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भारत में मैनुअल स्कैवेंजिंग: एक सामाजिक एवं मानवीय चुनौती

(प्रारंभिक परीक्षा: सामजिक एवं आर्थिक मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: सरकारी नीतियों एवं विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय, सामाजिक न्याय)

संदर्भ

मैनुअल स्कैवेंजिंग अर्थात् हाथ से सीवर एवं सेप्टिक टैंक की सफाई भारत में एक गंभीर सामाजिक व मानवीय समस्या बनी हुई है। हाल ही में केंद्र सरकार के एक सामाजिक ऑडिट ने इस खतरनाक कार्य के दौरान होने वाली मौतों और असुरक्षित परिस्थितियों को उजागर किया है।

मैनुअल स्कैवेंजिंग के बारे में

  • मैनुअल स्कैवेंजिंग वह प्रक्रिया है जिसमें श्रमिक बिना किसी मशीनी उपकरण या सुरक्षा गियर के सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफाई एवं मैला उठाने का कार्य करते हैं। 
  • यह कार्य अत्यंत खतरनाक है और इसमें जहरीली गैसों, ऑक्सीजन की कमी और अन्य स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करना पड़ता है। 
  • भारत में यह प्रथा सामाजिक भेदभाव एवं आर्थिक मजबूरी से जुड़ी हुई है जो मुख्य रूप से दलित समुदायों को प्रभावित करती है।

मैनुअल स्कैवेंजिंग का प्रमुख कारण

  • सामाजिक भेदभाव : यह कार्य ऐतिहासिक रूप से कुछ विशेष समुदायों, विशेषकर दलितों, से जुड़ा हुआ है, जिससे उन्हें इस खतरनाक कार्य में धकेला जाता है।
  • आर्थिक मजबूरी : शिक्षा एवं रोजगार के अवसरों की कमी के कारण कई लोग इस जोखिम भरे कार्य को अपनाने के लिए मजबूर होते हैं।
  • बुनियादी ढांचे की कमी : कई क्षेत्रों में मशीनीकृत सफाई उपकरणों और प्रशिक्षण की कमी के कारण मैनुअल स्कैवेंजिंग पर निर्भरता बनी रहती है।
  • कानूनों का अपर्याप्त कार्यान्वयन : मैनुअल स्कैवेंजिंग पर प्रतिबंध के बावजूद इस प्रथा को पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सका है। 

हालिया ऑडिट के अनुसार भारत में स्थिति

सामाजिक न्याय मंत्रालय द्वारा सितंबर 2023 में शुरू किए गए एक सामाजिक ऑडिट के अनुसार,

  • वर्ष 2022 एवं 2023 में देश भर में सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 150 लोगों की मौत हुई।
  • मौतों के विश्लेषण में पाया गया कि अधिकांश मामलों में श्रमिकों के पास कोई सुरक्षा उपकरण नहीं था। केवल कुछ मामलों में ही दस्ताने एवं गमबूट उपलब्ध थे।
  • साथ ही, मशीनी उपकरण या सुरक्षा गियर का भी अभाव था।
  • कई मामलों में श्रमिकों से उनकी सहमति नहीं ली गई थी और जहां सहमति ली गई, वहां जोखिमों के बारे में कोई परामर्श नहीं दिया गया था।
  • संबंधित एजेंसी के पास उपकरणों की कोई तैयारी न होना भी एक बड़ी समस्या थी।

प्रमुख चिंताएँ 

  • मशीनी उपकरण एवं व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE) किट की अनुपलब्धता 
  • आवश्यक प्रशिक्षण की कमी 
  • सहमति का अभाव और जोखिमों की जानकारी न देना 
  • संस्थागत कमियां और ठेकेदारों व निजी एजेंसियों में जवाबदेही की कमी 

