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मनी लॉन्ड्रिंग: एक गंभीर वित्तीय अपराध और भारत की चुनौतियाँ

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: आंतरिक सुरक्षा के लिये चुनौती उत्पन्न करने वाले शासन विरोधी तत्त्वों की भूमिका; धन-शोधन और इसे रोकना)

संदर्भ

मनी लॉन्ड्रिंग या धन शोधन एक वैश्विक वित्तीय अपराध है, जिसमें अवैध रूप से अर्जित धन को वैध दिखाने के लिए जटिल प्रक्रियाओं का उपयोग किया जाता है। भारत में इसे रोकने के लिए मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 लागू है किंतु हाल के आँकड़े इसकी प्रभावशीलता पर सवाल उठाते हैं।

लॉन्ड्रोमैट क्या है

  • परिभाषा: लॉन्ड्रोमैट एक वित्तीय तंत्र है, जिसे बैंक या वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनियाँ स्थापित करती हैं। इसका उपयोग अपराध से प्राप्त धन को वैध बनाने, संपत्ति की मालिकियत छिपाने, कर चोरी, या धन को विदेश स्थानांतरित करने के लिए किया जाता है।
  • उद्भव: यह शब्द अमेरिका में संगठित अपराध सिंडिकेट्स द्वारा लॉन्ड्रोमैट्स (कपड़े धोने की दुकानों) को अवैध गतिविधियों के लिए कवर के रूप में उपयोग करने से उत्पन्न हुआ।
  • उपयोग: इसका उपयोग कर चोरी, कंपनी निधियों के गबन, और अवैध धन को ऑफशोर स्थानांतरित करने के लिए होता है।

मनी लॉन्ड्रिंग : कार्यप्रणाली

  • परिभाषा: PMLA की धारा 3 के अनुसार, मनी लॉन्ड्रिंग वह प्रक्रिया है जिसमें अपराध से प्राप्त धन को छिपाने, रखने, अधिग्रहण करने या उपयोग करने और इसे वैध संपत्ति के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश की जाती है।
  • प्रभाव: सर्वोच्च न्यायालय ने पी. चिदंबरम बनाम प्रवर्तन निदेशालय (2019) में कहा कि अवैध धन का स्रोत छिपाने से वित्तीय प्रणाली, देश की संप्रभुता और अखंडता प्रभावित होती है। यह मुद्रा आपूर्ति को बढ़ाता है जिससे मुद्रास्फीति एवं व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

मनी लॉन्ड्रिंग की तीन अवस्थाएँ

  1. प्लेसमेंट (स्थापना): अवैध धन को वित्तीय प्रणाली में प्रवेश कराया जाता है। बड़े धन को छोटी-छोटी राशियों में तोड़ा जाता है (स्मर्फिंग) ताकि संदेह न हो। उदाहरण: नकद जमा, छोटे लेनदेन।
  2. लेयरिंग (परतबंदी): धन को विभिन्न निवेशों और लेनदेन के माध्यम से स्थानांतरित किया जाता है ताकि उसका स्रोत अस्पष्ट हो जाए। उदाहरण: विदेशी खातों में स्थानांतरण, शेल कंपनियों का उपयोग।
  3. इंटीग्रेशन (एकीकरण): धन को वैध संपत्ति के रूप में वित्तीय प्रणाली में वापस लाया जाता है। उदाहरण: रियल एस्टेट, व्यवसाय, या संपत्ति निर्माण।

PMLA के बारे में

  • परिचय: मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम, 2002 को जनवरी 2003 में लागू किया गया और 1 जुलाई, 2005 से यह प्रभावी हुआ। इसका उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना, अपराध से प्राप्त संपत्ति को जब्त करना और संबंधित मामलों को संबोधित करना है।
  • प्रमुख प्रावधान
    • धारा 3: मनी लॉन्ड्रिंग को अपराध के रूप में परिभाषित करता है।
    • धारा 4: दोषी पाए जाने पर 3 से 7 वर्ष की सजा और नारकोटिक ड्रग्स से संबंधित अपराधों के लिए अधिकतम 10 वर्ष तक की सजा।
    • धारा 5: प्रवर्तन निदेशालय (ED) को अपराध से प्राप्त संपत्ति को 180 दिनों के लिए अस्थायी रूप से संलग्न करने की शक्ति देता है जिसे स्वतंत्र निर्णय प्राधिकरण द्वारा पुष्टि की जानी चाहिए।
    • धारा 17 और 18: खोज एवं जब्ती की शक्ति, जो 2019 के संशोधन के बाद बिना FIR के भी लागू हो सकती है।
    • धारा 45: जमानत की सख्त शर्तें, जो 2017 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा असंवैधानिक घोषित की गईं।
    • निर्दोष साबित करना : अभियुक्त पर यह साबित करने का बोझ है कि वह निर्दोष है।
    • वित्तीय खुफिया इकाई (FIU-IND) : वर्ष 2004 में स्थापित इकाई यह संदिग्ध वित्तीय लेनदेन की जानकारी प्राप्त करने, विश्लेषण करने और प्रसारित करने के लिए जिम्मेदार है।
  • विवाद : सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2022 में PMLA के प्रावधानों को बरकरार रखा किंतु प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ECIR) की प्रति न देने और निर्दोष साबित करने की धारणा को उलटने जैसे प्रावधानों की समीक्षा की जरूरत बताई।

