| (प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) |
चर्चा में क्यों
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (Defence Acquisition Council : DAC) ने ₹79,000 करोड़ के पूंजीगत अधिग्रहण प्रस्तावों को मंजूरी दी है।
रक्षा मंत्रालय द्वारा नई स्वीकृतियाँ
- रक्षा मंत्रालय द्वारा मंजूर किए गए इन अनुदानों में त्रि-सेवाओं के लिए आधुनिक हथियार प्रणालियां, वाहन और सेंसर शामिल हैं।
- ये सभी अधिग्रहण मुख्य रूप से स्वदेशी डिजाइन, विकास और निर्माण पर आधारित हैं, जो रक्षा उद्योग को बढ़ावा देंगे।
- यह निर्णय भारतीय थलसेना, नौसेना और वायुसेना की सामरिक क्षमता, गतिशीलता तथा खुफिया संग्रहण क्षमता को बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया है।
मुख्य बिंदु
1. भारतीय थलसेना (Indian Army)
- नाग मिसाइल प्रणाली (NAMIS Mk-II): दुश्मन के बंकरों और बख्तरबंद वाहनों को नष्ट करने में सक्षम यह मिसाइल प्रणाली सेना की आक्रामक क्षमता को मजबूत करेगा।
- ग्राउंड बेस्ड मोबाइल ELINT सिस्टम (GBMES): दुश्मन के संचार और रडार संकेतों पर 24x7 इलेक्ट्रॉनिक खुफिया जानकारी जुटाने के लिए यह प्रणाली उपयोगी होगी।
- हाई मोबिलिटी व्हीकल्स (HMVs): सामग्री ढोने और कठिन इलाकों में रसद सहायता के लिए इन वाहनों की तैनाती की जाएगी।
2. भारतीय नौसेना (Indian Navy)
- लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक (LPDs): नौसेना की उभयचर (समुद्र एवं वायु) युद्ध क्षमता को बढ़ाएंगे तथा आपदा राहत और मानवीय सहायता अभियानों में मदद करेंगे।
- 30 मिमी. नौसैनिक तोपें और स्मार्ट गोला-बारूद: नौसेना की आक्रामक क्षमता और सटीकता को बढ़ाने के लिए इनका अधिग्रहण किया जाएगा।
- एडवांस्ड लाइटवेट टॉरपीडो (ALWT): DRDO द्वारा विकसित यह स्वदेशी टॉरपीडो पारंपरिक और परमाणु पनडुब्बियों को निशाना बनाने में सक्षम है।
- Electro-Optical Infra-Red Systems: दुश्मन की गतिविधियों पर नज़र रखने और समुद्री सुरक्षा बढ़ाने में मददगार होंगे।
3. भारतीय वायुसेना (Indian Air Force)
- Collaborative Long Range Target Saturation/Destruction System (CLRTS/DS): यह अत्याधुनिक प्रणाली स्वचालित टेक-ऑफ, नेविगेशन, लक्ष्य पहचान और पेलोड डिलीवरी की क्षमता रखती है। इससे वायुसेना की लंबी दूरी से सटीक हमले करने की क्षमता में वृद्धि होगी।
महत्व
- ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में कदम: सभी स्वीकृतियाँ स्वदेशी तकनीक और उत्पादन को बढ़ावा देती हैं, जिससे रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।
- आधुनिकीकरण और क्षमता वृद्धि: तीनों सेनाओं की घातकता, गतिशीलता और खुफिया संग्रह की क्षमता में व्यापक सुधार होगा।
- सामरिक संतुलन: इन नई प्रणालियों के जुड़ने से भारत की सामरिक स्थिति क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर और मजबूत होगी।
- आर्थिक सशक्तिकरण: घरेलू रक्षा उद्योग को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे रोजगार और तकनीकी नवाचार में वृद्धि होगी।
- संयुक्त सैन्य अभियान क्षमता: नौसेना के LPDs जैसे प्लेटफॉर्म से तीनों सेनाएँ संयुक्त रूप से अभियानों को संचालित करने में सक्षम होंगी।