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कैंसर पर लैंसेट अध्ययन: भारत में बढ़ती चुनौती और समाधान

(प्रारंभिक परीक्षा: महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट एवं सूचकांक)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय)

सन्दर्भ

द लैंसेट में प्रकाशित एक वैश्विक अध्ययन ने स्पष्ट किया है कि जहां दुनिया के कई विकसित देशों में कैंसर की घटनाओं और मौतों में कमी आई है, वहीं भारत जैसे निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों (LMICs) में कैंसर तेजी से बढ़ रहा है। भारत में वर्ष 1990 की तुलना में वर्ष 2023 में कैंसर के मामलों और मौतों की दर में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।

कैंसर रोग के बारे में 

  • कैंसर एक ऐसी गंभीर बीमारी है जिसमें शरीर की कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से विभाजित होकर ट्यूमर का निर्माण करती हैं। यह ट्यूमर शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है जिसे ‘मेटास्टेसिस’ कहा जाता है।
  • यह लगभग किसी भी अंग में हो सकता है। कैंसर के 100 से अधिक प्रकार हैं, जैसे- फेफड़ों का कैंसर, स्तन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, ब्लड कैंसर आदि। समय पर जांच और उपचार मिलने पर इसका रोकथाम एवं नियंत्रण किया जा सकता है।

हालिया कैंसर अध्ययन के बारे में

  • अध्ययन में बताया गया कि भारत में कैंसर के मामले वर्ष 1990 में 84.8 प्रति 1 लाख आबादी से बढ़कर 2023 में 107.2 हो गए।
    • मृत्यु दर भी 71.7 से बढ़कर 86.9 प्रति 1 लाख आबादी हो गई।
    • वर्ष 2024 में भारत में लगभग 15.6 लाख नए मामले और 8.74 लाख मौतें दर्ज की गईं।
  • अनुमान है कि 2050 तक विश्व में 3.05 करोड़ (30.5 Million) लोग कैंसर से प्रभावित होंगे और 1.86 करोड़ (18.6 Million) लोगों की मृत्यु होगी।
  • भारत में कैंसर के मामले एवं मौत की संख्या लगातार बढ़ रही हैं जबकि वैश्विक स्तर पर इनमें कमी आई है।
  • लगभग 42% वैश्विक कैंसर मौतें और भारत में 70% कैंसर मामले ‘परिवर्तनीय जोखिम कारक’ (Modifiable Risk Factors) यानी बदली जा सकने वाली जीवनशैली व आदतों से जुड़े हैं।
  • कैंसर का प्रमुख कारण तंबाकू व शराब का सेवन, अस्वास्थ्यकर खान-पान, मोटापा, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, संक्रमण (HPV, हेपेटाइटिस-B, H. pylori) और प्रदूषण हैं।
  • अध्ययन यह भी बताता है कि केवल स्क्रीनिंग पर्याप्त नहीं है बल्कि निदान (Diagnosis) और त्वरित उपचार को भी प्राथमिकता देनी होगी।

अध्ययन का महत्व

  • यह स्पष्ट करता है कि भारत जैसे देशों को भविष्य की स्वास्थ्य चुनौतियों के लिए तैयार रहना होगा।
  • कैंसर केवल स्वास्थ्य समस्या नहीं है बल्कि आर्थिक, सामाजिक एवं विकास से जुड़ा मुद्दा है।
  • सही नीतियों एवं समय पर हस्तक्षेप से हजारों जिंदगियां बचाई जा सकती हैं।

कैंसर का उपचार

  • सर्जरी (Surgery): कैंसरग्रस्त ऊतक को हटाना
  • कीमोथेरेपी (Chemotherapy): दवाओं द्वारा कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करना
  • रेडियोथेरेपी (Radiotherapy): विकिरण द्वारा ट्यूमर को छोटा करना या खत्म करना
  • इम्यूनोथेरेपी (Immunotherapy): शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर कैंसर से लड़ना
  • टारगेटेड थेरेपी (Targeted Therapy): कैंसर कोशिकाओं पर सीधे असर डालना

कैंसर संबंधी जांच एवं परीक्षण

  • बायोप्सी (Biopsy) : कैंसर की पुष्टि के लिए

  • इमेजिंग टेस्ट : सीटी स्कैन, एमआरआई, पीईटी स्कैन

  • ब्लड टेस्ट और ट्यूमर मार्कर : कैंसर की पहचान और प्रगति को समझने के लिए

  • नियमित स्क्रीनिंग : स्तन, गर्भाशय ग्रीवा और कोलोरेक्टल कैंसर जैसे कैंसरों में शुरुआती पहचान के लिए

कैंसर के लिए सरकार की पहलें

  • राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम (NCCP) : रोकथाम एवं जागरूकता पर केंद्रित
  • NPCDCS (National Programme for Prevention and Control of Cancer, Diabetes, Cardiovascular Diseases and Stroke) : प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर तक जांच
  • प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) : गरीबों को नि:शुल्क कैंसर उपचार
  • ICMR कैंसर रजिस्ट्री : देशभर से कैंसर से जुड़े आंकड़े एकत्र करना
  • HPV एवं हेपेटाइटिस-B के टीकाकरण अभियान : संक्रमण जनित कैंसर को रोकने की दिशा में

चुनौतियाँ

  • ग्रामीण एवं पिछड़े इलाकों में कैंसर अस्पतालों और परीक्षण केंद्रों की कमी
  • उपचार की अत्यधिक लागत और आर्थिक असमानता
  • जनता में जागरूकता का अभाव और कैंसर से जुड़े मिथक
  • प्रदूषण, अस्वास्थ्यकर जीवनशैली और संक्रमणों की उच्च दर
  • स्वास्थ्य नीतियों में निदान व उपचार की तुलना में केवल स्क्रीनिंग पर अधिक जोर

आगे की राह

  • व्यवहारिक परिवर्तन: तंबाकू, शराब के सेवन में कमी लाना और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना
  • स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करना: जिला एवं ब्लॉक स्तर पर कैंसर जांच व उपचार केंद्र
  • सस्ती व सुलभ चिकित्सा: सरकारी व निजी भागीदारी से सस्ती दवाओं और थेरेपी की उपलब्धता
  • सार्वजनिक जागरूकता अभियान: सालभर चलने वाले कैंसर जागरूकता कार्यक्रम
  • अनुसंधान एवं तकनीक: नई उपचार पद्धतियों में निवेश
  • प्रदूषण नियंत्रण एवं स्वच्छता: पर्यावरणीय जोखिमों को कम करना
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