वित्त मंत्री की PMLA पर रिपोर्ट

  • आँकड़े : वित्त मंत्री ने राज्यसभा में बताया कि वर्ष 2015 से 2025 तक ED ने PMLA के तहत 5,892 मामले दर्ज किए किंतु केवल 15 में सजा हुई। यह 0.5% से कम दोषसिद्धि दर दर्शाता है।
  • चिंताएँ :
    • कम दोषसिद्धि दर कानून के कार्यान्वयन की प्रभावशीलता पर सवाल उठाती है।
    • मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में वृद्धि से पता चलता है कि सरकार इस अपराध को नियंत्रित करने में असमर्थ रही है।
  • आलोचना : वकीलों का तर्क है कि PMLA का दुरुपयोग राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों और असंतुष्टों को निशाना बनाने के लिए किया जाता है क्योंकि इसकी जटिल प्रक्रिया ही एक प्रकार से सजा है।

डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस एग्रीमेंट (DTAA) से लाभ

  • परिचय: भारत ने लगभग 85 देशों के साथ DTAA पर हस्ताक्षर किए हैं, जो कर एवं वित्तीय जानकारी के आदान-प्रदान को बढ़ावा देते हैं।
  • लाभ:
    • जानकारी का आदान-प्रदान : DTAA देशों के कर प्राधिकरणों के बीच वित्तीय जानकारी साझा करने में मदद करता है जिससे कर चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग को ट्रैक करना आसान होता है।
    • अवैध धन हस्तांतरण पर रोक : यह अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन में पारदर्शिता लाता है जिससे ऑफशोर खातों में अवैध धन स्थानांतरण को रोका जा सकता है।
    • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: यह वित्तीय अपराधों के खिलाफ वैश्विक प्रयासों को मजबूत करता है।
  • सीमाएँ : DTAA के बावजूद, मनी लॉन्ड्रिंग को पूरी तरह रोकने में चुनौतियाँ बनी हुई हैं और अधिक सुधारों की आवश्यकता है।

मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए सरकारी पहल

  • PMLA का कार्यान्वयन : वर्ष 2005 से प्रभावी, यह कानून मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने और अपराध से प्राप्त संपत्ति को जब्त करने के लिए बनाया गया है।
  • FIU-IND की स्थापना : वर्ष 2004 में स्थापित यह इकाई संदिग्ध लेनदेन की निगरानी और अंतर्राष्ट्रीय खुफिया एजेंसियों के साथ समन्वय करता है।
  • विशेष अदालतें : PMLA के तहत अपराधों के लिए सत्र न्यायालयों को विशेष अदालतों के रूप में नामित किया गया है।
  • ED की शक्तियाँ : प्रवर्तन निदेशालय को खोज, जब्ती एवं संपत्ति संलग्न करने की व्यापक शक्तियाँ दी गई हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग : भारत ने फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की सिफारिशों को अपनाया और DTAA के माध्यम से 85 देशों के साथ सहयोग किया।
  • कर्मियों का प्रशिक्षण : FIU-IND कर्मचारियों को मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण के खिलाफ प्रशिक्षण देता है।
  • विदेशी कर इकाइयाँ : मॉरीशस एवं सिंगापुर में आयकर विदेशी इकाइयों (Income Tax Overseas Unit: ITOU) की स्थापना से अवैध धन पर नजर रखने में मदद मिली है।

चुनौतियाँ

  • कम दोषसिद्धि दर : 5,892 मामलों में केवल 15 सजाएँ PMLA के कार्यान्वयन की कमजोरी को दर्शाता है।
  • कानून का दुरुपयोग : सर्वोच्च न्यायालय ने स्वीकार किया कि PMLA का उपयोग राजनीतिक उद्देश्यों के लिए हो रहा है जिससे विरोधियों और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बनाया जा रहा है।
  • प्रक्रियात्मक अस्पष्टता : अभियुक्त को ECIR की प्रति न देना और निर्दोषता की धारणा को उलटना व्यक्तिगत स्वतंत्रता को जोखिम में डालता है।
  • तृतीय पक्षों का नुकसान : बैंकों, वित्तीय संस्थानों एवं मकान मालिकों जैसे तृतीय पक्षों की संपत्ति को गलती से जब्त या कुर्क किया जाता है, जिससे निर्दोष प्रभावित होते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय जटिलताएँ : DTAA के बावजूद कुछ देशों में जानकारी साझा करने में सहयोग की कमी है।
  • आतंकी वित्तपोषण से संबंध : मनी लॉन्ड्रिंग से आतंकी गतिविधियों को वित्तपोषण होता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है।

आगे की राह

  • FATF सिफारिशों का पालन : मनी लॉन्ड्रिंग मामलों को सावधानी से संभालने और दुरुपयोग को रोकने के लिए FATF दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करना चाहिए।
  • प्रक्रियात्मक सुधार : ECIR की प्रति अभियुक्त को प्रदान करना और निर्दोषता की धारणा को बहाल करना व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करेगा।
  • स्वतंत्र निगरानी : ED की शक्तियों की निगरानी के लिए एक स्वतंत्र प्राधिकरण की स्थापना की जाए।
  • तकनीकी उन्नति : ब्लॉकचेन और AI जैसे उपकरणों का उपयोग अवैध लेनदेन को ट्रैक करने के लिए किया जाए।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना : DTAA को और प्रभावी बनाने के लिए अधिक देशों के साथ समझौते किए जाएँ और जानकारी साझा करने की प्रक्रिया को तेज किया जाए।
  • कानूनी संशोधन : PMLA में तृतीय पक्षों के अधिकारों की रक्षा के लिए स्पष्ट प्रावधान जोड़े जाएँ।
  • राजनीतिक दुरुपयोग पर रोक : कानून का उपयोग केवल वास्तविक वित्तीय अपराधों के लिए हो, न कि राजनीतिक प्रतिशोध के लिए।
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