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माइटो रोग

(प्रारंभिक परीक्षा : सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव, बायो-टैक्नोलॉजी)

संदर्भ

वर्तमान में वैज्ञानिक माइटो रोग के उपचार के लिए माइटोकॉन्ड्रियल डोनेशन (Mitochondrial Donation) के सुरक्षित व प्रभावकारिता निर्धारित करने के लिए एक नैदानिक ​​परीक्षण की तैयारी कर रहे हैं।

क्या है माइटो रोग 

  • यह बीमारियों का एक समूह है जो माइटोकॉन्ड्रिया की ऊर्जा उत्पादन करने की क्षमता को प्रभावित करता है। इसे माइटोकॉन्ड्रियल रोग या मिटो रोग (Mitochondrial Disease or Mito) के रूप में जाना जाता है।
  • माइटो के कई अलग-अलग रूप हो सकते हैं, जो एक या अधिक अंगों को बाधित करने और अंग विफलता की ओर ले जाने में सक्षम होते हैं।
  • माइटो रोग दो प्रकार के होते हैं : 
    • प्रथम, नाभिकीय डी.एन.ए. (न्यूक्लियर डी.एन.ए.) में दोषपूर्ण जीन के कारण होता है और यह माता-पिता से संतान में स्थानांतरित होता है। 
    • दूसरा, माइटोकॉन्ड्रिया के डी.एन.ए. में दोषपूर्ण जीन के कारण होता है। माँ के माध्यम से आगे बढ़ता है। हालाँकि, हल्के लक्षणों वाली माँ गंभीर लक्षणों वाले बच्चे को जन्म दे सकती है। 
  • माइटो का उपचार नहीं किया जा सकता है। हालाँकि, माइटोकॉन्ड्रियल डोनेशन इसके उपचार में प्रभावी हो सकती है। 

माइटो रोग के लक्षण 

  • प्रत्येक 5,000 लोगों में से एक व्यक्ति इस बीमारी से ग्रस्त होता है, जो सामान्यत: वंशानुगत चयापचय की स्थिति है।  
  • माइटो से शरीर का कोई भी अंग प्रभावित हो सकता है किंतु अत्यधिक ऊर्जा की आवश्यकता वाले अंग, जैसे- हृदय, मस्तिष्क व मांसपेशियाँ के अन्य अंगों की तुलना में अधिक प्रभावित होने की संभावना है। 
  • बचपन में होने वाले माइटो में अक्सर अलग-अलग अंग शामिल होते हैं। यह तेजी से बढ़ता है और इसके परिणाम गम्भीर हो सकते हैं।
    • प्रतिवर्ष जन्म लेने वाले लगभग 60 ऑस्ट्रेलियाई बच्चों में माइटोकॉन्ड्रियल बीमारी विकसित होती है, जिससे मृत्यु हो सकती है।

क्या है माइटोकॉन्ड्रियल डोनेशन 

  • माइटोकॉन्ड्रियल डोनेशन के नाम से जानी जाने वाली एक नई IVF प्रक्रिया से माइटो के कुछ रूपों से प्रभावित लोगों को उम्मीद मिल सकती है कि वे ऐसे संतान को जन्म दे सकते हैं जो माइटो रोग से प्रभावित हुए बिना आनुवंशिक रूप से उनसे संबंधित हो। 
  • इसमें दोषपूर्ण माइटोकॉन्ड्रियल डी.एन.ए. वाले व्यक्ति द्वारा दान किए गए अंडे से न्यूक्लियर डी.एन.ए. को निकालना और उसे किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा दान किए गए अंडे में डालना शामिल है जिसके पास दोषपूर्ण माइटोकॉन्ड्रियल डी.एन.ए. नहीं है।

माइटोकॉन्ड्रियल डोनेशन का मेव नियम (Maeve’s Law)

  • माइटोकॉन्ड्रियल डोनेशन लॉ रिफॉर्म बिल, 2021 को वर्ष 2022 में ऑस्ट्रेलियाई सीनेट ने अनुमोदित किया था। यह शोध एवं नैदानिक ​​परीक्षणों के लिए माइटोकॉन्ड्रियल डोनेशन को वैध बनाता है। 
  • मेव के विनियमन में उन गंभीर परिस्थितियों को निर्दिष्ट किया गया है, जिसमें माइटोकॉन्ड्रियल डोनेशन करने के लिए सुविधाओं के एक अद्वितीय परमिट की आवश्यकता होती है।
  • इस कानून में यह भी प्रावधान है कि ऑस्ट्रेलियाई नैदानिक ​​अभ्यास में माइटोकॉन्ड्रियल डोनेशन की शुरूआत से पहले इसकी सुरक्षा व प्रभावशीलता की गारंटी के लिए प्री-क्लीनिकल और क्लिनिकल परीक्षण अनुसंधान एवं प्रशिक्षण के लिए प्रारंभिक लाइसेंस जारी किए जाएंगे।
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