सरकारी पहल

  • नमस्ते योजना : जुलाई 2023 में सामाजिक एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा शुरू की गई इस योजना के तहत 84,902 सीवर और सेप्टिक टैंक श्रमिकों की पहचान की गई है, जिनमें से आधे से अधिक को PPE किट और सुरक्षा उपकरण प्रदान किए गए हैं। ओडिशा में पहचाने गए सभी श्रमिकों को PPE किट दी गई हैं।
  • पूंजी सब्सिडी : नमस्ते योजना के तहत 707 स्वच्छता श्रमिकों को 20 करोड़ रुपए से अधिक की पूंजी सब्सिडी प्रदान की गई है।
  • जागरूकता कार्यशालाएँ : देश भर में लगभग 1,000 कार्यशालाएँ आयोजित की गई हैं ताकि खतरनाक सफाई को रोकने के लिए जागरूकता बढ़ाई जा सके।
  • कानूनी उपाय : मैनुअल स्कैवेंजिंग पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून (प्रोहिबिशन ऑफ एम्प्लॉयमेंट ऐज़ मैनुअल स्कैवेंजर्स एंड देयर रिहैबिलिटेशन एक्ट, 2013) लागू है और अब सरकार का ध्यान खतरनाक सफाई को समाप्त करने पर है।

चुनौतियाँ

  • कानून का कार्यान्वयन : मैनुअल स्कैवेंजिंग पर प्रतिबंध के बावजूद सफाई की खतरनाक प्रथा जारी है।
  • उपकरणों एवं प्रशिक्षण की कमी : अधिकांश क्षेत्रों में मशीनी उपकरण और PPE किट की कमी है।
  • जागरूकता का अभाव : केवल सात मामलों में मृत्यु के बाद जागरूकता अभियान चलाए गए और वे भी आंशिक रूप से पूरे हुए।
  • संस्थागत जवाबदेही : ठेकेदारों एवं निजी एजेंसियों द्वारा श्रमिकों की अनौपचारिक भर्ती जवाबदेही को कम करती है।
  • सामाजिक और आर्थिक बाधाएँ : सामाजिक भेदभाव और आर्थिक मजबूरी के कारण श्रमिक इस खतरनाक कार्य को करने के लिए मजबूर हैं।

आगे की राह

  • मशीनीकरण को बढ़ावा : सभी सीवर और सेप्टिक टैंक सफाई कार्यों में मशीनी उपकरणों का उपयोग अनिवार्य किया जाए।
  • सुरक्षा उपकरणों की उपलब्धता : सभी श्रमिकों को PPE किट, दस्ताने, गमबूट और अन्य आवश्यक सुरक्षा उपकरण प्रदान किए जाएं।
  • प्रशिक्षण एवं जागरूकता : श्रमिकों को जोखिमों और सुरक्षा उपायों के बारे में प्रशिक्षण दिया जाए, और स्थानीय स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए जाएं।
  • कानूनी जवाबदेही : ठेकेदारों और एजेंसियों पर सख्त निगरानी और दंडात्मक कार्रवाई की जाए ताकि नियमों का उल्लंघन न हो।
  • पुनर्वास एवं रोजगार : मैनुअल स्कैवेंजिंग करने वाले समुदायों के लिए वैकल्पिक रोजगार और शिक्षा के अवसर प्रदान किए जाएं।
  • निगरानी एवं ऑडिट : नियमित सामाजिक ऑडिट और निगरानी तंत्र को मजबूत किया जाए ताकि इस प्रथा को पूरी तरह समाप्त किया जा सके।

निष्कर्ष

मैनुअल स्कैवेंजिंग और खतरनाक सफाई की प्रथा भारत के लिए एक गंभीर चुनौती है, जो सामाजिक अन्याय एवं मानवीय गरिमा से जुड़ी है। सरकार की नमस्ते योजना और अन्य पहल सही दिशा में कदम हैं किंतु इनका प्रभावी कार्यान्वयन और सामाजिक-आर्थिक सुधारों की आवश्यकता है। मशीनीकरण, सुरक्षा उपकरण और पुनर्वास के माध्यम से इस अमानवीय प्रथा को पूरी तरह समाप्त करना समय की मांग है।

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