(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, संघीय ढाँचे से संबंधित विषय व चुनौतियाँ, स्थानीय स्तर पर शक्तियों और वित्त का हस्तांतरण तथा उसकी चुनौतियाँ) |
संदर्भ
ओडिशा और छत्तीसगढ़ ने महानदी नदी जल विवाद को सौहार्दपूर्ण बातचीत के ज़रिए सुलझाने की इच्छा व्यक्त की है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने भी आपसी परामर्श के माध्यम से समाधान का समर्थन किया है।
हलिया घटनाक्रम
- ओडिशा और छत्तीसगढ़ ने सर्वोच्च न्यायालय को सूचित किया है कि वे आपसी परामर्श के माध्यम से महानदी जल विवाद के समाधान के इच्छुक हैं।
- केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के मार्गदर्शन में केंद्रीय जल आयोग के नेतृत्व में दोनों राज्यों की एक संयुक्त समिति गठित की जा सकती है।
- इस समिति में ओडिशा और छत्तीसगढ़ दोनों के वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी शामिल होंगे और इसका उद्देश्य पारस्परिक रूप से लाभकारी समाधान तक पहुँचने के लिए निरंतर संवाद और तकनीकी वार्ता को सुगम बनाना होगा।
महानदी जल विवाद
- एक अलग राज्य के रूप में अपने गठन के बाद, छत्तीसगढ़ ने ओडिशा से परामर्श किए बिना, एनीकट तथा औद्योगिक बैराज सहित कई बड़ी, मध्यम और लघु सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण शुरू कर दिया।
- ओडिशा का आरोप है कि छत्तीसगढ़ ने राज्य में जल प्रवाह को कम करने के लिए अपस्ट्रीम बैराज बनाए हैं।
- छत्तीसगढ़ का कहना है कि वह सिंचाई और विकास के लिए अपने हिस्से के पानी का उपयोग करता है।
- यह उल्लेखनीय है कि दोनों राज्यों के बीच कोई औपचारिक अंतर-राज्यीय जल बंटवारा समझौता नहीं है।
- ओडिशा ने वर्ष 2016 में सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2018 में अंतर-राज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम, 1956 के तहत महानदी जल विवाद न्यायाधिकरण का गठन किया गया।
सौहार्दपूर्ण समाधान का महत्त्व
- न्यायाधिकरणों और न्यायपालिका पर कम बोझ
- सहकारी संघवाद और अंतर्राज्यीय सद्भाव को बढ़ावा
- दोनों राज्यों को समय पर सिंचाई और पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करना
भारत में अंतर्राज्यीय जल विवाद
- भारत में राज्यों के बीच अंतर्राज्यीय नदियों के पानी के बँटवारे का मामला, प्रभावित आबादी की पानी की मूलभूत ज़रूरतों, खेती और आजीविका से जुड़ा मामला बन जाता है।
- इससे पडोसी राज्यों के बीच नदी जल बंटवारे को लेकर विवाद की स्थिति पैदा हो जाती है।
- इन विवादों के निपटारे के लिए संविधान के अनुच्छेद 262 के अंतर्गत संसद द्वारा अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम, 1956 बनाया गया है।
- अनुच्छेद 262 के अंतर्गत, संसद कानून द्वारा किसी अंतर-राज्यीय नदी या नदी घाटी के पानी के उपयोग, वितरण या नियंत्रण के संबंध में किसी भी विवाद या शिकायत के न्यायनिर्णयन का प्रावधान कर सकती है।
अंतर्राज्यीय विवादों में सुधार के लिए आवश्यक कदम
- अंतरराज्यीय परिषद में सुधार : यह कार्यान्वयन के लिए संघ सूची की प्रविष्टि 56 में वर्णित रिवर बोर्ड एक्ट, 1956 एक शक्तिशाली कानून है जिसमें संशोधन करने की आवश्यकता है।
- इस एक्ट के अंतर्गत अंतरराज्यीय नदियों एवं इनके बेसिनों के विनियमन एवं विकास हेतु बेसिन आर्गेनाईजेशन को स्थापित किया जा सकता है।
- मध्यस्थता हेतु कदम बढ़ाना : दक्षिण एशिया के संदर्भ में, सिंधु बेसिन की नदियों से जुड़े विवाद का सफलतापूर्वक समाधान करने में विश्व बैंक ने भारत एवं पाकिस्तान के मध्य अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- इसी तरह राज्यों की बीच मध्यस्थता निभाने के लिए कोई भूमिका हो।
- नदियों को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करना : नदियों को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने की मांग लंबे समय से की जा रही है। इससे राज्यों की नदी जल को अपना अधिकार मानने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगेगा।
- जल को समवर्ती सूची में शामिल करना : वर्ष 2014 में तैयार की गई मिहिर शाह रिपोर्ट पर आधारित है, जिसमें जल प्रबंधन हेतु केंद्रीय जल प्राधिकरण की अनुशंसा की गई है। संसदीय स्थायी समिति द्वारा भी इस अनुशंसा का समर्थन किया गया है।
- अंतरराज्यीय जल से संबंधित मुद्दों के लिए संस्थागत मॉडल : राष्ट्रीय स्तर पर एक स्थायी तंत्र या संस्थागत मॉडल की आवश्यकता है जिसके द्वारा न्यायपालिका की सहायता के बिना राज्यों के मध्य उत्पन्न जल विवाद को हल किया जा सके।
- चार आर को अपनाना : जल प्रबंधन के लिए 4R (रिड्यूस, रियूज, रिसाइकिल, रिकवर) का प्रयोग हो।
- राष्ट्रीय जल नीति का पालन करना : राष्ट्रीय जल नीति के तहत जल के उचित उपयोग और जल स्नोतों के संरक्षण हेतु प्रावधान।
- नदियों को जोड़ना : यह बेसिन क्षेत्रों में नदी जल के पर्याप्त वितरण में सहायक हो सकता है।
आगे की राह
- नदी बेसिन संगठनों का संस्थागत सुदृढ़ीकरण।
- एकीकृत नदी बेसिन प्रबंधन को अपनाना।
- विवादों को रोकने के लिए समय-समय पर अंतर्राज्यीय संवाद तंत्र स्थापित करना।
महानदी के बारे में
- उद्गम स्थल: सिहावा पहाड़ी, रायपुर जिला, छत्तीसगढ़
- लंबाई: लगभग 851 किमी. (जिसमें से 494 किमी. ओडिशा में स्थित)
- जलग्रहण क्षेत्र: लगभग 1.42 लाख वर्ग किमी.
- मुख्य सहायक नदियाँ: शिवनाथ, जोंक, हसदेव, तेल, ओंग
- जल विसर्जन : ओडिशा के कटक के पास बंगाल की खाड़ी में
- महानदी नदी छत्तीसगढ़ से निकलती है और ओडिशा से होकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
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