉम्बैट एवं कंगारूओं की तरह कोआला भी प्रतिष्ठित ऑस्ट्रेलियाई थैलीयुक्त जीव हैं।
- वैज्ञानिक नाम : फास्कोलार्कटोस सिनेरियस
- आई.यू.सी.एन. स्थिति : सुभेद्य (Vulnerable)
- ये अपना ज़्यादातर समय यूकेलिप्टस के वृक्षों पर खाते-पीते एवं सोते हुए बिताते हैं।
- उनके पंजों में दो विपरीत अंगूठे होते हैं जो उन्हें वृक्षों के तने को पकड़ने और उन पर चढ़ने में मदद करते हैं।
- विगत दो दशकों में ऑस्ट्रेलिया की जंगली कोआला आबादी में भारी गिरावट आई है।
- क्वींसलैंड एवं न्यू साउथ वेल्स राज्यों और ऑस्ट्रेलियाई राजधानी क्षेत्र में कोआला को लुप्तप्राय प्रजातियों की सूची में शामिल किया गया है।
- क्वींसलैंड सरकार के अनुमानों के अनुसार यदि यही स्थिति जारी रहती है तो वर्ष 2050 तक कोआला विलुप्त हो सकते हैं।
- आबादी में गिरावट के लिए उत्तरदायी कारण : क्लैमाइडिया संक्रमण, आवास विखंडन, जलवायु परिवर्तन, बढ़ती सड़क दुर्घटनाएँ, प्राकृतिक आपदाएँ एवं जंगली कीट